क्रिप्टोकरेंसी भौतिक और आभासी दुनिया के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती है। वे हमें फिएट मुद्रा में डिजिटल संपत्ति के मूल्य और समय के साथ उनके रिटर्न की गणना करने की अनुमति देते हैं। दुनिया भर के एक्सचेंजों पर क्रिप्टो की तरलता भी निवेशकों को सिक्कों और एनएफटी को सीधे खरीदारों को बेचकर मुनाफे का एहसास करने की अनुमति देती है।
Budget 2022: अब Cryptocurrency पर जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को भी लगेगा 30% का टैक्स, जानिए कैसे कर सकते हैं इसमें निवेश
By: ABP Live | Updated at : 01 Feb 2022 01:42 PM (IST)
How Invest in Cryptocurrency: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने देश के सामने वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए बजट संसद में पेश किया है. वित्त मंत्री का यह बजट भाषण करीब 90 मिनट का रहा जिसमें उन्होंने विभिन्न सेक्टर्स के लिए अलग-अलग कई ऐलान किए हैं. अपने भाषण में वित्त मंत्री में ऐलान किया कि वर्चुअल डिजिटल ऐसेट (Virtual Digital Asset) से आमदनी पर 30 फीसदी का टैक्स (30% Tax on Digital Assets) लगेगा. इससे यह साफ हो गया कि क्रिप्टोकरेंसी (Tax on Cryptocurrency) भी इसके दायरे में आ जाएगी और क्रिप्टोकरेंसी से आय (Cryptocurrency Income Tax) पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा. लंबे समय से क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों ने सरकार से वर्चुअल डिजिटल ऐसेट पर अपनी स्थिति को साफ करने की मांग कर रहे थें.
डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स
सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.
क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.
तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.
एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.
दुनिया का पहला क्रिप्टो कार्ड हुआ लॉन्च, ब्याज दिए बिना कर सकेंगे इस्तेमाल
क्रिप्टो कार्ड
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 14 अप्रैल 2022,
- (Updated 14 अप्रैल 2022, 1:37 AM IST)
दुनिया का क्रिप्टो क्रेडिट कार्ड
रुपये या अन्य करेंसी की तरह अब क्रिप्टोकरेंसी का भी क्रेडिट कार्ड लॉन्च हो गया है. जैसे आम क्रेडिट कार्ड रुपये से चलता है वैसे ही क्रिप्टो क्रेडिट कार्ड क्रिप्टोकरेंसी से चलेगा. इस कार्ड को बिटकॉइन, इथीरियम जैसी वर्चुअल करेंसी से ऑपरेट किया जाएगा. दरअसल क्रिप्टोकरेंसी के लिए काम करने वाली कंपनी नेक्सो ने क्रिप्टो क्रेडिट कार्ड लॉन्च करने के लिए मशहूर पेमेंट कंपनी मास्टरकार्ड से हाथ मिलाया है. मास्टरकार्ड और नेक्सो ने मिलकर क्रिप्टो क्रेडिट कार्ड जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को की शुरुआत की है. क्रिप्टोकरेंसी के दिनों दिन बढ़ते प्रचलन को देखते हुए ये कदम उठाया जा रहा है. नेक्सो और मास्टरकार्ड के साथ ने से एक बात तो साफ हो गई कि क्रिप्टो और फाइनेंशियल नेटवर्क अब पार्टनरशिप में काम करेगा. जिससे आने वाले समय में क्रिप्टो करेंसी को बढ़ावा मिलेगा.
क्या है ये क्रिप्टो क्रेडिट कार्ड?
नेक्सो ने साफ किया है कि शुरुआती दिनों में ये केवल यूरोपीय देशों में मिलेगा. इस कार्ड की मदद से आप अपनी क्रिप्टोकरेंसी बेचे बिना ही उससे शॉपिंग कर सकते जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को हैं. बिटकॉइन या दूसरी वर्चुअल करेंसी को इस क्रेडिट कार्ड की गारंटी के तौर पर रखा जाएगा. यानी की बिटकॉइन को गारंटी के रूप में रखते हुए क्रेडिट कार्ड काम करता रहेगा. जैसे दूसरे क्रेडिट कार्ड अनसिक्योर्ड होते हैं और उसकी क्रेडिट लिमिट तय होती है, उसी तरह इस क्रिप्टो क्रेडिट कार्ड की भी लिमिट होगी.
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एनएफटी एक डिजिटल संपत्ति है जो कला संगीत और गेम जैसे इंटरनेट चीजों की प्रतिनिधित्व करती है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से बनाए गए एक प्रामाणिक प्रमाण पत्र के साथ है जो क्रिप्टोक्यूरेंसी को रेखांकित करता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से..
नई दिल्ली, सौरभ वर्मा। मेटावर्स की एक वर्चुअल यानी आभाषी दुनिया होगी। इस वर्चुअल दुनिया में नॉर्मल करेंसी नहीं चलेगी। मेटावर्स वर्ल्ड की अपनी सेलेक्टेड करेंसीज होंगी। यह करेंसी ब्लॉकचेन बेस्ड होगी। जिस पर किसी देश या फिर सरकार का कंट्रोल नहीं होगा। साथ ही एक मेटवर्स से दूसरे मेटावर्स में आने जाने के लिए अगल-अलग करेंसी की जरूरत जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को नहीं होगी। ऐसे में करेंसी एक्सचेंज नहीं कराना होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मेटावर्स में कैसी करेंसी काम करेंगी। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
NFT क्या है? What is NFT?
NFT यानी नॉन-फंजिबल टोकन एक तरह का डिजिटल एसेट है जिसे ना तो बदला जा सकता है जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को और ना ही इंटरचेंज किया जा सकता है, क्योंकि इसमें यूनिक गुण है। एनएफटी एक डिजिटल संपत्ति है जो कला, संगीत और गेम जैसे इंटरनेट चीजों की प्रतिनिधित्व करती है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से बनाए गए एक प्रामाणिक प्रमाण पत्र के साथ है, जो क्रिप्टोक्यूरेंसी को रेखांकित करता है।
फंजिबल का अर्थ है कि दो चीजें आपस में इंटरचेंजेबल हैं, जैसे कि 100 रुपये के नोट- मान लीजिए कि आपके पास 100 रुपये का एक नोट है। इसे किसी दूसरे 100 रुपये के नोट से बदला जा सकता है, इसलिए यह फंजीबल असेट है।
एक नॉन फंजीबल टोकन (Non-fungible token) एक वित्तीय सुरक्षा है, जिसमें एक ब्लॉकचेन में संग्रहीत डिजिटल डेटा होता है, जो वितरित खाता (Distributed Ledger) का एक रूप है। एनएफटी का ownership ब्लॉकचैन में दर्ज किया जाता है, और मालिक द्वारा transfer (हस्तांतरित) किया जा सकता है, जिससे एनएफटी को बेचा और व्यापार किया जा सकता है।
चीन ने Bitcoin को किया बैन, क्रिप्टो की दुनिया में मची हलचल, जानें वजह
नई दिल्ली: चीन के सेंट्रल बैंक (China Central Bank) ने बिटकॉइन को बैन कर दिया है. साथ ही क्रिप्टो करेंसी से लेन-देन को गैरकानूनी घोषित कर दिया है. जिसके बाद Bitcoin समेत कई जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को क्रिप्टो करेंसी में गिरावट देखी गई. द पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एक बयान में कहा है, वित्तीय जानें वर्चुअल करंसी की दुनिया को कामकाज के लिए किसी तरह की वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल अवैध है. क्रिप्टो करेंसी के कारोबरा में चीन दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट माना जाता है. चीन के सेंट्रल बैंक ने कहा, वर्चुअल करेंसी के लिए ट्रेडिंग, ऑर्डर मैचिंग, टोकन जारी करने और डेरिवेटिव जैसी सेवाओं पर पूरी तरह से रोक है. बता दें कि चीन क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है.
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