क्रिप्टो जैसी वैकल्पिक मुद्राओं (Alternate currencies) की वास्तविक आवश्यकता क्या है?
यह संभव है कि दुनिया के तमाम बड़े निवेशकों ने यह देखते हुए कि पिछले 14-15 वर्षों स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ में विश्व अर्थव्यवस्था में बहुत ही बड़ी मात्रा में प्रमुख संप्रभु मुद्राओं (sovereign currencies) की सपलाई बढ़ी है, अपने पोर्टफोलियो में तेजी से गिरावट का अनुमान लगाया होगा, क्योंकि अब हर जगह केंद्रीय बैंक (Central Banks) महंगाई पर लगाम लगाने के लिए इंफ्यूजन की वापसी को लागू कर रहे हैं। और जैसे जैसे मुद्राओं की वापसी तेजी पकड़ती है स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ निवेशकों के पोर्टफोलियो मार खाते हैं। ऐसे समय में निवेशक वैकल्पिक स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ ऐसी मुद्राओं की तलाश करते हैं जो वैश्विक मुद्राओं से जुड़ी न हों और उनके निवेश को सुरक्षित छुपा कर रखें। अतीत में, स्वर्ण स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ हमेशा ही सार्वभौमिक वैश्विक विकल्प मुद्रा रहा है। किन्सोतु आजकल सोना महंगा स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ है। और जहां तक क्रिप्टो का सवाल है वह उनके लिये एकदम सही है क्योंकि एक और नया क्रिप्टो ब्रांड बनाने के लिए उन्हें वास्तविक लागत की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जाहिर है कि सभी निवेशकों ने क्रिप्टो को नहीं चुना है, बहुतों ने सोने को भी चुना है। यहां तक कि विश्व के सभी सेंट्रल बैंकों ने बड़ी मात्रा में सोने की खरीद भी की है, इससे सोने में भी तेजी आई है। लेकिन, यह स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ पर्याप्त नहीं है क्योंकि सोने में आने वाली बहुत सी लिक्विडिटी इसके बजाय क्रिप्टो मुद्राओं में चली गई है। क्रिप्टो ने मनी लॉन्ड्रर्स को स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ कई सुविधाएं प्रदान की है जो सोना नहीं कर सका। लेकिन क्रिप्टो ने कई नये सिरदर्द भी पैदा किए हैं। पहला तो इसमें अस्थिरता और दूसरा नियामक एजेंसियों के रडार पर आना। संभावना है कि क्रिप्टो कम हो रहा है और जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा यह और लड़खड़ाएगा। संप्रभु लोग या देश (sovereigns), पैसा प्रिन्ट करने के अपने पूर्ण अधिकार को कभी छोड़ने वाले नहीं हैं और सोना 10,000 से अधिक वर्षों से मनुष्य जाति का एकमात्र सार्वभौमिक मुद्रा (universal currency) रहा है और यह भी अपना दावा छोड़ने वाला नहीं है।

Crypto Currencies: आप भी क्रिप्टो में लगाते हैं पैसा तो ठहरिए, जान लीजिए इस बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पता भी नहीं चलता, आपका पैसा कहां गया
उनका कहना है- “मेरा तर्क काफी सरल है: क्रिप्टो करेंसी एक ऐसा सिस्टम है जिसमें बड़ी मात्रा में धन को देश की सीमाओं के पार, बिना किसी निशान (trace) के और किसी भी कारणों से स्थानांतरित करने की सहूलियत है। मैं ऐसे किसी वैध कमर्शियल इंटरप्राइज़ के बारे में नहीं जानता जिसे स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ ऐसी सुविधा की आवश्यकता हो। और छोटे निवेशकों को, जो इन गैर-कानूनी उद्यमों के साथ सह-निवेश (co-invest) कर रहे हैं, उन्हें देर सबेर झटका लगने ही वाला था।”

सरकार ने स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ भी लिया है संज्ञान
भारत सरकार ने भी इस पर संज्ञान लिया है। परंतु किसी एक देश की सरकार द्वारा इसे अवैध करार देने से सिर्फ़ उस देश के छोटे निवेशकों को हानि की संभावना ज्यादा है। शायद इसीलिये भारत सरकार ने नाजायज उद्यमों और धारकों (illegitimate holders) के लिये, दंड-स्वरूप, क्रिप्टो संपत्ति पर हुए प्रॉफ़िट पर टैक्स लगाने का फैसला किया। यह कदम सही भी साबित हुआ। क्रिप्टो सिस्टम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले हर जगह बढ़ते ही जा रहे हैं और प्रवर्तन एजेंसियों के यहाँ ऐसे मामलों का अंबार लगा है। यह स्थिर और अस्थिर मुद्राएँ छोटे निवेशकों को क्रिप्टो से सावधान भी कर रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले सैकड़ों करोड़ से लेकर हजारों करोड़ के सामने आ रहे हैं। असली संख्या का अंदाजा लगाना मुश्किल है। लेकिन हर कोई जानता है कि यह नंबर काफी बड़े हैं और छोटे निवेशकों की मुश्किल ऐसे ‘नाजायज़ निवेशकों’ के साथ रहने मात्र से ही बढ़ जाती है।

रेटिंग: 4.30
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 181