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कैसे शेयर बाज़ार (stock market) केवल अद्भुत कंपनियों में निवेश करें में निवेश करें
यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Ara Oghoorian, CPA. आरा ओघूरियन एक सर्टिफाइड फिनेंसिअल अकाउंटेंट (CFA), सर्टिफाइड फिनेंसिअल प्लानर (CFP), एक सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (CPA), और ACap Advisors & Accountants, जो एक बुटीक वेल्थ मैनेजमेंट और लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में फुल सर्विस एकाउंटिंग फर्म के संस्थापक हैं। वित्तीय उद्योग में 26 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, आरा ने 2009 में ACap Asset Management की स्थापना की। उन्होंने पहले फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ सैन फ्रांसिस्को, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी, और रिपब्लिक ऑफ़ आर्मेनिया में वित्त और अर्थव्यवस्था मंत्रालय के साथ काम किया है। सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से आरा ने एकाउंटिंग और फाइनेंस में BS की डिग्री प्राप्त की है, फेडरल रिजर्व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के माध्यम से एक कमीशन बैंक परीक्षक है, चार्टर्ड फाइनेंसियल एनालिस्ट डेसिग्नेशन पर कार्यरत है, एक प्रमाणित वित्तीय नियोजक™ प्रैक्टिशनर है, और एक सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट लाइसेंस रखती है, एक नामांकित एजेंट, और 65 लाइसेंस की सीरीज़ रखते हैं।
किसी स्टॉक में निवेश करने से पहले उसके बारे में कर लें पूरी जानकारी, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
आमतौर पर लोग निवेश करने से पहले समाचार पत्र पढ़ते हैं। आर्थिक मामलों से जुड़े न्यूज चैनल भी देखते हैं। साथ ही साथ बाजार पर भी नजर रखते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या ये सबकुछ करना लाखों कमाने के लिए पर्याप्त होगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। स्टॉक मार्केट का नाम सुनते ही लोगों के मन में नुकसान, घाटा, हानि जैसे शब्द उमड़ने लगते हैं। ऐसा होना भी स्वाभाविक है। कई बार लोग बिना किसी पुख्ता जानकारी या नॉलेज के स्टॉक मार्केट में घुस जाते हैं। जबकि ऐसा करना शत-प्रतिशत गलत है, सैकड़ों बार लोग इसी गलती के कारण न केवल सौ दौै सौ रुपए बल्कि लाखों-लाख के नुकसान में पहुंच जाते हैं। लेकिन इसके उल्ट देखने पर एक और सवाल उठता है कि क्या स्टॉक मार्केट में केवल और केवल नुकसान ही होता है। जबकि ऐसा कहना या सोचना भी एकदम गलत ही है। क्योंकि दुनिया में कई ऐसी नामचीन शख्सियत भी हुई हैं जो न केवल शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए जाने जाते रहे हैं बल्कि उन्हें इस बाजार का बादशाह भी कहा जाए तो ऐसा कहना भी किसी भी एंगल से गलत नहीं होगा।
निवेश से पहले करें ये काम, नहीं होगा नुकसान !
आमतौर पर लोग निवेश करने से पहले समाचार पत्र पढ़ते हैं। आर्थिक मामलों से जुड़े न्यूज चैनल भी देखते हैं। साथ ही साथ बाजार पर भी नज़र रखते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या ये सबकुछ करना लाखों कमाने के लिए पर्याप्त होगा। शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले आपको उस कपंनी से जुड़ी सभी बातों की जानकारी होना जरूरी है, जिसके शेयर में आप निवेश करना चाहते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य बातों का भी ख्याल रखने से घाटा होने की अशंका कम हो जाती है।
शेयर बाजार में सबसे पहले विश्लेषण करना एक महत्वपूर्ण भाग है, जोकि पूरा का पूरा संख्या का खेल है। क्या आप जानते हैं कि निवेश करने से पहले कंपनी के वित्तीय विवरण जैसे बैलेंस शीट, केवल अद्भुत कंपनियों में निवेश करें आय स्टेटमेंट और कैश फ्लो स्टेटमेंट को भी देखना जरूरी होता है। ऐसा करने से जोखिम कम हो जाता है, जिसके बाद इस बात का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित कंपनी भविष्य में कितनी अधिक कमाई कर सकती है।
निवेश करने वाले स्टॉक की आधारभूत जानकारी
इंवेस्टमेंट करने से पहले हमें स्टॉक स्क्रीनर को भी बारीक ढंग से समझ लेना चाहिए, जिसे आप एक ऐसी छननी के तौर पर भी मान सकते हैं जिससे आप बहुत सारे स्टॉक्स में से अच्छे स्टॉक्स निकाल सकते हैं। इसका मतलब है कि स्टॉक चुनने के लिए ऐसी प्रक्रिया बनाना जिसको आप खुद तय करेंगे। इसके जरिए आप अच्छी क्वालिटी के शेयर चुन सकते हैं।
शेयर आईडिया निकालने का यह एक थोड़ा मुश्किल तरीका है। लेकिन कई बार कारगर भी साबित होता रहता है। इसके लिए आपको कंपनियों, कंपनियों से जुड़ी खबरों और कंपनी की ऐसी घटनाओं पर नजर बनाएं रखनी होती है, जिससे आगे चलकर कंपनी को अधिक फायदा हो सके। उदाहरण के तौर पर साल 2013 में जब देश के बड़े टूर ऑपरेटर्स में से एक कॉक्स एंड किंग्स ने एचडीएफसी के केकी मिस्त्री को अपने सलाहकार बोर्ड में शामिल किया था। केकी मिस्त्री को बिजनेस और इंडस्ट्री की अच्छी समझ है, जिसके प्रभाव से उन दिनों HDFC में निवेश करने वाले शख्स के शेयर की कीमत आज 200% तक हो चुकी है जो कि एक बड़ा मुनाफा भी है।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, जिसे आमतौर पर यूलिप पॉलिसी के रूप में जाना जाता है, निवेश और बीमा कवर का एक पूरा पैकेज है जो धन बढ़ाने में मदद करता है। आमतौर पर, यूलिप पारदर्शी और लचीले होते हैं, जिससे व्यक्ति को आवश्यकता के अनुसार अपनी योजना को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है। यह आपको बीमा कवरेज प्रदान करता है और आपको योग्य निवेश विकल्पों में अपने प्रीमियम का एक हिस्सा निवेश करने की अनुमति देता है जिसमें स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड और बहुत कुछ शामिल हैं। यूलिप इंश्योरेंस में निवेशक अपने निवेश को ऋण से इक्विटी में स्वैप कर सकते हैं और इसके विपरीत स्तंभ से पोस्ट तक चलने या दंडित होने की चिंता किए बिना भी कर सकते हैं।
यूलिप प्लान पहली बार 1971 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा पेश किए गए थे और तब से इन योजनाओं को भारतीय बीमा बाजार द्वारा सराहा गया है।
यूलिप प्लान का महत्व क्या है?
यूलिप प्लान आपको 18 साल की उम्र में जल्दी निवेश करने की अनुमति देता है। जब कोई पॉलिसीधारक यूलिप प्लान के लिए नियमित प्रीमियम का भुगतान करता है, तो बीमाकर्ता जीवन बीमा कवर के लिए इसके एक हिस्से का उपयोग करता है। शेष राशि का उपयोग विभिन्न ऋण और इक्विटी निवेशों के लिए किया जाता है, इस प्रकार आपके रिटायरमेंट के बाद के जीवन को वित्तीय रूप से समर्थन देने के लिए पर्याप्त धन जमा होता है। ऐसी योजनाओं का सबसे अनिवार्य हिस्सा यह है कि पॉलिसीधारक लॉक-इन अवधि के बाद किसी भी समय पॉलिसी का कार्यकाल निर्धारित कर सकता है और बाहर निकल सकता है। यूलिप रिटायर होने और रिटायरमेंट के बाद जीवन का आनंद लेना शुरू करने का निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है।
यूलिप प्लान की बेहतर समझ के लिए यहां एक उदाहरण दिया गया है।
30 साल के कमल अपनी पत्नी के साथ यात्रा करने के लिए पर्याप्त धन के साथ 60 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं। वह नियमित और संभावित खर्चों जैसे कि घरेलू आवश्यक वस्तुओं, चिकित्सा बिलों, क्षति और मरम्मत आदि के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, इस प्रकार, उन्होंने अनुमान लगाया कि सेवानिवृत्ति के बाद एक स्वतंत्र और आरामदायक जीवन जीने के लिए लगभग 5 करोड़ रुपये की आवश्यकता होनी चाहिए। कमल अब लगभग 15,000 रुपये के मासिक प्रीमियम के साथ यूलिप प्लान का विकल्प चुन सकते हैं। अपनी सेवानिवृत्ति के समय 60 वर्ष की आयु पर, वह अपनी आवश्यकताओं के आधार पर नियमित आय या एकमुश्त के रूप में रिटर्न प्राप्त करने का निर्णय ले सकता है। यूलिप प्लान आपको लाइफ़ कवर सुरक्षा प्रदान करते हुए आपके प्रीमियम को अपनी पसंद के फ़ंड के प्रकार में निवेश करके काम करते हैं।
यह कैसे काम करता है?
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम का उपयोग धन और जीवन बीमा बनाने के लिए किया जाता है। प्लान के शुरुआती वर्षों में, प्लान के खर्चों के लिए प्रीमियम की एक बड़ी राशि का उपयोग किया जाता है। बाद में, प्रीमियम को दो अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जाता है- निवेश और बीमा।
आपकी पसंद के फंड में निवेश की गई राशि के लिए इकाइयां जारी की जाती हैं; यह ऋण, इक्विटी या दोनों का संयोजन हो सकता है। इकाइयों का आवंटन मूल निधि के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। शुरुआती 2 से 3 प्लान वर्षों में, उच्च खर्चों की कटौती के कारण, फंड का मूल्य कम रहेगा। इसके अलावा, मृत्यु दर में भी मासिक रूप से कटौती की जाएगी। यह किसी व्यक्ति को जीवन बीमा प्रदान करने के लिए बीमा राशि है और आपके द्वारा चुने गए फंड मूल्य के रूप में बदल जाएगी। इन फंडों के रखरखाव के लिए, एक राशि जिसे फंड प्रबंधन शुल्क के रूप में संदर्भित किया जाता है, काट लिया जाएगा।
इन तीन तरीकों से करें निवेश, मंदी के दौरान भी नहीं होगा नुकसान
Investment Tips बीते एक वर्ष से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है. लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनियाभर के देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं. हालांकि इन चुनौतियों और अस्थिर वातावरण के बीच एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था बना हुआ है. एक से पांच वर्ष के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए भारतीय बाजार एक अलग मुकाम बनाए हुए हैं. भारतीय बाजारों का मूल्यांकन अभी भी उनके लंबी अवधि के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है. आरबीआइ, सरकार और कारपोरेट कंपनियों ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है. इसके बावजूद जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है, क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है.
वैश्विक मंदी का भारत पर नहीं होगा खास असर
निमेश शाह का कहना है कि विकसित देशों में बनी मंदी की संभावना का भारत पर कोई खास असर नहीं होगा. बल्कि वैश्विक मंदी से भारत को तेल की ऊंची कीमतें, चालू खाता घाटा और महंगाई जैसी चिंताओं से निपटने में मंदी मदद मिलेगी. शेयर बाजारों में गिरावट पर ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक बाजारों में से एक है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद यूरोप और एशिया में भी भू-राजनीतिक चुनौतियां पैदा हुई हैं, लेकिन भारतीय बाजारों ने इन पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में यह भी देखना होगा की वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे आगे बढ़ते हैं. इस उतार-चढ़ाव और संभावित मंदी के माहौल में निवेश में विविधता लाना आवश्यक है ताकि किसी भी नुकसान का कम या टाला जा सके.
शाह के मुताबिक, एक एसेट क्लास डेट म्यूचुअल फंड को अब तक ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली है, जबकि बीते 18-20 महीनों में अच्छे रिटर्न ने इसे काफी आकर्षक बना दिया है. उपभोक्ता वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होने के कारण आने वाले समय में आरबीआई रेपो रेट में और वृद्धि कर सकता है. निवेश के दौरान हायर यील्ड को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट-जिसे अब तक लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है (पिछले 18-20 महीनों से) फिर से आकर्षक (attractive) लग रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है और इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी मुद्रास्फीति और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है.
समाधान प्रदान करने वाले म्यूचुअल फंड ऑफर
जब तक फेडरल रिजर्व महंगाई से निपटने के लिए सभी उपायों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. ऐसे में निवेशकों, खासतौर पर भारतीय निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के माध्यम से निवेश करना चाहिए. इक्विटी निवेश के नजरिये से निवेशकों को असेट एलोकेशन जैसे संतुलित लाभ या बहु-परिसंपत्ति श्रेणी पर विचार करना चाहिए. योजनाबद्ध अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी जैसी फीचर्स पर भी विचार किया जा सकता केवल अद्भुत कंपनियों में निवेश करें है.
एसेट क्लास में एक विविध (diversified) पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम (concentration risk) को केवल अद्भुत कंपनियों में निवेश करें कम किया जाए. अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेशक करने का एक बेहतर मौका सामने होता है. वे न केवल महंगाई के खिलाफ, बल्कि मुद्रा मूल्यह्रास (currency depreciation) के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं. निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिये निवेश पर विचार कर सकते हैं. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए गोल्ड या सिल्वर और फंड ऑफ फंड्स एक बेहतर निवेश विकल्प हैं.
निवेशक जागरूक हुए हैं और डायवर्सिफिकेशन के लिए विदेशों बाजारों में पैसा लगाना पसंद कर रहे हैं. आरबीआई के आंकड़ों को देख . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 17:30 IST
भारत के लोगों का विदेशी बाजारों में निवेश लगाता बढ़ रहा है.
तकनीक ने ओवरसीज़ निवेश करना काफी आसान बना दिया है.
भारत में कई म्यूचुअल फंड हाउस विदेशी निवेश का विकल्प मुहैया कराते हैं.
नई दिल्ली. निवेशक इन दिनों विदेशी शेयरों में भी निवेश कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के हिसाब से 2021-22 में भारतीयों ने 19,611 मिलियन डॉलर का निवेश विदेशी बाजारों में किया है. इससे पिछले साल यह महज 12,684 मिलियन डॉलर था.
भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत एक भारतीय एक वित्त वर्ष में 2,50,000 (ढाई लाख) डॉलर विदेश भेज सकता है. रिजर्व बैंक ने समय के साथ इस सीमा में बढ़ोतरी की है. साल 2004 में जब यह स्कीम शुरू हुई थी, तब इसकी सीमा महज 25 हजार डॉलर थी. म्यूचुअल फंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करना आसान हो गया है. इसका प्रोसेस कुछ यूं है…
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