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कैसे लें गोल्ड लोन, 9 प्‍वाइंट में समझें पूरी प्रक्रिया

अपनी आवश्यकताओं के लिए सही बिल्डर चुनना

अचल संपत्ति में निवेश करने वाले किसी व्यक्ति के लिए सही बिल्डर का चयन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि संपत्ति के निवेश के रूप में ज्यादातर लोगों के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय हैं। जितना आप अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप उपयुक्त घर चुनना चाहते हैं, उतना ही सही डेवलपर को चुनना भी महत्वपूर्ण है, जो आपके लिए उस घर का निर्माण करेगा। आखिरकार, यह आपकी आवश्यकताओं को समझने और आपकी आवासीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह बिल्डर है। इसलिए, आपको केवल एक डेवलपर के लिए जाना चाहिए जो प्रतिष्ठित है, और अतीत में सफल परियोजनाएं प्रदान की हैं। भारत में रीयल्टी मार्केट में असंख्य बिल्डरों के साथ, सही विकल्प बनाने से थोड़ा भ्रमित हो सकता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो भारत में अपनी पहली संपत्ति खरीद रहे हैं आपके रियल एस्टेट निवेश के लिए सही बिल्डर चुनने में आपकी मदद के लिए नीचे दिए गए कुछ सुझाव हैं: अपनी आवश्यकताओं को समझें: अपने सपने की संपत्ति के लिए एक भरोसेमंद बिल्डर की तलाश करने से पहले, आपको अपनी संपत्ति की जरूरतों को ध्यानपूर्वक समझने और उस पर फैसला करना होगा जो आप चाहते हैं। शुरू करने का एक अच्छा तरीका आपके बजट, स्थान और लेआउट की आवश्यकताओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा, और फिर उन बिल्डरों को चुनना होगा जिनके पास आपकी आवश्यकताओं के आधार पर व्यवहार्य विकल्प हैं। विश्वसनीयता: किसी डेवलपर का चयन करते समय सबसे महत्वपूर्ण कारक विश्वसनीयता प्रदान करता है जो इसे प्रदान करता है पिछले संपत्ति चयन प्रक्रिया को समझें परियोजनाओं की सफलता दर को देखते हुए, मौजूदा ग्राहकों के साथ स्वामित्व अनुभव पर चर्चा करके और एक बुद्धिमान निर्णय लेने से बिल्डर की विश्वसनीयता की जांच करना आवश्यक है। यह भी जांचना महत्वपूर्ण है कि क्या डेवलपर्स द्वारा डिलीवरी समयसीमाएं पूरी हो गई हैं और वे कितनी बार ऐसा करने में सक्षम थे। मूल्य प्रशंसा: डेवलपर द्वारा पिछली लॉन्च की गई प्रोजेक्ट्स के पुनर्विक्रय मूल्य पर एक त्वरित जांच आपको एक अंतर्दृष्टि देगा कि क्या डेवलपर ने अच्छा मूल्य प्रशंसा का पिछले रिकॉर्ड किया है या नहीं। अधिकांश बिल्डर और rsquo; पिछले परियोजनाओं में एक स्थिर मूल्य प्रशंसा यह सुनिश्चित करेगी कि आप अपने पैसे को सही हाथों में रख रहे हैं और विशेष रूप से निवेश प्रयोजनों के लिए संपत्ति खरीदने की तलाश करने वालों के लिए यह महत्वपूर्ण है पारदर्शिता: आपके बिल्डर को बुकिंग राशि सौंपने से पहले, यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि संपत्ति से संबंधित सभी दस्तावेज जगह में हैं। फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी के सबूतों की जांच करें और सुनिश्चित करें कि बिल्डर के निर्माण के बारे में संरचना के लिए आवश्यक सभी सरकारी मंजूरी है। अगर डेवलपर बुकिंग प्रक्रिया में 100% पारदर्शिता प्रदान नहीं करता है, तो इस तरह के अनुबंध में शामिल होने से बचें। अधिक रियल एस्टेट टिप्स और सलाह के लिए, प्रॉपटीगर.कॉम पर जाएं

पिता की संपत्ति पर बेटी कब कर सकती है दावा, कब नहीं? जानें, क्या कहता है हिंदू उत्तराधिकार कानून

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सांकेतिक तस्वीर।

3. अगर वसीयत लिखे बिना पिता की मौत हो जाती है
अगर वसीयत लिखने से पहले पिता की मौत हो जाती है तो सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी संपत्ति पर समान अधिकार होगा। हिंदू उत्तराधिकार कानून में पुरुष उत्तराधिकारियों का चार श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया है और पिता की संपत्ति पर पहला हक पहली श्रेणी के उत्तराधिकारियों का होता है। इनमें विधवा, बेटियां और बेटों के साथ-साथ अन्य लोग आते हैं। हरेक उत्तराधिकारी का संपत्ति पर समान अधिकार होता संपत्ति चयन प्रक्रिया को समझें है। इसका मतलब है कि बेटी के रूप में आपको अपने पिता की संपत्ति पर पूरा हक है।

गोल्ड की वैल्युशन

गोल्ड की शुद्धता के आधार पर संस्थान के कर्मचारी संपत्ति चयन प्रक्रिया को समझें इसकी कीमत तय करेंगे. आमतौर पर बैंक और वित्तीय संस्थान सोने की कीमत का 75 फीसद तक ही लोन देते हैं.

नियमों के तहत संस्थान 18 कैरेट और इससे ऊपर की शुद्धता वाले सोने पर ही कर्ज देते हैं. 18 कैरेट से कम शुद्ध सोने पर कर्ज नहीं देते. कई संस्थान 50 ग्राम से ऊपर के सिक्के स्वीकार नहीं करते हैं.

जरूरी कागजात

गोल्ड लोन का आवेदन करने के लिए आपको पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड या पैन की जरूरत पड़ेगी। एड्रेस प्रूफ के लिए राशन कार्ड, बिजली या टेलीफोन बिल दे सकते हैं. इसके साथ ही फोटोग्राफ भी देना होगा. कई संस्थान इनकम प्रूफ भी मांगते हैं.

आपके लिए जो गोल्ड लोन स्वीकृत हुआ है उसकी रकम आपके खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाती है. कुछ फाइनेंस कंपनियां दो लाख रुपए से कम तक की रकम कैश में दे देती हैं. उससे ऊपर की राशि एनईएफटी के जरिए सीधे खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है.

भुगतान का विकल्प

आमतौर पर कर्ज देने वाले संस्थान हर महीने ब्याज की वसूली करते हैं. लोन की अवधि पूरी होने पर एकमुश्त मूलधन जमा कराते हैं. कुछ संस्थान ईएमआई पर भी गोल्ड लोन देते हैं.

ब्याज का समय पर भुगतान न करने पर वित्तीय संस्थान पेनाल्टी लगाते हैं. यदि 14 संपत्ति चयन प्रक्रिया को समझें महीने तक ब्याज का भुगतान नहीं किया है तो वह आपके सोने की नीलामी कर सकते हैं. यह काम करने से पहले कर्जदार को नोटिस जारी किया जाता है.

किसी की मृत्यु के बाद नॉमिनी के नहीं होते बैंक में जमा पैसे, जानिए- फिर किसका होता है हक?

किसी की मृत्यु के बाद नॉमिनी के नहीं होते बैंक में जमा पैसे, जानिए- फिर किसका होता है हक?

जब आप भी कोई निवेश करते हैं या बैंक अकाउंट खुलवाते हैं तो आपको फॉर्म में नॉमिनी की जानकारी देनी होती है.

किसी की भी व्यक्ति के मृत्यु के बाद सबसे ज्यादा चर्चा नॉमिनी और वारिस को लेकर होती है. उस व्यक्ति की संपत्ति पर किसका हक होगा, इसे लेकर काफी बातें की जाती हैं. अक्सर माना जाता है कि अगर बैंक अकाउंट में कोई पैसे जमा हैं तो वो पैसे अकाउंट होल्डर की ओर से बनाए गए नॉमिनी के होंगे तो जमीन पर हक वारिस का बताया जाता है. लेकिन, आपको भी जानकर हैरानी होगी कि नॉमिनी हमेशा उस संपत्ति या पैसे का हकदार नहीं होता है.

क्या होता है नॉमिनी?

मनी9 की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब आप भी कोई निवेश करते हैं या बैंक अकाउंट खुलवाते हैं तो आपको फॉर्म में नॉमिनी की जानकारी देनी होती है. इसका मतलब होता है कि अगर अकाउंट होल्डर की दुर्भाग्यवश मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी के पास ये पास पैसा जाता है. लेकिन, नॉमिनी इस पैसे का असली मालिक नहीं होता है.

कानूनी तौर पर समझें तो नॉमिनी सिर्फ संपत्ति, निवेश या पैसे का सिर्फ ट्रस्टी होती है यानी एक रखवाला होता है. किसी की मृत्यु हो जाने की दशा में बैंक में या एफडी में जमा पैसा नॉमिनी के पास ही जाता है, लेकिन वो इसका हकदार नहीं होता है. सीधे शब्दों में कहें तो नॉमिनी किसी भी संपत्ति का एक केयर टेकर होता है.

फिर कौन होता है उत्तराधिकारी?

जब भी किसी की मृत्यु हो जाती है तो जमीन आदि का मालिकाना हक, उस व्यक्ति के उत्तराधिकारी या वारिस को मिल जाता है. ये बात जानकार आपको हैरान होगी कि नॉमिनी की स्थिति में भी बैंक या एफडी आदि का असली हकदार वारिस ही होता है. अगर नॉमिनी भी बनाया गया है तो ये पैसे पहले नॉमिनी के पास जाएंगे और उस पैसे को नॉमिनी को उत्तराधिकारी को देने होते हैं. वो इसका मालिक नहीं हो सकता है. लेकिन, आपको बता दें कि कुछ फंड या निवेश में ऐसा नहीं होता है. कुछ सेक्टर्स में नॉमिनी ही पैसे का असली हकदार होता है.

बता दें कि बैंक में जमा पैसे, एफडी के लिए नॉमिनी सिर्फ ट्रस्टी होता है. अगर कोई फैमिली मेंबर ही नॉमिनी है तो भी यह पैसे उत्तराधिकारी के पास जाएगा. वहीं, म्यूचुअल फंड और शेयर में भी नॉमिनी सिर्फ ट्रस्टी की भूमिका निभाता है यानी वो पैसे का हकदार नहीं होता है. इसे अलावा पीपीएफ में भी नॉमिनी ट्रस्टी ही होता है.

जेएनयू, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और भारतीय दलित अध्ययन संस्थान संपत्ति चयन प्रक्रिया को समझें द्वारा दो साल तक किए एक अध्ययन में सामने आया है कि देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत हिंदू उच्च जातियों और 3.7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं के पास है.

Mumbai: A top angle view of the Mumbai city, Wednesday, Oct 17, 2018. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad) (PTI10_17_2018_000055B)

प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई

नई दिल्ली: भारत में जाति अब भी व्यक्ति के जीवन में अहम किरदार निभा रही है और शिक्षा, व्यवसाय, आय और संपत्ति जैसे महत्वपूर्ण पहलू जाति के आधार पर निर्धारित हो रहे हैं.

देश में हिंदू समुदाय की उच्च जातियों के 22.3 प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत है और यही लोग सबसे धनाढ्य समूह बनाते हैं. वहीं देश की संपत्ति का केवल 3.7 प्रतिशत हिस्सा 7.8 प्रतिशत अनुसूचित संपत्ति चयन प्रक्रिया को समझें जनजाति के हिंदुओं के पास है, जो देश की संपत्ति का सबसे कम हिस्सा है.

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