Updated Thu, 15 Dec 2022 11:46 PM IST
भारतीय व्यापारियों के लिए सेवाएं
साल 1991-92 के आर्थिक सुधारों के बाद, भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा खास तौर पर आईटी और आईटीईएस के लिए बाहरी व्यापार में उदारीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क का उन्मूलन, देश के भीतर और बाहर दोनों ही प्रकार के निवेशों पर नियंत्रण में ढील और विदेशी मुद्रा एवं राजकोषीय उपायों ने भारत में इस क्षेत्र पनपने और देश को विश्व के अपतटीय सेवाओं में प्रमुख स्थान हासिल कनरे में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। भारत सरकार द्वारा प्रमुख वित्तीय प्रोत्साहन निर्यातोन्मुख इकाईयों (ईओयू), सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए दिया गया है।
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी)
देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, 1991 में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं भारतीय व्यापारियों के लिए सेवाएं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क की स्थापना एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गई थी। सॉफ्टवेयर निर्यात समुदाय के लिए एसटीपीआई द्वारा दी जाने वाली सेवाएं – सांविधिक सेवाएं, डाटा कम्युनिकेशन सर्वर, ऊष्मायान सुविधाएं (इनक्यूबेशन फैसिलिटीज), प्रशिक्षण औऱ वैल्यू एडेड सेवाएं, हैं। एसएमई और नई इकाईयों पर विशेष फोकस के साथ एसटीपीआई ने सॉफ्टवेयर निर्यात के प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण विकासात्मक भूमिका निभाई है। एसटीपी योजना जो कि 100% निर्यातोन्मुख योजना है, सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास को बढ़ावा देने में सफल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में एसटीपी इकाईयों द्वारा किए गए निर्यात में वृद्धि हुई है।
एसटीपी योजना सॉफ्टवेयर कंपनियों को सुविधाजनक और सस्ते स्थानों पर परिचालन करने और व्यापार की जरूरत के लिहाज से उनकी निवेश औऱ विकास की योजना बनाने की अनुमति देता है। एसटीपी योजना के तहत 4000 से भी ज्यादा इकाई पंजीकृत हैं।
एसटीपी योजना के तहत मिलने वाले लाभः
- आयात पर सीमा शुल्क में पूर्ण छूट।
- स्वदेशी खरीद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क पर पूर्ण छूट।
- C के खिलाफ स्वदेशी खरीद पर केंद्रीय बिक्री कर की प्रतिपूर्ति।
- सभी प्रासंगिक उपकरण/ वस्तुएं जिसमें भारतीय व्यापारियों के लिए सेवाएं दूसरे से लिए गए (सेकेंड हैंड) उपकरण भी शामिल हैं, का आयात किया जा सकता है ( निषिद्ध वस्तुओं को छोड़कर)।
- उपकरणों का आयात ऋण/ पट्टे पर भी किया जा सकता है।
- ऑटोमेटिक रूट के जरिए 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है ।
- निर्यात के एफओबी मूल्य का 50% तक डीटीए में बिक्री की इजाजत है।
- प्रशिक्षण के लिए आयातित कंप्यूटर का इस्तेमाल कुछ शर्तों के अधीन है।
- पांच वर्षों में कंप्यूटर पर मूल्यह्रास त्वरित दरों में 100% तक की अनुमति है।
एसटीपीआई वेबसाइट पर जाने के लिए यहां क्लिक करें– http://www.stpi.in/ (बाहरी वेबसाइट नई विंडो में खुलेंगे) ।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स– एसईजेड) योजना
साल 2005 में, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के वाणिज्य विभाग ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी एवं निर्यात के लिए बाधा मुक्त वातावरण प्रदान कनरे के उद्देश्य से विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम को अनियमित किया था।
सेज को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, "विशेष रूप से सीमांकिंत शुल्क मुक्त परिवृत्त (एन्क्लेव) और व्यापार संचालन उद्देश्यों और कर्तव्यों एवं शुल्कों के प्रयोजन के लिए इसे विदेशी जमीन समझा जाएगा (सीमा शुल्क अधिकार क्षेत्र से बाहर)"। एसईजेड नियमों द्वारा समर्थित एसईजेड अधिनियम, 2005 10 फरवरी 2006 से प्रभावी हुआ। यह केंद्र और राज्य सरकारों से जुड़े मामलों पर बेहद सरल प्रक्रिया और एक सिंगल विंडो क्लियरेंस नीति प्रदान करता है। यह योजना बड़े उद्योगों के लिए आदर्श है और भविष्य के निर्यातों और रोजगार पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
एसईजेड योजना एसईजेड इकाईयों को अप्रत्यक्ष करों के संबंध में एसटीपीआई के तहत आने वाली इकाईयों के मुकाबले परिचालन विवरणों में कुछ मामूली अंतर के साथ वैसी ही सुविधाएं प्रदान करता है। इसलिए यहां आयकर छुट्टी (इनकम टैक्स हॉलिडे) के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर है। एसईजेड योजना में परिचालन शुरु होने की तारीख से आगले 15 वर्षों तक आयकर में बहुत छूट मिलती है। यहां पहले पांच वर्षों में निर्यात लाभों पर आयकर में 100% की छूट, अगले पांच वर्षों में 50% और फिर अगले पांच वर्षों में 50% की छूट दी जाती है जो विशेष भंडार में मुनाफे के हस्तांतरण के अधीन है।
एसईजेड नीति का उद्देश्य वैश्विक स्तर के व्यवसायों के लिए विश्व स्तरीय संरचनात्मक सुविधाएं, उपयोगिता और सेवाओं हेतु प्रतिस्पर्धी, सुविधाजनक और एकीकृत क्षेत्र (जोन) बनाना है। एसईजेड अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण में राज्य सरकारों की भूमिका पर गौर किया गया है। एसईजेड योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैः
- एसईजेड इकाईयों के विकास, संचालन और रख–रखाव के लिए शुल्क मुक्त निर्यात/ वस्तुओं की घरेलू खरीद।
- एसईजेड इकाईयों के लिए पहले पांच वर्षों में निर्यात लाभों पर 100% आयकर छूट, अगले पांच वर्षों में 50% और उसके बाद अगले पांच वर्षों में वापस जोत लाभ (प्लॉज्ड बैक प्रॉफिट्स) पर 50%।
- केंद्रीय मुहर कर ( सेंट्रल सील टैक्स) से छूट।
- सेवा कर से छूट।
- केंद्रीय और राज्य स्तर की मंजूरी के लिए एकल खिड़की मंजूरी (सिंगल विंडो क्लियरेंस)।
इस योजना का भविष्य के निर्यातों और रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। करीब 235 आईटी– आईटीईएस विशेष एसईजेड को डीओसी ने अधिसूचित किया है।
भारत सरकार
भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) भारत की प्रमुख व्यापार संवर्धन एजेंसी है,जो व्यापार और उद्योग के लिए सेवाओं का एक व्यापक स्पेक्ट्रम प्रदान करता है और भारत के व्यापार के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। आईटीपीओ के मुख्य कॉर्पोरेट उद्देश्य हैं:
भारत और विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों का आयोजन करने और भागीदारी करने के द्वारा लागत प्रभावी तरीके से भारत के बाहय और घरेलू व्यापार को बढ़ावा देना; खरीदार-विक्रेता बैठकें आयोजित करना और विदेशों में प्रचार कार्यक्रमों से संपर्क करना; विदेशों में विदेशी बाजार सर्वेक्षण करना, आदान-प्रदान करना और विदेश में प्रचार कार्यक्रमों से संपर्क करना; विदेशी बाजार सर्वेक्षण करना, व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों की यात्राओं का आदान-प्रदान और समन्वय करना, और विशिष्ट क्षेत्रों / बाजारों में व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए आवश्यकता आधारित अनुसंधान प्रारंभ करना
भारत और विदेशों दोनों में बाजारों तक पहुँचने के लिए छोटे और मध्यम उद्यमों का समर्थन और सहायता करना;
व्यापार की जानकारी का प्रसार और ई-कॉमर्स / व्यापार सुगम करना ;
गुणवत्तापूर्ण भौतिक अवसंरचना, सेवाओं और प्रबंधन को विकसित करना ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के व्यापार संवर्धन कार्यक्रमों जैसे सम्मेलनों और व्यापार प्रदर्शनियों को आयोजित करने में सक्षम बनाया जा सके; तथा भारत के बाहरी और घरेलू व्यापार के व्यापार संवर्धन में राज्य सरकारों, अन्य सरकारी व्यापार संवर्धन एजेंसियों, व्यापार और उद्योग संघों की भागीदारी और समर्थन को सूचीबद्ध करना।
प्रगति मैदान नई दिल्ली में अपने मुख्यालय, और बैंगलोर, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में क्षेत्रीय कार्यालय के साथ आईटीपीओ भारत और विदेशों में अपने कार्यक्रमों में देश के विभिन्न क्षेत्रों से व्यापार और उद्योग की प्रतिनिधि भागीदारी सुनिश्चित करता है ।
पेटीएम ने व्यापारियों के लिए आवर्ती भुगतान सेवा शुरू की
पेटीएम ने उन व्यापारियों के लिए एक आवर्ती भुगतान सेवा शुरू की है जो एक डिजिटल सदस्यता मॉडल पर काम कर रहे हैं. यह कदम सदस्यता-आधारित व्यवसायों को अपने ग्राहकों से अनायास भुगतान प्राप्त करने की अनुमति देगा.
आवर्ती भुगतान एक स्वचालित भुगतान प्रणाली है जिसमें व्यापारी अपने ग्राहकों को पूर्व-नियत समय पर निर्दिष्ट सेवा के लिए शुल्क लेते हैं.
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हाथरस : व्यापारियों व अधिकारियों के बीच जीएसटी को लेकर भारतीय व्यापारियों के लिए सेवाएं हुआ मंथन
अलीगढ़ ब्यूरो
Updated Thu, 15 Dec 2022 11:46 PM IST
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हाथरस
संयुक्त उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल व अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले बैठक हुई। इस मौके पर जीएसटी पंजीकरण को लेकर व्यापारियों व अधिकारियों के बीच चर्चा हुई। अध्यक्षता अशोक बागला ने की।
बैठक में जीएसटी के उपायुक्त सुनील कुमार ने कहा कि जीएसटी पंजीकरण लेने से व्यापारियों को कई लाभ हैं। पंजीकरण लेने के बाद व्यापारी खुलकर व्यापार कर सकता है। उसे अपने व्यापार को सुगमता से चलाने में मदद मिलती है। यदि किसी व्यापारी को दिया हुआ अन्य व्यापारी का कोई चेक बाउंस हो जाता है तो विभाग को सूचित करने पर उस व्यापारी की आईटीसी विभाग द्वारा रोक दी जाती है।
उन्होंने बताया कि जीएसटी से संबंधित कोई भी सहायता के लिए हेल्प डेस्क नंबर 7235002274 पर संपर्क करें। अखिल भारतीय व्यापार मंडल के प्रदेश मंत्री योगा पंडित और संयुक्त उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के संस्थापक राजीव वार्ष्णेय ने कहा कि प्रमाण पत्र लेने के लिए पैन कार्ड ,आधार कार्ड, व्यापार स्थल संबंधित साक्ष्य और बैंक के दस्तावेज लेकर यदि कोई व्यापारी जीएसटी कार्यालय में जाता है तो उसका तत्काल पंजीकरण कराया जाएगा।
इस मौके पर कपिल अग्रवाल, पदम अग्रवाल, मदन गोपाल, सीटीओ श्यामवीर सिंह, राकेश कुमार अग्रवाल, दिनेश कुमार अग्रवाल, राजेंद्रनाथ चतुर्वेदी, मदन गोपाल वार्ष्णेय, कपिल शर्मा एडवोकेट, लोकेश वार्ष्णेय, भारतीय व्यापारियों के लिए सेवाएं रविंद्र अग्रवाल, माधव शर्मा, मनमोहन वार्ष्णेय आदि थे। संवाद
संयुक्त उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल व अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले बैठक हुई। इस मौके पर जीएसटी पंजीकरण को लेकर व्यापारियों व अधिकारियों के बीच चर्चा हुई। अध्यक्षता अशोक बागला ने की।
बैठक में जीएसटी के उपायुक्त सुनील कुमार ने कहा कि जीएसटी पंजीकरण लेने से व्यापारियों को कई लाभ हैं। पंजीकरण लेने के बाद व्यापारी खुलकर व्यापार कर सकता है। उसे अपने व्यापार को सुगमता से चलाने में मदद मिलती है। यदि किसी व्यापारी को दिया हुआ अन्य व्यापारी का कोई चेक बाउंस हो जाता है तो विभाग को सूचित करने पर उस व्यापारी की आईटीसी विभाग द्वारा रोक दी जाती है।
उन्होंने बताया कि जीएसटी से संबंधित कोई भी सहायता के लिए हेल्प डेस्क नंबर 7235002274 पर संपर्क करें। अखिल भारतीय व्यापार मंडल के प्रदेश मंत्री योगा पंडित और संयुक्त उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के संस्थापक राजीव वार्ष्णेय ने कहा कि प्रमाण पत्र लेने के लिए पैन कार्ड ,आधार कार्ड, व्यापार स्थल संबंधित साक्ष्य और बैंक के दस्तावेज लेकर यदि कोई व्यापारी जीएसटी कार्यालय में जाता है तो उसका तत्काल पंजीकरण कराया जाएगा।
इस मौके पर कपिल अग्रवाल, पदम अग्रवाल, मदन गोपाल, सीटीओ श्यामवीर सिंह, राकेश कुमार अग्रवाल, दिनेश कुमार अग्रवाल, राजेंद्रनाथ चतुर्वेदी, मदन गोपाल वार्ष्णेय, कपिल शर्मा एडवोकेट, लोकेश वार्ष्णेय, रविंद्र अग्रवाल, माधव शर्मा, मनमोहन वार्ष्णेय आदि थे। संवाद
भारत-ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौता होने से सेवा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा : एसईपीसी
नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के अमल में आने से देश के सेवा निर्यात विशेषकर कानूनी, लेखा और लेखा परीक्षण क्षेत्र की सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) ने शुक्रवार को यह कहा। एसईपीसी के अध्यक्ष सुनील एच तलाती ने बताया कि ब्रिटेन के बाजारों में चिकित्सा प्रतिलिपी (मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन), कानूनी, लेखा और लेखा परीक्षण जैसे घरेलू सेवा क्षेत्रों में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सेवाओं के निर्यात के लिए ब्रिटेन में खासी संभावनाएं हैं। इस समझौते से सेवा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।’’ भारत और ब्रिटेन
एसईपीसी के अध्यक्ष सुनील एच तलाती ने बताया कि ब्रिटेन के बाजारों में चिकित्सा प्रतिलिपी (मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन), कानूनी, लेखा और लेखा परीक्षण जैसे घरेलू सेवा क्षेत्रों में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सेवाओं के निर्यात के लिए ब्रिटेन में खासी संभावनाएं हैं। इस समझौते से सेवा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।’’
भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौते पर चर्चा इस महीने के अंत तक पूरी हो जाने की उम्मीद है। इस समझौते को विचारों के आदान-प्रदान के कुछ समय बाद लागू किया जाएगा।
तलाती ने कहा कि निर्यात में अच्छी वृद्धि को देखते हुए परिषद को ऐसी उम्मीद है कि 2022-23 के लिए तय 300 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। 2021-22 में यह 254 अरब डॉलर था।
परिषद के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के बीच सेवा निर्यात बढ़कर 71 अरब डॉलर हो गया जो पिछले वर्ष समान तिमाही में 56.22 अरब डॉलर था।
तलाती ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के आंकड़ों को जुटाने के लिए एक व्यवस्था बनाने की जरूरत है। उन्होंने बताया, ‘‘गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई चार्टर्ड अकाउंटेंट अमेरिका जैसे देशों में सेवा निर्यात करते हैं, इसके आंकड़े अभी जुटाए नहीं जाते हैं।’
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