निखिल कामथ का दो इंडिकेटर्स के आधार पर कहना है कि भारतीय शेयर बाजार दुनिया के अन्य देशों के बाजारों से एक्सपेंसिव है. पहला उन्होंने बताया कि निफ्टी-50 का इंडेक्स पीई रेशियो (Index PE Ratio), एसएंडपी 500 (S&P) और निक्की 225 (Nikkei) से भी ज्यादा है, जो कि इसे सबसे महंगा बाजार बनाता है. रिपोर्ट के मुताबिक हाई पीई इंडेक्स रेशियो ज्यादा होने का मतलब होता है कि बाजार की जो टोटल वैल्यू है उसके अनुपात में उतना रिटर्न नहीं है. ऐसे में निफ्टी दुनिया के सबसे महंगे शेयर बाजारों में से एक है.

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दुनिया में इस वजह से है टॉप पर Nifty, Zerodha के फाउंडर ने समझाया पूरा गणित

दुनिया के सबसे महंगे बाजारों में भारतीय स्टॉक मार्केट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2022,
  • (अपडेटेड 25 जून 2022, 7:17 PM IST)
  • Nifty-50 का इंडेक्स पीई रेशियो 19.9
  • शेयर मार्केट का बफेट इंडिकेटर 94%

भले ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 (Nifty 50) इंडेक्स अपने अभी अपने रिकॉर्ड हाई से 16 फीसदी नीचे आ गया है, लेकिन इसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) दुनिया के अन्य स्टॉक मार्केटों की तुलना में सबसे ज्यादा एक्सपेंसिव है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि जेरोधा (Zerodha) और ट्रू-बीकन (True Beacon) के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) ने इसका पूरा गणित समझाया है. कामथ के मुताबिक अमेरिका और जापान के बाजार भी भारत से सस्ते हैं.

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पीई रेशियो (प्राइस अर्निंग रेशियो) की गणना इंडेक्स मार्केट कैप (Market Cap) को ग्रॉस इनकम से डिवाइड करके निकाली जाती है. आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब निफ्टी पर लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू और उनसे हासिल होने वाले रिटर्न का अनुपात है. निफ्टी का इंडेक्स पीई अनुपात अभी 19.9 है, जबकि एसएंडपी और निक्की का क्रमशः 18.95 और 18.79 है. इसके अलावा ब्रिटेन, जापान, शंघाई, ब्राजील और जर्मनी जैसे अन्य बाजारों के प्रमुख इंडेक्स भारत की तुलना में और भी ज्यादा सस्ते हैं.

शेयर बाजार

बफे इंडिकेटर के हिसाब से यहां

दूसरा संकेतक बफे इंडिकेटर (Buffett Indicator) है. इसका जिक्र करते हुए कामथ ने कहा कि इसके आधार पर भी भारतीय शेयर बाजार सबसे महंगे बाजारों में से एक है. इस इंडिकेटर को दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे ने शुरू किया था, इस इंडिकेटर में देश की जीडीपी से इंडेक्स मार्केट कैप को डिवाइड करके गणना की जाती है. पीई रेशियो की तरह ही हाई बफे इंडिकेटर भी महंगे बाजार की ओर संकेत करता है.

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डीएनए हिंदी: जुलाई के महीने में शेयर बाजार (Share Market) में करीब 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. आंकड़ों के अनुसार सेंसेक्स (Sensex) 8.81 फीसदी और निफ्टी (Nifty50) में 8.92 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. जिसकी वजह से बीएसई के मार्केट कैप (BSE Market Cap) में इस महीनं में 22.70 मार्केट कैप का गणित लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसका मतलब है कि इस दौरान निवेशकों की जेब में हर एक मिनट में 54 करोड़ रुपये से ज्यादा आए हैं. वास्तव में यूएस के इकोनॉमिक डाटा, आने वाले महीनों में फेड पॉलिसी का नरम रुख और डॉलर के मुकाबले रुपये में तेजी की वजह से लगातार तीसरे जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर जुलाई के महीने में शेयर बाजार किस तरह के आंकड़ों को देख रहा है.

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पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल (Crude Oil) की चर्चा है. खासकर रूसी क्रूड ऑयल (Russian Crude Oil) की, जिस पर जी7, यूरोप और सहयोगी देशों ने 60 डॉलर की कैपिंग कर दी है. इसका मतलब है कि रूस अब 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की कीमत पर क्रूड ऑयल नहीं बेच सकता है. वहीं दूसरी ओर भारत को रूसी ऑयल जी7 की कैपिंग से भी 11 डॉलर सस्ता मिल सकता है.

अगर ऐसा हुआ तो भारत 8 सालों में सबसे सस्ता क्रूड ऑयल (Cheapest Crude Oil) ख​रीदेगा. जिसकी वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम (Petrol Diesel Price) में 30 से 35 रुपये गिरावट आ सकती है. आइए बताते हैं कि आखिर तेल के इस खेल में भारत को मार्केट कैप का गणित कैसे और किस तरह से फायदा हो सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी नोड काउंट (Cryptocurrency node count)

नोड काउंट यह बताता है कि किसी नेटवर्क पर कितने एक्टिव वॉलेट्स हैं. इससे समझ आता है कि किस क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू कम है, किसकी ज्यादा. अगर किसी निवेशक को यह पता लगाना है कि किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें सही हैं या नहीं या फिर ओवरबॉट के चलते बढ़ गई हैं (ओवरबॉट मतलब किसी करेंसी को ज्यादा खरीदे जाने के चलते इसकी कीमतें बहुत बढ़ जाना) तो निवेशक को उसका नोड काउंट और कुल मार्केट कैप देखना होगा. इसके बाद इन दोनों की दूसरे क्रिप्टोकरेंसी से तुलना करनी होगी, इससे आपको उस क्रिप्टोकरेंसी की सही कीमत पता चल जाएगी. नोड काउंट से यह भी पता चलता है कि कोई क्रिप्टो कम्युनिटी कितनी मजबूत है. जिस कम्युनिटी के जितने ज्यादा नोड काउंट होंगे वो उतनी ज्यादा मजबूत होगी.

किसी क्रिप्टोकरेंसी की जानकारी लेने के लिए आप ऑनलाइन क्रिप्टो एक्सचेंज चेक कर सकते हैं. इसपर आपको किसी भी क्रिप्टो का मार्केट कैप, पिछले हफ्तों और महीनों में उसकी परफॉर्मेंस, सर्कुलेशन में उसकी कितनी करेंसी है, उसकी मौजूदा रेट क्या है और पहले रेट क्या था, वगैरह जैसी जानकारी एक्सचेंज पर मिलती है. इन एक्सचेंज पर बिटकॉइन, इथीरियम, टेदर और डॉजकॉइन जैसी कई दूसरी कॉइन्स को कुछ फीस चुकाकर ट्रेडिंग भी की जाती है.

किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय करना

किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय करने का सबसे प्रभावी तरीका उसकी मांग को देखकर कीमत तय करना है. किसी क्रिप्टो में निवेशकों की ओर से बढ़ रही मांग के चलते उस कॉइन की कीमतें बढ़ जाती हैं. इसके उलट, अगर किसी कॉइन टोकन सप्लाई ज्यादा है, लेकिन उसकी डिमांड कम है, तो इसकी कीमतें गिर जाएंगी. इसके अलावा एक और चीज है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय होती है- वो है इसकी उपयोगिता. यानी कि वो करेंसी कितनी यूज़फुल यानी उपयोगी है. अगर किसी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग प्रक्रिया ज्यादा कठिन है, तो इसका मतलब है कि उसकी सप्लाई बढ़ाना भी मुश्किल होगा, ऐसे में अगर डिमांड सप्लाई से ज्यादा हो गई तो उसकी कीमतें ज्यादा हो जाएंगी.

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इसे अपनाए जाने को लेकर लोगों का रुख (Mass adoption)

अगर ज्यादा से ज्यादा लोग किसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करेंगे तो उसकी कीमतें बेतहाशा बढ़ जाएंगी. लेकिन फिर भी आम जनता के बीच में इन्हें अपनाया जाना अभी बहुत दूर की बात दिखाई देती है क्योंकि इसमें कई वास्तविक पेचीदगियां हैं जो हमारे मौजूदा सिस्टम के हिसाब से परेशानी पैदा करेंगी.फ्लैट करेंसी का इस्तेमाल लेन-देन में जिस स्तर पर होता है, क्रिप्टो का वैसा इस्तेमाल नहीं हो सकता, या नहीं हो रहा है. इन कॉइन्स को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए इनकी उपयोगिता बढ़नी जरूरी है, वहीं यह फैक्टर भी काम करेगा कि वो डील खरीददार को कितनी फायदे वाली लगती है.

क्रिप्टोकरेंसी बाजार अभी बहुत नया है और अधिकतर लोग इस इंडस्ट्री से बहुत परिचित नहीं हैं. ऐसे नए बाजारों में ऐसा होता है कि इसमें बहुत उतार-चढ़ाव देखा जाता है. लेकिन क्रिप्टो बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रहने का यह कारण भी होता है कि ऐसे बहुत से व्हेल अकाउंट होते हैं, जिनके पास बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसी कॉइन्स होती हैं, और वो प्रॉफिट बुकिंग के लिए बाजार को प्रभावित करते हैं.

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