Delhi MCD Chunav: दिल्ली में MCD में ऐसा क्या है कि बीजेपी, आप और कांग्रेस जान लड़ा देती है
अब दिल्‍ली नगर निगम में 250 वार्ड
तीनों नगर निगमों के एक होने पर अब दिल्ली में 250 वार्ड हो गए हैं। पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुल 272 वार्ड थे। ताजा परिसीमन में 22 वार्ड घटाए गए हैं। चुनाव आयोग ने अक्टूबर में 250 वार्ड की लिस्ट जारी की है, जिसमें 42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। 50 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगी। एमसीडी के सभी जोन के सहायक आयुक्त जोन में चुनाव के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त हो चुके हैं।

क्या है Pegasus और इससे कैसे बच सकते हैं आप? यहां जानिए इस स्पाइवेयर की पूरी ABCD

Pegasus स्पाइवेयर को क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे दूसरे नामों से भी जाना जाता है. स्पाइवेयर एपल के आईओएस में भी घुसपैठ कर सकता है, यही वजह है कि इसे उपलब्ध सबसे रिफाइंड प्रोडक्ट्स में से एक के रूप में जाना जाता है.

क्या है Pegasus और इससे कैसे बच सकते हैं आप? यहां जानिए इस स्पाइवेयर की पूरी ABCD

पेगासस (Pegasus) डेवलप करने के आरोप में इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप (NSO Group) एक बार फिर सुर्खियों में है. पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसका इस्तेमाल कंपनी सरकार, पत्रकारों और राजनेताओं सहित प्रमुख हस्तियों की जासूसी करने के लिए करती है. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सरकारी एजेंसियों द्वारा किसी भी अनधिकृत अवरोधन (अनअथोराइज्ड इंटरसेप्शन) से इनकार किया है.

आईटी मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ा कोई सच नहीं है.” मंत्रालय ने कहा कि सरकार अपने सभी नागरिकों के प्राइवेसी के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. फिर भी पेगासस स्पाइवेयर का एक चिंताजनक पहलू यह है कि यह स्पीयर-फ़िशिंग मेथड के उपयोग से जीरो-क्लिक अटैक्स तक डेवलप हुआ है, जिसके लिए यूजर से किसी भी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती है. इसका पता लगाना या रोकना लगभग असंभव बना देता है और यकीनन ये दुनिया का सबसे पावरफुल स्पाइवेयर भी है.

पेगासस क्या है?

Pegasus एक ऐसा सॉफ़्टवेयर है, जिसे आपके डिवाइस की सभी एक्टिविटी को ट्रैक करने के लिए एक अटैकर द्वारा आपके स्मार्टफ़ोन पर इंस्टॉल किया जा सकता है. स्पाइवेयर मूल रूप से 2016 में सुर्खियों में आया था, जब संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को अपने फोन पर एक लिंक के साथ देश में प्रताड़ित कैदियों के बारे में एक टेक्स्ट मैसेज मिला, जिसे उन्होंने सिटीजन लैब के रिसर्चर्स को भेजा था. जांच के बाद, यह पाया एडीएक्स कैसे काम करता है गया कि लिंक एनएसओ ग्रुप से संबंधित बेसिक स्ट्रक्चर से जुड़े हुए थे. तब से स्पाइवेयर बहुत डेवलप हो गया है और अब एक जीरो-क्लिक अटैक बनने में कामयाब रहा है. इसका मतलब है कि टारगेट यूजर को स्पाइवेयर इंस्टॉल करने के लिए कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है, इस प्रकार इसका पता लगाना या रोकना असंभव हो जाता है.

पेगासस स्पाइवेयर को क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे दूसरे नामों से भी जाना जाता है. स्पाइवेयर एपल के आईओएस में भी घुसपैठ कर सकता है, यही वजह है कि इसे उपलब्ध सबसे रिफाइंड प्रोडक्ट्स में से एक के रूप में जाना जाता है. बता दें पेगासस का उपयोग सरकारों द्वारा प्रति-लाइसेंस के आधार पर किया जाना था. हालांकि, मई 2019 में, कंपनी ने राज्य की खुफिया एजेंसियों और अन्य को स्पाइवेयर की बिक्री सीमित कर दी थी.

एनएसओ ग्रुप अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर बताता है कि वह सरकारी एजेंसियों की मदद करने, आतंकवाद और अपराध को रोकने और उसकी जांच करने के लिए सॉफ्टवेयर बनाता है. कंपनी यह भी कहती है कि उसके पास संविदात्मक दायित्व हैं जिसके लिए उसके ग्राहकों को अपने उत्पादों के उपयोग को गंभीर अपराधों की रोकथाम और जांच तक सीमित करने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका उपयोग मानव अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए नहीं किया जाएगा.

Pegasus कैसे काम करता है?

पेगासस अब एक जीरो-क्लिक अटैक है, जो अटैकवर को बिना किसी मानवीय संपर्क के टारगेट यूजर के डिवाइस पर कंट्रोल हासिल करने की अनुमति देता है. यह सॉफ्टवेयर का उपयोग करने पर निर्भर करता है, जो डिवाइस से पहले डेटा प्राप्त करता है यह निर्धारित कर सकता है कि डेटा एक भरोसेमंद सोर्स से आ रहा है या नहीं.

Apple स्मार्टफ़ोन पर, स्पाइवेयर मेल ऐप में एक क्रैक का लाभ उठा रहा था, जिसे कथित तौर पर अप्रैल 2020 में पैच कर दिया गया था. उसके बाद, इस प्रोग्राम ने Apple वायरलेस डिवाइस लिंक (AWDL) को टारगेट किया.

Android डिवाइस पर, स्पाइवेयर वर्जन 4.4.4 और उसके बाद के वर्जन चलाने वाले फोन्स की ग्राफ़िक्स लाइब्रेरी को टारगेट कर रहा था. कई अटैकर्स ने Whatsapp में कमजोरियों का फायदा भी उठाया है.

Pegasus से आप खुद को कैसे बचा सकते हैं?

पेगासस और अन्य जीरो-क्लिक हमलों का पता लगाना बहुत कठिन हो गया है, विशेष रूप से एन्क्रिप्टेड एनवायरमेंट में जहां डेटा पैकेट पर कोई विजिबिलिटी नहीं है. हालांकि, यूजर अभी भी अपनी सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं. पहला कदम यह होगा कि आप अपने स्मार्टफोन को अपडेट रखें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिन कमजोरियों को देखा गया है, उनके लिए पैच उपलब्ध हैं. दूसरा ऑपरेटिंग सिस्टम पर किसी भी ऐप को साइडलोड नहीं करना चाहिए. अंत में, यूजर ऐप्स का उपयोग करना बंद कर सकते हैं और वेब ब्राउज़र पर ईमेल, सोशल मीडिया आदि की जांच करने के लिए स्विच कर सकते हैं.

Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर समीक्षा

Rife का RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर आधे मीटर के भीतर सटीकता प्रदान करता है।

पर प्रविष्ट किया दिसम्बर 1/2021 by स्टुअर्ट बेल in उपकरण

Rife का RX5 रेंजफाइंडर प्रभावशाली सटीकता प्रदान करता है।

राइफ़ RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर

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Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर निर्माता की ओर से प्रीमियम दूरी मापने वाला उपकरण है। यह RX4 रेंजफाइंडर से कैसे तुलना करता है?

झंडे या खतरे के लिए सटीक दूरी की तलाश करते समय, यह जानना मुश्किल हो सकता है कि यह कितनी दूर है।

Rife का RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर पहले से कहीं ज्यादा आसान बनाता है, लेकिन बाजार में कुछ अधिक बेहतर ज्ञात ब्रांडों की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक मूल्य टैग के साथ।

RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर के बारे में Rife क्या कहता है:

"आरएक्स5 लेजर रेंजफाइंडर के साथ गोल्फ खेलते समय प्रतिस्पर्धा में बढ़त हासिल करें। एक एलसीडी डिस्प्ले के साथ डिजाइन में चिकना जो 0.5 मीटर की दूरी के भीतर अत्यधिक सटीक दूरी की गणना प्रदान करता है।

"रेंजफाइंडर में आपको स्पष्ट और सटीक 6 x आवर्धन प्रदर्शन देने के लिए शक्ति और माप बटन और एक ऐपिस समायोजक है।

राइफ़ RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर

"रेंजफाइंडर में लक्ष्यीकरण कौशल की एक विस्तृत श्रृंखला है, जो फ्लैगपोल लॉक, पॉइंट टू पॉइंट रीडिंग के साथ-साथ लंबवत ऊंचाई प्रदान करती है।

"यह बेहद सटीक लेजर डिवाइस आपको आवश्यकता पड़ने पर एंगल्ड स्विच पर ढलान समायोजित माप गणना के साथ सही क्लब का चयन करने का विश्वास दिलाता है।

"आपको रीडिंग की बेहतर समझ देने के लिए यह जानकारी बाहरी एलसीडी डिस्प्ले पर गज या मीटर में प्रदर्शित की जा सकती है।"

Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर डिजाइन और विशेषताएं

इस रेंजफाइंडर में लेजर सटीक दूरी है क्योंकि इसमें एक बहुत ही सटीक लेजर उत्सर्जक लेंस और एक रिसीवर है जो एक अद्भुत रेंज का उत्पादन करने के लिए एक साथ काम करता है।

Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर एक क्लास -1 लेजर उत्पाद है और छह बार के आवर्धन लेंस के कारण वांछित लक्ष्य से लगभग आधा मीटर की दूरी तक सटीक है।

राइफ़ RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर

मोड में अंतर्निहित ढलान एडीएक्स कैसे काम करता है समायोजन के साथ ढलान मुआवजा शामिल है। यदि आप एक झुकाव या गिरावट को देख रहे हैं, तो यह उत्पाद अभी भी आपके लिए सटीक परिणाम देने में सक्षम होगा।

राईफ रेंजफाइंडर में आसानी से समझी जाने वाली दूरियों के लिए गज या मीटर का विकल्प शामिल है।

RX5 की अनुमानित दूरी बाहरी LCD स्क्रीन पर देखी जा सकती है, लेकिन यह उपकरण इतना छोटा है कि यह आपके गोल्फ बैग की किसी भी जेब में फिट हो सकता है।

यह केवल काले रंग में उपलब्ध है, और एक समायोज्य ऐपिस और बाहरी डिस्प्ले के साथ आता है।

फैसला: क्या Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर कोई अच्छा है?

इस प्रकार का उत्पाद मुख्य रूप से क्लब चयन के बारे में है और परिस्थितियों के लिए सही क्लब को मारकर लाभ प्राप्त करने के बारे में है।

राइफ का RX5 निश्चित रूप से 0.5 मीटर के भीतर की दूरी के साथ इसे हासिल करने में मदद करता है - चाहे वह फ्लैगस्टिक हो, एक खतरा एडीएक्स कैसे काम करता है हो या एक माप जो आपको अपना शॉट लेने से पहले आवश्यक हो।

यह बाजार के कुछ अधिक महंगे रेंजफाइंडर जितना सटीक नहीं है, लेकिन आपको इस संस्करण के साथ पैसे का अच्छा मूल्य मिलता है। आपको निश्चित रूप से पाठ्यक्रम पर क्लबिंग के साथ बाहर होना चाहिए।

अक्सर पूछे गए प्रश्न

Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर की कीमत कितनी है?

इस उत्पाद की कीमत लगभग £130 / $173 है।

Rife RX5 रेंजफाइंडर किन रंगों में आता है?

यह केवल काले रंग में बेचा जाता है।

क्या Rife RX5 डीलक्स रेंजफाइंडर की लागत में ढलान मुआवजा है?

हां, ढलान मुआवजा RX5 का उपयोग करते समय उपलब्ध तरीकों में से एक है।

स्टुअर्ट बेल नवीनतम गोल्फ़ उपकरण का व्यावहारिक विश्लेषण प्रदान करता है और GolfReviewsGuide.com के लिए गोल्फ़ गियर की समीक्षा करता है। स्क्रैच एडीएक्स कैसे काम करता है गोल्फर बनना जीवन का लक्ष्य है!

MCD क्‍या है? ये करती क्‍या है? इसके लिए क्‍यों होता है महायुद्ध, एमसीडी चुनाव की ABCD जानिए

Delhi MCD Election 2022: दिल्‍ली नगर निगम के कुल 250 वार्डों में 4 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। एमसीडी चुनाव 2022 के परिणाम 7 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।

MCD Election 2022_Delhi

एमसीडी चुनाव 2022 में 250 वार्डों पर मतदान

हाइलाइट्स

  • दिल्‍ली नगर निगम (MCD) चुनाव 2022 का कार्यक्रम घोषित
  • 250 वार्डों में 4 दिसंबर को मतदान, 7 को आएंगे चुनाव परिणाम
  • 42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व, इनमें 21 महिलाओं की
  • दिल्‍ली में तीन निगमों के एकीकरण के बाद पहली बार हो चुनाव

चुनाव आयोग के अनुसार, MCD के 250 वार्डों में से 42 अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित होंगे। इन 42 में से आधे यानी 21 वार्ड महिलाओं के लिए रिजर्व होंगे। बाकी बचे वार्ड्स में से 104 को महिलाओं के लिए रिजर्व रखा गया है।

दिल्‍ली में कितने नगर निकाय हैं?
राष्‍ट्रीय राजधानी के क्षेत्र की देखरेख का जिम्‍मा तीन एडीएक्स कैसे काम करता है अलग-अलग निकायों पर है। एमसीडी के दायरे में दिल्‍ली का पूरा इलाका नहीं आता। नई दिल्‍ली जहां प्रमुख सरकारी इमारतें, दफ्तर, आवासीय परिसर और दूतावास/उच्‍चायोग हैं, वह नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के तहत आता है। नगरपालिका परिषद पूरी तरह से केंद्र के मातहत है। परिषद के लिए चुनाव नहीं होते। इसके सदस्‍यों को केंद्र नामित करता है, राज्‍य सरकार के साथ चर्चा करके। NDMC के बोर्ड में कुछ विधायकों को भी शामिल किया जाता रहा है।

दिल्‍ली कैंटोनमेंट एरिया की देखरेख का जिम्‍मा दिल्‍ली कैंटोनमेंट बोर्ड (DCB) का है। सेना का स्‍टेशन कमांडर ही DCB का पदेन अध्‍यक्ष होता है। डिफेंस एस्‍टेट्स सर्विस कैडर के एक अधिकारी को CEO नियुक्‍त किया जाता है। इसके बोर्ड में 8 सदस्‍य होते हैं।

दिल्‍ली नगर निगम: पहले तीन थे, अब एक
अब बात दिल्‍ली नगर निगम की। पहले दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2011 में इसे तीन भागों में बांटकर दक्षिण, पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम का गठन किया गया। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सरकार का तर्क था कि दिल्ली काफी फैल चुकी है। ऐसे में एक ही नगर निगम की बजाय अगर उसे विभाजित कर दिया जाए तो स्थानीय स्तर पर बेहतर कामकाज होगा।

हालांकि विभाजन के बाद पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगमों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, क्योंकि इन क्षेत्रों में नगर निगमों की होने वाली आमदनी और खर्चों के बीच संतुलन नहीं था। एक को छोड़कर बाकी दोनों नगर निगम वित्तीय रूप से इतने कमजोर हो गए कि इनके कर्मचारियों को वेतन और रिटायरमेंट पर दी जाने वाली राशि देना भी मुश्किल हो गया।

Delhi MCD Chunav: दिल्ली में MCD में ऐसा क्या है कि बीजेपी, आप और कांग्रेस जान लड़ा देती है
अब दिल्‍ली नगर निगम में 250 वार्ड
तीनों नगर निगमों के एक होने पर अब दिल्ली में 250 वार्ड हो गए हैं। पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुल 272 वार्ड थे। ताजा परिसीमन में 22 वार्ड घटाए गए हैं। चुनाव आयोग ने अक्टूबर में 250 वार्ड की लिस्ट जारी की है, जिसमें 42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। 50 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगी। एमसीडी के सभी जोन के सहायक आयुक्त जोन में चुनाव के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त हो चुके हैं।

एमसीडी चुनाव 2022 कब होंगे? नतीजा कब?

निर्वाचन आयोग ने दिल्‍ली नगर निगम चुनाव 2022 के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। एमसीडी चुनाव 2022 की नोटिफिकेशन 7 नवंबर को जारी होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 14 नवंबर है। 19 नवंबर तक उम्‍मीदवारी वापस ली जा सकेगी। एमसीडी के 250 वार्डों पर वोटिंग 4 दिसंबर को होगी। एमसीडी चुनाव का परिणाम 7 दिसंबर को घोषित होगा।

42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहेंगी, जिनमें से 21 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। अन्य सीटें में से 104 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी।

एमसीडी चुनाव कैसे होते हैं?
दिल्‍ली नगर निगम के चुनाव इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के जरिए कराए जाएंगे। राज्‍य चुनाव आयुक्‍त विजय देव ने बताया कि 55 हजार से ज्‍यादा EVMs का इंतजाम हो गया है। इस बार भी NOTA का विकल्‍प मिलेगा। एक लाख से ज्‍यादा स्‍टाफ एमसीडी चुनाव कराएगा। चुनाव का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई है।

नॉमिनेशन तक बनेगा वोटर कार्ड तो दे सकेंगे वोट
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि एमसीडी चुनाव में जनवरी में जारी वोटरों की संख्या को सिर्फ आधार माना गया है। जनवरी में पब्लिश फाइनल वोटर लिस्ट के बाद भी जिनका नाम लिस्ट में शामिल किया गया है, वह भी एमसीडी चुनाव में वोट दे सकते हैं। यहां तक नॉमिनेशन से पहले तक जिनका पहचान पत्र बन जाएगा, वे भी वोट दे सकेंगे।

दिल्‍ली नगर निगम (MCD) का काम क्‍या है?
एमसीडी भी देश के बाकी नगर निगमों की तरह ही काम करता है। MCD के जिम्‍मे वाटर सप्‍लाई, ड्रेनेज सिस्‍टम, बाजारों की मेंटेनेंस, पार्क, पार्किंग लॉट्स, सड़कें और ओवरब्रिज, सॉलिड वेस्‍ट मैनेजमेंट, स्‍ट्रीट लाइटिंग की व्‍यवस्‍था है। इसके अलावा एमसीडी के प्राइमरी स्‍कूल, अस्‍पताल और डिस्‍पेंसरी भी चलते हैं। प्रॉपर्टी और प्रफेशनल टैक्‍स जमा करना, टोल टैक्‍स कलेक्‍शन सिस्‍टम चलाना, शवदाह गृहों का प्रबंधन, जन्‍म-मृत्‍यु का रिकॉर्ड रखना भी एमसीडी की जिम्‍मेदारियों के तहत आता है।

MCD को क्‍यों कहते हैं दिल्‍ली की 'छोटी सरकार'?

दिल्‍ली की सरकार और नगर निगम के अधिकार ओवरलैप करते हैं। मसलन, एमसीडी और दिल्‍ली सरकार दोनों ही सड़कें और नाले मेंटेन करते हैं। अंतर यह है कि 60 फीट से कम चौड़ी ज्‍यादातर सड़कें एमसीडी संभालता है और उससे चौड़ी वाली दिल्‍ली सरकार। बड़े मोटराइज्‍ड वीइकल्‍स को दिल्‍ली सरकार लाइसेंस देती है, वहीं एमसीडी साइकिल-रिक्‍शा, हाथगाड़ी को डील करता है। MCD प्राइमरी स्‍कूल चलाता है तो दिल्‍ली सरकार हायर स्‍कूलिंग, कॉलेज और प्रफेशनल एजुकेशन मुहैया कराती है। एमसीडी कई डिस्‍पेंसरी और कुछ अस्‍पताल चलाता है। दिल्‍ली सरकार बड़े और स्‍पेशलाइज्‍ड अस्‍पताल को मैनेज करती है।

एमसीडी दिल्‍ली की सीमाओं पर टोल टैक्‍स, विज्ञापन राजस्‍व और भू-कर से कमाई करता है। MCD को दिल्‍ली सरकार और केंद्र से भी मदद मिलती है। दिल्‍ली सरकार एक्‍साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्‍स और वैल्‍यू एडेड टैक्‍स से कमाई करती है।

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.

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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश एडीएक्स कैसे काम करता है कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.

क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?

इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.

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कौन कर सकता है ट्रेडिंग?

ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.

यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?

यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.

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