हम सभी जानते हैं कि भारतीय रुपये (Indian Rupee) के मूल्य में काफी गिरावट दर्ज की जा चुकी है। लेकिन शायद ही आपने सोचा हो कि रुपये की वैल्यू इतनी नीचे क्यों जा रहा है या इसका मूल्य आखिर तय कैसे होता है? तेजी मंदी के हेड ऑफ़ रिसर्च,अन्मोल दास हमें बता रहे हैं इसके पीछे के साइंस को..

Dollar Vs Rupees: रुपया धड़ाम! 51 पैसा टूटकर 80 रुपये के पार पहुंचा डॉलर, जानिए क्यों गिर रहा रुपया?

Vikash Tiwary

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: September 22, 2022 12:26 IST

51 पैसा टूटकर डॉलर की. - India TV Hindi

Photo:INDIA TV 51 पैसा टूटकर डॉलर की कीमत 80 रुपये के पार

Highlights

  • आजादी के बाद से ही रुपया होता रहा कमजोर
  • एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया टूटकर 80.डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? 48 हो गया है
  • US Fed ने बुधवार को उम्मीद के मुताबिक ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है

Dollar Vs Rupees: US Fed ने बुधवार को उम्मीद के मुताबिक ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसका असर भारतीय शेयर मार्केट से लेकर रुपये पर देखने को मिल रहा है। गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया में 51 पैसे की रिकॉर्ड गिरावट आई है। एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया टूटकर 80.48 हो गया है। यह रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है। रुपये में गिरावट से एक ओर जहां व्यापार घाटा बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी होगी। इसका दोतरफा बोझ सरकार से लेकर आम आदमी पर पड़ेगा। आईए जानते हैं कि क्यों टूट रहा है रुपया और इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर?

क्यों टूट रहा है रुपया

गिरावट का एक और कारण डॉलर सूचकांक का लगातार बढ़ना भी बताया जा रहा है। इस सूचकांक के तहत पौंड, यूरो, रुपया, येन जैसी दुनिया की बड़ी मुद्राओं के आगे अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को देखा जाता है। सूचकांक के ऊपर होने का मतलब होता डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? है सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती। ऐसे में बाकी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले गिर जाती हैं।इस साल डॉलर सूचकांक में अभी तक नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसकी बदौलत सूचकांक इस समय 20 सालों में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है। यही वजह है कि डॉलर के आगे सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि यूरो की कीमत भी गिर गई है।

रुपये की गिरावट का तीसरा कारण यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है। युद्ध की डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? वजह से तेल, गेहूं, खाद जैसे उत्पादों, जिनके रूस और यूक्रेन बड़े निर्यातक हैं, की आपूर्ति कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। चूंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, देश का आयात पर खर्च बहुत बढ़ गया है। आयात के लिए भुगतान डॉलर में होता है जिससे देश के अंदर डॉलरों की कमी हो जाती है और डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है।

डॉलर के मुकाबले रुपये में अबतक की सबसे बड़ी गिरावट, रुपया गिरने का मतलब क्या है, आम आदमी को इससे कितना नफा-नुकसान

भारतीय मुद्रा

भारतीय मुद्रा

अपूर्वा राय

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2022,
  • (Updated 30 जून 2022, 3:06 PM IST)

एक अमेरिकी डॉलर 79.04 रुपये का हो गया है,

भारतीय रुपये (Indian Rupee) में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. अमेरिकी डॉलर (Dollar) की तुलना में रुपया अपने रिकॉड निचले स्तर पर है. मतलब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.04 रुपये पहुंच गया है. यह डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? स्तर अब तक का सर्वाधिक निचला स्तर है. देश की आजादी के बाद से ही रुपये की वैल्यू लगातार कमजोर ही हो रही है. भले ही रुपये में आने वाली ये गिरावट आपको समझ में न आती हो या आप इसे गंभीरता से ना लेते हों, लेकिन हमारे और आपके जीवन पर इनका बड़ा असर पड़ता है.

आपके और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है? रुपये की गिरती कीमत हम पर किस तरह से असर डालती है. आइए जानते हैं.

क्या होता है एक्सचेंज रेट

दो करेंसी के बीच में जो कनवर्जन रेट होता है उसे एक्सचेंज रेट या विनिमय दर कहते हैं. यानी एक देश की करेंसी की दूसरे देश की करेंसी की तुलना में वैल्यू ही विनिमय दर कहलाती है. एक्सचेंज रेट तीन तरह के होते हैं. फिक्स एक्सचेंज रेट में सरकार तय करती है कि करेंसी का कनवर्जन रेट क्या होगा. मार्केट में सप्लाई और डिमांड के आधार पर करेंसी की डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? विनिमय दर बदलती रहती है. अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं. ज्यादातर देशों में पहले डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? फिक्स एक्सचेंज रेट था.

डॉलर के मुकाबले एक महीने की ऊंचाई पर पहुंचा रुपया, जानिए क्यों डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? आई मजबूती

डॉलर के मुकाबले एक महीने की ऊंचाई पर पहुंचा रुपया, जानिए क्यों आई मजबूती

डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती का रुख देखने को मिल रहा है. मंगलवार के शुरुआती कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले एक महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. रुपया फिलहाल मजबूती के साथ 79 के स्तर से नीचे कारोबार कर रहा है. बदलती आर्थिक स्थितियों और शेयर बाजार के मजबूत प्रदर्शन की वजह से एक बार फिर विदेशी निवेश का रुख भारत की ओर हुआ है, जिससे रुपये को मजबूती मिली है. वहीं डॉलर में आई कमजोरी से भी रुपये को फायदा मिला है.

कहां पहुंचा रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? का पिछला बंद स्तर 79.03 था. आज रुपया इस स्तर के मुकाबले मजबूती के साथ 78.95 के स्तर पर खुला दोपहर के कारोबार तक रुपया 78.49 के स्तर तक मजबूत हुआ. दोपहर 12 बजे के करीब रुपया मजबूती के साथ 78.6 के करीब कारोबार कर रहा था. पिछले महीने ही डॉलर के मुकाबले रुपया 80.06 के अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंचा था. हालांकि जुलाई के अंत से रुपये में मजबूती का रुख देखने को मिल रहा है. दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों को भरोसा बढ़ रहा है. वहीं शेयर बाजार में भी पिछले कुछ समय से मजबूती देखने को मिल रही है और विदेशी निवेशकों की खरीदारी बढ़ रही है. कैपिटल का फ्लो एक बार फिर घरेलू मार्केट की तरफ होने से रुपये को सहारा मिला है. अपने निचले स्तरों पर इस साल अबतक डॉलर के मुकाबले रुपया 7 प्रतिशत से ज्यादा टूटा था. हालांकि अब नुकसान डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? घटकर 6 प्रतिशत से नीचे आ गया है.

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Rupee Update : डॉलर के मुकाबले पहली बार रुपया 80 के पार, क्‍यों आ रही लगातार गिरावट और क्‍या होगा असर?

डॉलर इस समय 20 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 19, 2022, 10:19 IST

हाइलाइट्स

मंगलवार सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 79.98 पर खुला.
साल 2022 में ही रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी टूट चुका है.
अप्रैल से अब तक विदेशी निवेशकों ने 14 अरब डॉलर की पूंजी निकाल ली है.

नई दिल्‍ली. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही है. मंगलवार सुबह रुपये ने पहली बार रिकॉर्ड 80 का न्‍यूनतम स्‍तर छुआ. रुपये में आ रही लगातार गिरावट का भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर बुरा असर पड़ रहा है.

फॉरेक्‍स मार्केट के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 79.98 पर खुला, जो पिछले बंद से 1 पैसे नीचे था. मुद्रा विनिमय बाजार खुलते ही रुपये में गिरावट दिखने लगी और कुछ डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? ही मिनट में यह ऐतिहासिक गिरावट के साथ 80 के पार जाकर 80.01 पर ट्रेडिंग करने लगा. ग्‍लोबल मार्केट में डॉलर में आ रही मजबूती और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से धन निकासी की वजह से रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है. साल 2022 में ही रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी टूट चुका है.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार

चूंकि बड़े निवेशक अपना जमा निकाल कर अमेरिका में निवेश कर रहे हैं। इसलिए, दुनिया भर के देशों में डॉलर की कमी होगी। इसका नतीजा हाई डिमांड के रूप में देखने को मिलेगा। यदि किसी देश में निर्यात ज्यादा और आयात कम होता है, तो उस देश के अधिशेष डॉलर जमा (surplus dollar deposits) में बढ़ोतरी होगी। इसलिए उन्हें बाजार से डॉलर खरीदने के लिए अपनी मुद्रा खर्च नहीं करनी पड़ेगी। इससे अमेरिकी डॉलर के मुकाबले उस देश की करेंसी की वैल्यू बढ़ेगी।

भारत के साथ ऐसा नहीं है

भारत का विदेशी व्यापार अपने पक्ष में नहीं है। हम जितनी रकम का निर्यात करते हैं, उससे ज्यादा रकम का आयात कर लेते हैं। आयात बिलों के निपटान के लिए हमारी करेंसी अमेरिकी डॉलर पर निर्भर है। यदि हम दुनिया में डॉलर की कमी के बीच डॉलर खरीदते हैं तो हमें अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए अपने भारतीय रुपये का ज्यादा भुगतान करना होगा। इससे देश की करेंसी पर और ज्यादा दबाव डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? बढ़ता है।

मौद्रिक नीति का भी पड़ता है असर

रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति की वजह से आपके 500 रुपये के नोट का मूल्य हर दिन बदलता रहता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक रुपये की मांग और आपूर्ति पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए विभिन्न मुद्राओं को खरीदता और बेचता है। ताकि रुपये का मूल्य स्थिर रहे। इसके अलावा रेपो रेट या लिक्विडिटी रेश्यो जैसे मौद्रिक नीति परिवर्तन भी रुपये के मूल्य को प्रभावित करते हैं।

रुपये के मूल्य में बदलाव का आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यदि आप विदेश में पढ़ाई की योजना बना रहे हैं, तो रुपये के मूल्य में गिरावट के साथ आपको उच्च शिक्षण शुल्क देना होगा। साथ ही विदेश में रहने की आपकी लागत भी बढ़ जाएगी।

कैलेंडर वर्ष 2022 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में 9.8% की गिरावट आई। ऐसे में हमारा आयात और महंगा होगा।

जब भी रुपये का मूल्य गिरता है, तो इसका असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ता है। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से देश के नागरिकों प्रभावित करता है।

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