Commodity को 4 वर्गों में बांटा जाता है. इसमें पहला मेटल कमोडिटी होती है जिसमें लोहा, स्टील, कॉपर, सोना और चांदी आदि आते हैं। वहीं दूसरा एनर्जी कमोडिटी होती है जिसमें तेल, गैस, कोयला आदि आते हैं। तीसरी कैटेगरी में एग्री प्रोडक्ट आते हैं जिसमें अनाज आदि आते हैं वहीं चौथा कार्बन क्रेडिट, कार्बन एनर्जी सर्टिफिकेट आते हैं जो कि पर्यावरण से जुड़े हैं।
यदि रास नहीं आ रहे हैं शेयर खरीदने-बेचने के बारीक नियम तो कमोडिटी मार्केट से बनाएं बड़ा मुनाफा
अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है।
ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट इन दिनों काफी चर्चा में है। बीते कुछ महीनों में इस बाजार की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। निवेशकों की संख्या में हर दिन होने वाली इस बढ़त ने पिछले दिनों में एक रिकॉर्ड भी बनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के अगस्त महीने में डीमैट अकाउंट की संख्या पहली बार करीब 10 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में शेयर बाजार में अब आम लोगों का भी दिलचस्पी साफ दिखाई देने लगी है।
शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा
क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?
शेयर मार्केट व कमोडिटी मार्केट में अंतर क्या है?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।
अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से संबंधित कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इसके अलावा इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है,जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है। इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य भी माना जाता है।
शेयर मार्केट से कितना अलग है कमोडिटी मार्केट, जानिए कैसे होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?
शेयर बाजार क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है.
कोरोना महामारी के बाद शेयर मार्केट में निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है. इसी साल अगस्त में डीमैट खातों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार पहुंच गई. हालांकि, शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है. ऐसे में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी की मांग तेजी देखने को मिली है. क्या आपको पता है कि कमोडिटी मार्केट क्या है और यह इक्विटी यानी शेयर मार्केट से कितना अलग है.
कमोडिटी मार्केट क्या है?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) यह एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स, बेस मेटल्स, एनर्जी, कच्चे तेल जैसी कई कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं.
- एग्री या सॉफ्ट कमोडिटीज में मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च हैं. इसके अलावा सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना भी इसी का हिस्सा हैं.
- नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं.
इक्विटी मार्केट और कमोडिटी मार्केट में क्या अंतर है?
- इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. वहीं कमोडिटी मार्केट में कच्चे माल को बेचा और खरीदा जाता है.
- इक्विटी के होल्डर को शेयरहोल्डर कहा जाता है, जबकि कमोडिटी के होल्डर को ऑप्शन कहा जाता है.
- शेयरहोल्डर को पार्शियल कंपनी का मालिक माना जाता है, लेकिन कमोडिटी मालिकों को नहीं.
- इक्विटी शेयरों की समाप्ति तिथि नहीं होती है. जबकि कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है.
- इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य माना जाता है. वहीं कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड का प्रावधान नहीं होता.
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए प्रमुख एक्सचेंज हैं. इसमें मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के साथ-साथ यूनिवर्सल क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं कमोडिटी एक्सचेंज (UCX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE), इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX), ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड शामिल हैं.
Commodity Market से घटेगा जोखिम, बढ़ेगी आय
Commodity उन महत्वपूर्ण पदार्थों और स्रोतों को कहा जाता है जिनसे या जिनकी मदद से इस्तेमाल के लायक उत्पाद तैयार किए जा सकें। कमोडिटी मार्केट में उत्पाद की खपत और उत्पादन भी मांग और आपूर्ति की तरह कीमतों पर लगातार असर डालते रहते हैं।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। बाजार में निवेश के लिए पहला कदम रखने वालों को सबसे पहले शेयर बाजार दिखता है और वो उसी में पैसा लगाते है, हालांकि निवेशकों के लिए एक नहीं कई ऐसे बाजार मौजूद हैं, जहां कमाई उतनी ही आकर्षक है जितना शेयर बाजार से मिलने वाला रिटर्न। इन बाजारों में एक प्रमुख बाजार है commodity market। ऐसे निवेशकों की कोई कमी क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं नहीं है जो बेहतर रिटर्न के लिए अपने निवेश का मुख्य हिस्सा कमोडिटी मार्केट में लगाते हैं। कमोडिटी मार्केट में कारोबार के अपने कई फायदे होते हैं। अगर आप भी commodity market में निवेश करना चाहते हैं तो पढ़े निवेश से जुड़ी सभी प्रमुख बातें
क्या होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?
Commodity उन महत्वपूर्ण पदार्थों और स्रोतों को कहा जाता है जिससे या जिसकी मदद से इस्तेमाल के लायक उत्पाद तैयार किए जा सकें। इनका अपना आकार या वजन होता है या फिर इन्हें मापा जा सकता है। इन पदार्थों और स्रोतों का कारोबार ही कमोडिटी ट्रेडिंग कहलाता है और जिस जगह ये कारोबार होता है उसे कमोडिटी मार्केट कहते हैं।
Share market और commodity market ट्रेडिंग का मुख्य अंतर ये होता है कि कमोडिटी मार्केट में उत्पाद की खपत और उत्पादन भी मांग और आपूर्ति की क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं तरह कीमतों पर लगातार असर डालते रहते हैं। यानी commodity market में किसी उत्पाद की कीमतें इस बात पर भी निर्भर करती हैं उसका उत्पादन और खपत किस स्तर पर है। यहां मांग न होने पर भी कमोडिटी का उत्पादन घटने पर कीमतें बदलना आम है। कच्चे तेल में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है। हालांकि शेयर बाजार में कारोबार का प्रमुख हिस्सा एक ही शेयर की बार बार बिक्री और खरीद पर आधारित होता है। शेयरों की संख्या बढ़ना या घटना एक तय प्रक्रिया का हिस्सा होता है और ये आम घटना नहीं होती। ऐसे में कई बार ऐसे स्टॉक जिनकी बाजार में मांग नहीं होती वो निचले स्तरों पर ही लंबे समय तक बने रहते हैं। कहा जा सकता है कि commodity market कई मायने में शेयर बाजार के मुकाबले ज्यादा एक्शन वाला बाजार साबित होता है जिससे यहां कारोबारियों के लिए लगातार मौके बने रहते हैं।
क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग का फायदा?
Commodity कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव आम है इससे एक कारोबारी के लिए इसमें कई मौके बनते रहते हैं। वहीं अगर आपको कमोडिटी मार्केट की अच्छी जानकारी है तो आप छोटी रकम लगाकर ऊंचे फायदे कमा सकते हैं। कमोडिटी में निवेश करने से किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियों में विविधता आती है। इससे न केवल लोगों को आय बढ़ाने के मौके मिलते हैं साथ ही अनिश्चतता की स्थिति में जोखिम से सुरक्षा मिलती है। हालांकि ये भी सच है कि कमोडिटी मार्केट में लोगों को काफी नुकसान भी हो सकता है ऐसे में आपको बाजार के जानकार की मदद से commodity market में निवेश करना चाहिए। 5paisa के एप की मदद से आप कमोडिटी मार्केट से ऊंचा मुनाफा भी उठा सकते हैं।
एसेट क्लास के रूप में कमोडिटी डेरिवेटिव का कैसे करें इस्तेमाल?
कमोडिटी डेरिवेटिव भविष्य में किसी तारीख को कोई खास कमोडिटी तय मात्रा में खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट है.
इस बाजार का नियंत्रण कौन करता है?
सेबी सितंबर 2015 से कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट का नियंत्रण कर रहा है. इससे पहले कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट का नियंत्रण फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) करता था. बाद में इसका विलय सेबी में कर दिया गया.
कमोडिटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग और शेयर डेरिवेटिव ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
कमोडिटी डेरिवेटिव भविष्य में किसी तारीख को कोई खास कमोडिटी तय मात्रा में खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट है. यह शेयर, करेंसी और इंडेक्स डेरिवेटिव की तरह है. अंतर सिर्फ यह है कि इसमें अंडरलाइंग एसेट शेयर, करेंसी या इंडेक्स की जगह कमोडिटी होता है.
कैसे करें कमोडिटी डेरिवेटिव में कारोबार?
कमोडिटी डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. हालांकि, इसके लिए कई पहलूओं को समझना जरूरी है.
प्रश्न: कौन-कौन से एक्सचेंज पर सीडीएस सेवा उपलब्ध है?
उत्तर:एमसीएक्स सबसे बड़ा और सूचीबद्ध मेटल और ऊर्जा एक्सचेंज हैं. एग्री कमोडिटी में खरीद-फरोख्त एनसीडीईएक्स पर किया जा सकता है. आईसीईएक्स पर डायमंड और स्टील डेरिवेटिव्स का सौदा होता है.
इसके अलावा, सेबी के नए नियमों के बाद बीएसई और एनएसई भी सीडीएस सेवाएं दे रहे हैं. कुछ शर्तें पूरी करने के बाद एमसीएक्स भी इक्विटी सेवा प्रदान करने वाला है,
प्रश्न: क्या डिलीवरी अनिवार्य है?
उत्तर: खाद्य तेल, मसालों जैसे एग्री फ्यूचर्स में डिलीवरी अनिवार्य हैं. मगर आप अपने सौदों का निपटारा (स्क्वेयर ऑफ) डिलीवरी से पहले भी कर सकते हैं. गैर-एग्री सौदों, जैसे सोना और चांदी, में क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं ज्यादातर सौदे गैर-डिलीवरी आधारित होते हैं. अब इनमें भी डिलीवरी अनिवार्य बनाने की तैयारी हो रही है.
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