सही दिशा में बढ़ रही भारत ब्रिटेन के बीच व्यापार वार्ता
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) सही दिशा में बढ़ रहा है, हालांकि बातचीत पूरी होने की अंतिम तिथि वार्ता की गति पर निर्भर होगी। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने आज यह जानकारी दी। इस साल जनवरी में भारत और ब्रिटेन ने समझौते पर बातचीत शुरू की थी, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिले।
दोनों देशों ने दीवाली तक बातचीत पूरा करने का लक्ष्य रखा था, जो अब संभव नहीं है क्योंकि दोनों देशों को कुछ वस्तुओं और सेवाओं की बाजार तक व्यापक पहुंच के मसले पर मतभेद दूर करना है। सीआईआई नैशनल एक्सपोर्ट सम्मेलन में संवाददाताओं से बड़थ्वाल ने कहा, ‘हम बहुत सही तरीके से आगे बढ़ रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही समझौते तक पहुंचने में सक्षम होंगे।’
बड़थ्वाल ने कहा कि सभी अध्यायों पर बातचीत पूरी हो चुकी है। बहरहाल कुछ पहलुओं को अभी अंतिम रूप दिया जाना है। इसके पहले बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार पर चल रही बातचीत संभवतः अगले साल के मध्य तक पूरी हो सकेगी क्योंकि दोनों देशों के बीच विवादास्पद मसलों पर बातचीत जारी है।
इसके अलावा ब्रिटेन में राजनीतिक तनाव के साथ उम्मीद से कम आर्थिक वृद्धि और इसके कारण मंदी के डर की वजह से इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तय तिथि में देरी हो सकती है। ब्रिटेन भारत का प्रमुख निवेशक है। भारत में 2021-22 में 1.64 अरब डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था।
अप्रैल 2000 और मार्च 2022 के बीच यह आंकड़ा करीब 32 अरब डॉलर रहा। उद्योग जगत के कार्यक्रम में अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में बड़थ्वाल ने कहा कि भारत के लिए अपना निर्यात दोगुना करने की पर्याप्त संभावनाएं है, इसे भारत की कुल मिलाकर वैश्विक व्यापारिक व्यवस्था में हिस्सेदारी आगे और बढ़ेगी।
सचिव ने कहा, ‘वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं को भारत से एकीकरण करने और भागीदारी को बढ़ावा देने वाली सुसंगत व्यापार रणनीति जरूरी जोखिम मुक्त व्यापार क्या है है। 2030 तक 2 लाख करोड़ डॉलर के कुल निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस तरह की रणनीति जरूरी होगी।’ उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह जरूरी है कि वह सेवा क्षेत्र में अपनी मजबूती का लाभ उठाए और मूल्य श्रृंखलाओं को एकीकृत करे।
Free Trade Agreement: ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी दी
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्तों को और मजबूत करने के लिए मंगलवार को बड़ा कदम उठाया गया। इसके मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया की संसद में भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौता पारित कर दिया गया. भारत-ऑस्ट्रेलिया FTA से किसको फायदा? जानिए पूरी डिटेल्स नूपुर से.
Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) क्या है?
13 फरवरी, 2022 से भारतीय विदेश मंत्री की मनीला की तीन दिवसीय यात्रा से पहले फिलीपींस ने यह निर्णय लिया है। भारत और फिलीपींस द्वारा जनवरी 2022 में 374.96 मिलियन अमरीकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह यात्रा निर्धारित की गई थी। इस सौदे के तहत भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात करेगा।
FFF द्वारा स्थिति पत्र
देश के Federation of Free Farmers (FFF) ने एक स्थिति पत्र जारी किया और किसानों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श की कमी के कारण देश की सीनेट से मुक्त व्यापार समझौते की जोखिम मुक्त व्यापार क्या है सहमति को स्थगित करने का आग्रह किया। इसने प्रस्तावित RCEP नियमों पर भी चेतावनी दी जो “व्यापार उपायों की प्रभावशीलता और आवेदन में बाधा उत्पन्न करेंगे”।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी ( Regional Comprehensive Economic Partnership – RCEP )
RCEP ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चीन, कंबोडिया, जापान, इंडोनेशिया, लाओस, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के एशिया-प्रशांत देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। RCEP के 15 सदस्य देशों में दुनिया की आबादी का लगभग 30% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30% हिस्सा है। इस प्रकार, RCEP इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक है। यह पहला मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें चीन, जापान, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया सहित एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं।
RCEP कब पेश किया गया था?
RCEP को पहली बार नवंबर 2011 में इंडोनेशिया जोखिम मुक्त व्यापार क्या है के बाली में 19 वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान पेश किया गया था। इसके लिए बातचीत 2013 की शुरुआत में शुरू हुई थी।
क्या भारत RCEP का सदस्य है?
मूल रूप से, भारत 2011 में RCEP मसौदा समिति का सदस्य था। हालाँकि, 2019 में, भारत ने कुछ चिंताओं का हवाला देते हुए समझौते से बाहर होने का निर्णय लिया। इन चिंताओं में घरेलू उद्योगों को आयात से उत्पन्न जोखिम भी शामिल था।
RCEP का उद्देश्य
इस मुक्त व्यापार समझौते का उद्देश्य आसियान सदस्य देशों और FTA भागीदारों को उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह 20 वर्षों में टैरिफ की सीमा को भी समाप्त कर देगा।
व्यापार समझौतों के प्रकार
Trade agreements is an agreement between two or more countries for specific terms of trade, commerce, transit or investment.
Published On January 5th, जोखिम मुक्त व्यापार क्या है 2022
Table of Contents
क्षेत्रीय व्यापार समझौते
समाचार पत्र पढ़ते समय यूपीएससी के उम्मीदवारों को प्रायः एफटीए, पीटीए, सीईपीए इत्यादि जैसे शब्द अकस्मात सामने दिख जाते हैं। ये समान-ध्वनि वाले शब्द प्रायः उम्मीदवारों को भ्रमित करते हैं एवं इसलिए यह लेख आपकी तैयारी में आपकी सहायता करने तथा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 को उत्तीर्ण करने के आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी सहायता करने के निमित्त है।
एक व्यापार समझौता क्या है?
व्यापार समझौते दो या दो से अधिक देशों के मध्य व्यापार, वाणिज्य, पारगमन अथवा निवेश की विशिष्ट शर्तों के लिए एक समझौता है। इनमें अधिकांशतः व्यापारिक एवं गैर-व्यापारिक रियायतों सहित पारस्परिक रूप से लाभकारी रियायतें भी सम्मिलित हैं।
व्यापार समझौते के प्रकार
प्रतिभागी (भाग लेने वाले) निकायों द्वारा सहमत शर्तों एवं रियायतों के आधार पर कतिपय प्रकार के व्यापारिक समझौते होते हैं।
फ्रेमवर्क एग्रीमेंट
फ्रेमवर्क समझौता मुख्य रूप से व्यापारिक भागीदारों के मध्य संभावित समझौते के उन्मुखीकरण के दायरे एवं प्रावधानों को परिभाषित करता है।
फ्रेमवर्क समझौता चर्चा के कुछ नए क्षेत्रों हेतु प्रावधान करता है एवं भविष्य के उदारीकरण की अवधि निर्धारित करता है।
भारत ने पूर्व समय में आसियान, जापान इत्यादि देशों के साथ फ्रेमवर्क समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
अर्ली हार्वेस्ट स्कीम
अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (ईएचएस) दो व्यापारिक भागीदारों के मध्य एफटीए/सीईसीए/सीईपीए का पूर्ववर्ती है।
उदाहरण के लिए: आरसीईपी के लिए एक अर्ली हार्वेस्ट योजना आरंभ की गई है। इस स्तर पर, समझौता वार्ता करने वाले देश वास्तविक एफटीए वार्ता के समापन तक प्रशुल्क (टैरिफ) उदारीकरण के लिए कुछ उत्पादों का अभिनिर्धारण करते हैं।
इस प्रकार एक अर्ली हार्वेस्ट योजना संवर्धित जुड़ाव एवं विश्वास निर्माण की दिशा में एक कदम है।
अधिमान्य व्यापार समझौता/प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (पीटीए)
पीटीए एक प्रकार का समझौता है जिसमें दो या दो से अधिक भागीदार कुछ उत्पादों में प्रवेश का अधिमान्य अधिकार प्रदान करते हैं। यह प्रशुल्क( टैरिफ) लाइनों की एक सहमत संख्या पर प्रशुल्कों को कम करके किया जाता है।
इस व्यापार समझौते में, एक सकारात्मक सूची अनुरक्षित की जाती है, अर्थात उन उत्पादों की सूची, जिन पर दोनों भागीदारों ने अधिमान्य/तरजीही पहुंच प्रदान करने हेतु सहमति व्यक्त की है।
यहां तक कि एक अधिमान्य व्यापार समझौते में भी कुछ उत्पादों हेतु प्रशुल्क घटाकर शून्य किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए: भारत ने अफगानिस्तान के साथ एक अधिमान्य व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।
मुक्त व्यापार समझौता/फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) एक ऐसा समझौता है जहां दो या दो से अधिक देश भागीदार देश को अधिमान्य व्यापार शर्तें, प्रशुल्क रियायतें इत्यादि प्रदान करने हेतु सहमत होते हैं।
इस समझौते में, समझौता करने वाले देशों द्वारा उत्पादों एवं सेवाओं की एक नकारात्मक अनुरक्षित की जाती है, जिन पर एफटीए की शर्तें लागू नहीं होती हैं, अतः यह अधिमान्य व्यापार समझौते की तुलना में अधिक व्यापक है।
भारत ने आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) जैसे कुछ व्यापारिक समूहों (ब्लॉकों) के साथ अनेक देशों जैसे श्रीलंका के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं।
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता/कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए)
साझेदारी समझौता अथवा सहयोग समझौता मुक्त व्यापार समझौते की तुलना में अधिक व्यापक है।
सीईसीए/सीईपीए व्यापार के नियामक पहलू की भी जांच पड़ताल करता है एवं नियामक मुद्दों को सम्मिलित करने वाले एक समझौते को शामिल करता है।
सीईसीए का आच्छादन (कवरेज) व्यापक है। सीईपीए सेवाओं एवं निवेश तथा आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों में व्यापार पर समझौते को शामिल करता है।
सीईपीए व्यापार सुविधा एवं सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्धा तथा आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) जैसे क्षेत्रों से संबंधित समझौते पर भी विचार कर सकता है।
उदाहरण के लिए: भारत ने दक्षिण कोरिया एवं जापान के साथ सीईपीए पर हस्ताक्षर किए हैं।
व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता/कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एग्रीमेंट (सीईसीए)
सीईसीए आम तौर पर केवल व्यापार शुल्क एवं टीक्यूआर दरों पर समझौतों को सम्मिलित करता है। याद, यह सीईपीए जितना व्यापक नहीं है। भारत ने मलेशिया के साथ सीईसीए पर हस्ताक्षर किए हैं।
सीमा शुल्क संघ/कस्टम्स यूनियन
एक सीमा शुल्क संघ दो या दो से अधिक देशों के मध्य व्यापार बाधाओं को दूर करने एवं जोखिम मुक्त व्यापार क्या है प्रशुल्कों को कम अथवा समाप्त करने हेतु एक समझौता है। एक सीमा शुल्क संघ के सदस्य आम तौर पर गैर-सदस्य देशों से आयात पर एक सामान्य बाह्य प्रशुल्क आरोपित करते हैं।
आर्थिक संघ/इकोनॉमिक यूनियन
एक आर्थिक संघ दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं, सेवाओं, मुद्रा एवं श्रमिकों को स्वतंत्र रूप से सीमाओं के पार जाने की अनुमति प्रदान करने हेतु एक समझौता है।
संबंधित देश इस उभयनिष्ठ बाजार का समर्थन करने के लिए सामाजिक एवं वित्तीय नीतियों का समन्वय भी कर सकते हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) आर्थिक संघ का एक उदाहरण है।
Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) क्या है?
13 फरवरी, 2022 से भारतीय विदेश मंत्री की मनीला की तीन दिवसीय यात्रा से पहले फिलीपींस ने यह निर्णय लिया है। भारत और फिलीपींस द्वारा जनवरी 2022 में 374.96 मिलियन अमरीकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह यात्रा निर्धारित की गई थी। इस सौदे के तहत भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात करेगा।
FFF द्वारा स्थिति पत्र
देश के Federation of Free Farmers (FFF) ने एक स्थिति पत्र जारी किया और किसानों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श की कमी के कारण देश की सीनेट से मुक्त व्यापार समझौते की सहमति को स्थगित करने का आग्रह किया। इसने प्रस्तावित RCEP नियमों पर भी चेतावनी दी जो “व्यापार उपायों की प्रभावशीलता और आवेदन में बाधा उत्पन्न करेंगे”।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक जोखिम मुक्त व्यापार क्या है भागीदारी ( Regional Comprehensive Economic Partnership – RCEP )
RCEP ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चीन, कंबोडिया, जापान, इंडोनेशिया, लाओस, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के एशिया-प्रशांत देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। RCEP के 15 सदस्य देशों में दुनिया की आबादी का लगभग 30% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30% हिस्सा है। इस प्रकार, RCEP इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक है। यह पहला मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें चीन, जापान, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया सहित एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं।
RCEP कब पेश किया गया था?
RCEP को पहली बार नवंबर 2011 में इंडोनेशिया के बाली में 19 वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान पेश किया गया था। इसके लिए बातचीत 2013 की शुरुआत में शुरू हुई थी।
क्या भारत RCEP का सदस्य है?
मूल रूप से, भारत 2011 में RCEP मसौदा समिति का सदस्य था। हालाँकि, 2019 में, भारत ने कुछ चिंताओं का हवाला देते हुए समझौते से बाहर होने का निर्णय लिया। इन चिंताओं में घरेलू उद्योगों को आयात से उत्पन्न जोखिम भी शामिल था।
RCEP का उद्देश्य
इस मुक्त व्यापार समझौते का उद्देश्य आसियान सदस्य देशों और FTA भागीदारों को उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह 20 वर्षों में टैरिफ की सीमा को भी समाप्त कर देगा।
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