टेंडर ऑफर और ओपन मार्केट के जरिए कंपनियां लाती हैं शेयर बायबैक, क्या है दोनों के बीच का अंतर

शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां कई बार अपने स्टॉक बायबैक का ऐलान करती हैं. शेयर बायबैक दो तरीकों से लाया जाता है, पहला टेंडर ऑफर के जरिए और दूसरा ओपन मार्केट के जरिए. इन दोनों प्रोसेस में क्या अंतर होता है और ये दोनों प्रोसेस एक दूसरे से कैसे अलग हैं, इस वीडियो में समझते हैं.

Stock Market vs Stock Exchange: स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर है? समझिए

Stock Market vs Stock Exchange: स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर है? समझिए

Stock Market vs Stock Exchange: एक नया निवेशक हमेशा स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज के बीच अंतर नहीं जान सकता है। तो आइए जानें कि शेयर मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर है? (Difference Between a Stock Market and a Stock Exchange)

Stock Market vs Stock Exchange: आम तौर पर, लोग कुछ अधिक आय का आनंद लेने के लिए फाइनेंसियल मार्केट में प्रवेश करते हैं। इस प्रकार, उन्हें करेंसी मार्केट की शर्तों का ज्ञान नहीं है। एक नौसिखिया के लिए 'शेयर', 'स्टॉक' और 'इक्विटी' जैसे शब्दों को समझना मुश्किल है। लेकिन स्पष्ट समझ नहीं होने से समस्या हो सकती है।

एक निवेशक को निवेश शुरू करने से पहले इन शर्तों से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए। उनके अर्थों से अवगत होने से आपको समझदारी से निवेश करने में मदद मिलती है। इस लेख में, हम स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज (Stock Market vs Stock Exchange) के बारे में बात करेंगे और देखेंगे कि उनके अंतर क्या हैं। एक नया निवेशक हमेशा स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज के बीच अंतर नहीं जान सकता है। तो आइए जानें कि शेयर मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर है? (Difference Between a Stock Market and a Stock Exchange)

स्टॉक मार्केट क्या है? | What is Stock क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है Market in Hindi

शेयर मार्केट खरीदारों और विक्रेताओं के एकत्रीकरण को संदर्भित करता है जो स्टॉक में व्यापार करते हैं। स्टॉक एक्सचेंज बुनियादी ढांचे को संदर्भित करता है जो शेयरों की ऐसी खरीद और बिक्री की सुविधा प्रदान करता है। स्टॉक एक्सचेंज एक फॉर्मल आर्गेनाइजेशन है जो कंपनियों को अपने शेयरों को सूचीबद्ध करने और उन्हें जनता को बिक्री के लिए पेश करने में सक्षम बनाता है।

शेयर मार्केट एक व्यापक शब्द है जो उन सभी कंपनियों को संदर्भित करता है जो सार्वजनिक निवेशकों को खरीदने के लिए अपने शेयर सूचीबद्ध करती हैं। इसमें प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों बाजार शामिल हैं और यह ओटीसी (काउंटर पर) ट्रेडिंग, इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और स्टॉक एक्सचेंजों का एक कॉम्बिनेशन है। यह वह मंच है जहां व्यापार होता है, कंपनियों को अपनी विस्तार योजनाओं के वित्तपोषण के लिए जनता से पूंजी जुटाने में सक्षम बनाता है।

निवेशकों की भावना के आधार पर शेयर मार्केट को तेजी या मंदी के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। एक बाजार जहां निवेशक भविष्य के मुनाफे की प्रत्याशा में शेयर खरीदना चाहते हैं, एक बुल मार्केट है। एक बियर बाजार एक ऐसे बाजार को संदर्भित करता है जहां निवेशक बाजार में गिरावट की प्रत्याशा में अपनी होल्डिंग का निपटान करने की कोशिश कर रहे हैं।

स्टॉक एक्सचेंज क्या है? | What is Stock Exchange in Hindi

स्टॉक एक्सचेंज वे संस्थाएं हैं जो लिस्टिंग के लिए शर्तों को निर्धारित करके, व्यक्तियों, व्यापारियों और दलालों को सेवाएं प्रदान करके और कीमतों में उतार-चढ़ाव और ट्रेडिंग वॉल्यूम पर नज़र रखकर शेयरों में व्यापार की सुविधा प्रदान करती हैं। इस प्रकार, स्टॉक एक्सचेंज खरीदारों और विक्रेताओं को एक आम बैठक बिंदु पर एक साथ लाते हैं, जो फिजिकल या वर्चुअल हो सकता है।

भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) हैं। देश में ज्यादातर शेयर ट्रेडिंग इन्हीं दो एक्सचेंजों के जरिए होती है। BSE एशिया में स्थापित होने वाला पहला स्टॉक एक्सचेंज था और यह दुनिया के सबसे तेज एक्सचेंजों में से एक है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1992 में हुई थी और यह देश में पहला डिम्युचुअलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज होने का दावा करता है।

Stock Market vs Stock Exchange

स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक मार्केट के बीच अंतर इस प्रकार हैं-

स्टॉक मार्केट सभी प्रकार के स्टॉक ट्रेडिंग के लिए एक सामान्य शब्द है, जबकि स्टॉक एक्सचेंज वह इकाई है जो इस तरह के व्यापार की सुविधा प्रदान करती है।

शेयर मार्केट में OTC, इलेक्ट्रॉनिक और स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग शामिल हैं। यह शेयर मार्केट का एक अभिन्न अंग है।

स्टॉक मार्केट स्टॉक के खरीदारों और विक्रेताओं के लिए एक मिलन स्थल है जबकि स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसी इकाई है जो लाभ के उद्देश्य से काम करती है।

शेयर बाजार और स्टॉक एक्सचेंज दोनों ही अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तरलता पैदा करके, वे आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं।

म्यूचुअल फंड स्कीम और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में जान‍िए ये 5 अंतर

लोग नहीं कर पाते फर्क

कई लोग म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) को एक ही समझते हैं. हालांकि, सच यह है कि इन दोनों में अंतर है. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) की पेशकश प्रोफेशनल मनी मैनेजर करते हैं. यह सर्विस काफी जानकार और पैसे वाले निवेशकों को दी जाती है. निवेशकों के किसी खास लक्ष्‍य के लिए इसे डिजाइन किया जाता है. यहां हम म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस के बीच कुछ बुनियादी अंतरों के बारे में बता रहे हैं.

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है, रुपया कमजोर, डॉलर मजबूत क्यों हुआ?

भारतीय रुपया इस साल डॉलर के मुकाबले करीब 7 फीसदी कमजोर हुआ है. न केवल रुपया बल्कि दुनियाभर की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई हैं. यूरो, डॉलर के मुकाबले 20 साल के न्यूनतम स्तर पर है. आखिर क्या वजह है कि दुनियाभर की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं और डॉलर लगातार मजबूत होता जा रहा है?

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पंकज कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 19 जुलाई 2022, 1:46 PM IST)
  • एक डॉलर की कीमत 80 रुपये हुई
  • डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ

मेरी पीढ़ी ने जबसे होश संभाला है तब से अख़बारों और टीवी पर यही हेडलाइन पढ़ी कि डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट. आज फिर हेडलाइन है रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, एक डॉलर की कीमत 80 रुपये के पार हुई. अक्सर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत को देश की प्रतिष्ठा के साथ जोड़ा जाता है. लेकिन क्या यह सही है? आजादी के बाद भारत सरकार ने लंबे समय तक कोशिश की कि रुपये की कीमत को मजबूत रखा जा सके. लेकिन उन देशों का क्या जिन्होंने खुद अपनी करेंसी की कीमत घटाई? करेंसी की कीमत घटाने की वजह से उन देशों की आर्थिक हालत न केवल बेहतर हुई बल्कि दुनिया की चुनिंदा बेहतर अर्थव्यवस्थाओं में वो देश शामिल भी हुए.

डॉलर के मुकाबले रुपये की क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है कीमत कैसे तय होती है?

किसी भी देश की करेंसी की कीमत अर्थव्यवस्था के बेसिक सिद्धांत, डिमांड और सप्लाई पर आधारित होती है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर सकती हैं.

करेंसी की कीमत को तय करने का दूसरा एक तरीका भी है. जिसे Pegged Exchange Rate कहते हैं यानी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट. जिसमें एक देश की सरकार किसी दूसरे देश के मुकाबले अपने देश की करेंसी की कीमत को फिक्स कर देती है. यह आम तौर पर व्यापार बढ़ाने औैर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

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उदाहरण के तौर पर नेपाल ने भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.

किसी करेंसी की डिमांड कम और ज्यादा कैसे होती है?

डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.

फॉरेन एक्सचेंज मार्केट क्या होता है?

आसान भाषा में कहें तो फॉरेन एक्सचेंज एक अंतरराष्ट्रीय बाजार है जहां दुनियाभर की मुद्राएं खरीदी और बेची जाती हैं. यह बाजार डिसेंट्रलाइज्ड होता है. यहां एक निश्चित रेट पर एक करेंसी के बदले दूसरी करेंसी खरीदी या बेची जाती है. दोनों करेंसी जिस भाव पर खरीदी-बेची जाती है उसे ही एक्सचेंज रेट कहते हैं. यह एक्सचेंज रेट मांग और आपूर्ति के सिंद्धांत के हिसाब से घटता-बढ़ता रहा है.

करेंसी का डिवैल्यूऐशन और डिप्रीशीएशन क्या है?

करेंसी का डिप्रीशीएशन तब होता है जब फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट पर करेंसी की कीमत घटती है. करेंसी का डिवैल्यूऐशन तब होता है जब कोई देश जान बूझकर अपने देश की करेंसी की कीमत को घटाता है. जिसे मुद्रा का अवमूल्यन भी कहा जाता है. उदाहरण के तौर पर चीन ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया. साल 2015 में People’s Bank of China (PBOC) ने अपनी मुद्रा चीनी युआन रेनमिंबी (CNY) की कीमत घटाई.

मुद्रा का अवमूल्यन क्यों किया जाता है?

करेंसी की कीमत घटाने से आप विदेश में ज्यादा सामान बेच पाते हैं. यानी आपका एक्सपोर्ट बढ़ता है. जब एक्सपोर्ट बढ़ेगा तो विदेशी मुद्रा ज्यादा आएगी. आसान भाषा में समझ सकते हैं कि एक किलो चीनी का दाम अगर 40 रुपये हैं तो पहले एक डॉलर में 75 रुपये थे तो अब 80 रुपये हैं. यानी अब आप एक डॉलर में पूरे दो किलो चीनी खरीद सकते हैं. यानी रुपये की कीमत गिरने से विदेशियों को भारत में बना सामान सस्ता पड़ेगा जिससे एक्सपोर्ट बढ़ेगा और देश में विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा.

डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है?

डॉलर की कीमत सिर्फ रुपये के मुकाबले ही नहीं बढ़ रही है. डॉलर की कीमत दुनियाभर की सभी करेंसी के मुकाबले बढ़ी है. अगर आप दुनिया के टॉप अर्थव्यवस्था वाले देशों से तुलना करेंगे तो देखेंगे कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत उतनी नहीं गिरी है जितनी बाकी देशों की गिरी है.

यूरो डॉलर के मुकाबले पिछले 20 साल के न्यूनतम स्तर पर है. कुछ दिनों पहले एक यूरो की कीमत लगभग एक डॉलर हो गई थी. जो कि 2009 के आसपास 1.5 डॉलर थी. साल 2022 के पहले 6 महीने में ही यूरो की कीमत डॉलर के मुकाबले 11 फीसदी, येन की कीमत 19 फीसदी और पाउंड की कीमत 13 फीसदी गिरी है. इसी समय के भारतीय रुपये में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है. यानी भारतीय रुपया यूरो, पाउंड और येन के मुकाबले कम गिरा है.

डॉलर क्यों मजबूत हो रहा है?

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में अस्थिरता आई. डिमांड-सप्लाई की चेन बिगड़ी. निवेशकों ने डर की वजह से दुनियाभर के बाज़ारों से पैसा निकाला और सुरक्षित जगहों पर निवेश किया. अमेरिकी निवेशकों ने भी भारत, यूरोप और दुनिया के बाकी हिस्सों से पैसा निकाला.

अमेरिका महंगाई नियंत्रित करने के लिए ऐतिहासिक रूप से ब्याज दरें बढ़ा क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है रहा है. फेडरल रिजर्व ने कहा था कि वो तीन तीमाही में ब्याज दरें 1.5 फीसदी से 1.75 फीसदी तक बढ़ाएगा. ब्याज़ दर बढ़ने की वजह से भी निवेशक पैसा वापस अमेरिका में निवेश कर रहे हैं.

2020 के आर्थिक मंदी के समय अमेरिका ने लोगों के खाते में सीधे कैश ट्रांसफर किया था, ये पैसा अमेरिकी लोगों ने दुनिया के बाकी देशों में निवेश भी किया था, अब ये पैसा भी वापस अमेरिका लौट रहा है.

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