ट्रेडिंग खाते: संचालन की प्रणाली और होने के फायदे

ट्रेडिंग खातों ने लोगों के शेयर बाजार में काम करने के तरीके में क्रांति ला दी है। शेयरों को बनाए रखने का ट्रेडिंग के टाइप यह नया तरीका ओपन आउटरी की पुरानी प्रणालियों की तुलना में अधिक सुविधाजनक और तेज साबित हुआ है। ट्रेडिंग खातों की सहायता से, भौतिक संपर्क और उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे दोनों पक्षों के लिए समय की बचत होती है।

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Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती है? जानिए

Types of Trading in India: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)

Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रुचि रखने वालों के लिए अवसरों का सागर है। यह बहुत ही आकर्षक है अगर ट्रेडिंग में सही रणनीति का पालन किया जाए तो आप खूब सारा पैसा बना सकते है। लेकिन एक बात आपको समझना चाहिए कि आप किस प्रकार की रणनीति से स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते है। दरअसल शेयर market में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद है। तो अगर शेयर मार्केट में आप भी निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)

Types of Share Trading in India

1) इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

यह व्यापारियों द्वारा शेयर मार्केट में प्रचलित सबसे सामान्य प्रकार का व्यापार है। इंट्राडे ट्रेडिंग एक ही दिन के व्यापार को संदर्भित करता है। व्यापारियों को बाजार बंद होने से पहले उसी दिन अपने स्टॉक को बेचना और खरीदना या खरीदना और बेचना होता है। इस स्टाइल को "व्यापार बंद करना" के रूप में भी जाना जा सकता है। यह किसी भी अन्य फॉर्मेट की तुलना में हाई ROIs चाहने वालों के लिए सबसे एग्रेसिव प्रकार के व्यापार में से एक है।

2) स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

यह एक प्रकार का शार्ट टर्म ट्रेडिंग है जो आम तौर पर 2 दिनों से 2 सप्ताह के बीच रहता है। जब कोई स्टॉक या ऑप्शन में निवेश करना चाहता है तो स्विंग ट्रेडिंग एक अच्छा विकल्प है। टेक्निकल ट्रेडर्स और चार्टिस्ट जो टेक्निकल टूल का उपयोग करके शार्ट टर्म प्राइस मोमेंटम का निरीक्षण करना पसंद करते हैं, इस कैटेगरी में आते हैं। ओवरनाइट ट्रेडों में अधिक मार्जिन के कारण यहां आवश्यक पूंजी दिन के कारोबार की तुलना में अधिक है।

3) आर्बिट्रेज ट्रेडिंग (Arbitrage Trading)

आर्बिट्रेज ट्रेडिंग एक ऐसी शैली है जो दो या दो से अधिक बाजारों या एक्सचेंजों में मूल्य अंतर का लाभ उठाती है। यह केवल एक विशाल नेटवर्क वाली प्रमुख ट्रेडिंग फर्मों के लिए रिजर्व्ड है क्योंकि इसके लिए कई एनालिटिकल स्किल की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अधिक नेटवर्क स्पीड की आवश्यकता होती है।

4) पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)

यह एक लंबी अवधि की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। पोजीशनल ट्रेडर बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हैं क्योंकि उनका मानना ​​​​है कि उनकी दीर्घकालिक दृष्टि चीजों को सुलझाती है। व्यापारी हमेशा कंपनी के भीतर बड़े गेम चेंजर की तलाश में रहते हैं ताकि उन्हें उनका वांछित रिटर्न मिल सके, इसलिए होल्डिंग पीरियड सबसे महत्वपूर्ण चिंता का विषय नहीं है।

5) ऑप्शन स्ट्रेटेजीज (Options Strategies)

ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए एक ऑब्जेक्टिव और मैथमेटिकल टाइप की सोच की आवश्यकता होती है। चूंकि रणनीति बनाना एक कठिन खेल है, इसलिए किसी को अपनी रणनीति बनाने और उन्हें लागू करने में अच्छा बनने के लिए थोड़ा अभ्यास और समय की आवश्यकता हो सकती है। भारत में, बहुत कम ऑप्शन ट्रेडर्स हैं, ज्यादातर जागरूकता की कमी ऐसा नहीं कर पाते।

6) ट्रेड युसिंग टेक्निकल एनालिसिस (Trade using Technical Analysis)

स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस ट्रेडिंग की किसी भी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। स्टॉक टेक्निकल एनालिसिस टूल का उपयोग आपको शेयर बाजार की मांग और आपूर्ति में निकट परिवर्तनों के बारे में बेहतर जानकारी दे सकता है। एक स्किल के रूप में टेक्निकल एनालिसिस होने से व्यापारियों को सफल दिन के व्यापारी, स्थितीय या यहां तक ​​​​कि स्विंग व्यापारी बनने में मदद मिलती है।

7) मनी फ्लो बेस्ड ट्रेडिंग (Money Flow Based Trading)

Money Flow Based Trading ओपन इंटरेस्ट एनालिसिस, प्रमोटर डील, स्टेक सेल्स, ग्रॉस डिलीवरी डेटा, एफआईआई इनफ्लो और डीआईआई फ्लो इन और स्टॉक से बाहर पर निर्भर करती है। बाजार में आने वाले रुझानों की पहचान करने के लिए ऐसा डेटा आवश्यक है। यदि आपके पास पैसे के प्रवाह का विश्लेषण करने के लिए एक प्रवृत्ति है, तो यह आपके लिए सही प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति है।

8) ट्रेड ड्रिवेन बाई इवेंट्स (Trade Driven by Events)

इवेंट बेस्ड ट्रेडिंग एक कॉर्पोरेट इवेंट का लाभ उठाता है जो घटित हुई है या होने वाली है। यह विलय और अधिग्रहण, दिवालियेपन, कमाई कॉल आदि के समय बाजार की कीमतों में बदलाव का फायदा उठाने का प्रयास करता है। इस ट्रेडिंग स्टाइल को यह समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस स्किल की आवश्यकता होती है कि इस तरह के परिवर्तन किसी घटना के होने से पहले बाजार को कैसे प्रभावित करते हैं।

9) हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (High Frequency Trading)

हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग स्पीड के बारे में है। निवेश बैंक, संस्थागत व्यापारी, हेज फंड आदि हाई स्पीड वाले कंप्यूटरों का उपयोग हाई स्पीड पर बड़े आर्डर का लेन-देन करने के लिए करते हैं। चूंकि सब कुछ कंप्यूटर आधारित है, इसलिए एनालिसिस के लिए कोई जगह नहीं है और निष्पादन के लिए केवल क्विक कॉल है। इस प्रकार के व्यापार की सलाह व्यक्तियों को नहीं दी जाती है, लेकिन यदि आप रुचि रखते हैं, तो आप अपना स्वयं का फंड शुरू कर सकते हैं या इसके प्रोग्रामर के रूप में एक फंड में शामिल हो सकते हैं।

10) क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग (Quantitative Trading)

क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग क्वांटिटेटिव एनालिसिस पर आधारित है। यह क्वांट फाइनेंस का एक बहुत ही जटिल क्षेत्र है। Statistical या Mathematical बैकग्राउंड के बहुत से लोग कंप्यूटर एनालिसिस और नंबर क्रंचिंग का उपयोग करके अपना स्थान पाते हैं। एक इच्छुक व्यक्ति के पास अच्छी प्रोग्रामिंग और मैथमेटिकल स्किल होना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि आप इस स्टाइल को अपनाने से पहले रिसर्च करें।

शेयर बाजार में लगाए गए पैसे से हर निवेशक की अलग-अलग जरूरतें और मांगें होती हैं। शेयर बाजार में कोई निर्णायक बेस्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी नहीं है क्योंकि सफलता उन्हें मिलती है जो अपनी शैली में इक्का-दुक्का होते हैं।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती हैं

आज हम समझेंगे Types of Trading Style कि हम कितने प्रकार से ट्रेडिंग कर सकते हैं जब एक बार आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने का निर्णय ले लेते हैं तो उसके बाद सबसे बड़ा निर्णय यह होता है कि आप किस प्रकार की शेयर ट्रेडिंग करना चाहते हैं शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद हैं आज इन्ही तरीकों को समझने का प्रयास करेंगे ट्रेडिंग करने का कोई सा भी तरीका बहुत ज्यादा अच्छा या बुरा नहीं होता है बल्कि आपकी बाजार से उम्मीदें बाजार की जानकारी और रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए सही या गलत हो सकता है एक अच्छा ट्रेडिंग स्टाइल चुनने के लिए आपको आपके इमोशन Technical Analysis की जानकारी और ट्रेडिंग साइकोलॉजी का Analysis करना पड़ता है यह जानने के लिए कि कौन सा ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए अच्छा है ट्रेडिंग की शुरुआत में आप सभी ट्रेडिंग स्टाइल को ट्राई करके जरूर देखें और उसके बाद यह Analysis करिए कि कौन से ट्रेडिंग स्टाइल में आपका सक्सेस रेट अच्छा है उसके बाद जिस ट्रेडिंग स्टाइल पर आपको पूरा विश्वास है कि आप ट्रेडिंग के टाइप उसे सही तरीके से कर सकते हैं उसी ट्रेडिंग स्टाइल को चुनिए

तो चलिए अब हम कुछ ट्रेडिंग टाइप को समझ लेते हैं जो कि शेयर बाजार में बहुत ही पॉपुलर हैं सबसे पहले हम समझते हैं स्कल्पिन ट्रेडिंग को

दोस्तों यह ट्रेडिंग करने का सबसे छोटे समय का तरीका है स्कल्पिग ट्रेडिंग में शेयर्स को लेने के बाद कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटओं में बेच दिया जाता है इससे बाजार में जो छोटे-छोटे मोमेंट आते हैं उनका फायदा उठाया जाता है और बाजार के बंद होने तक बहुत सारे ट्रेड किए जाते हैं उदाहरण ट्रेडिंग के टाइप के लिए मान लीजिए ABC शेयर का प्राइस ₹100 और आपने ₹100 के प्राइस पर 10000 शेयर खरीद लिए आप जैसे ही ABC शेयर का प्राइस ₹100 से बढ़कर ₹100.50 पैसे हो जाता है आप यह 10000 शेयर बेच देते हैं तो इसमें आपको ₹5000 का प्रॉफिट होगा इसे ही स्कल्पिग ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं दूसरा तरीका इसे कहते हैं BTSTऔर STBT मतलब कि Buy Today Sell Tomorrow, Sell Today Buy Tomorrow इस में शेयर्स को आज के दिन की आखरी कैंडल में खरीदा या बेचा जाता है और अगले दिन बाजार आज की कैंडल के क्लोज प्राइस से ज्यादा या कम ओपन होता है इसका फायदा उठाने को बीटीएसपी और एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

उदाहरण:- के लिए मान लीजिए कि abc शेयर का प्राइस आज 10% गिर चुका है और आपको Technical Analysis की मदद से यह लगता है कि कल शेयर और गिरेगा यह शेयर बहुत गिर चुका है कल यह थोड़ा सा ऊपर जाएगा तो इस आधार पर अगर आप आज शेयर खरीदारी करते हैं या बिकवाली करते हैं और कल बाजार खुलते ही Exit कर लेते हैं इसे ही बीटीएसटी एंड एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

अब हम समझते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग को जिसे day ट्रेडिंग भी कहते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग के अंदर शेयर्स को खरीदकर कुछ घंटों या मार्केट बंद होने से पहले बेंच दिया जाता है इसमें दिन के दरमियान आने वाले मोमेंट का फायदा उठाया जाता है

उदाहरण:- के लिए मान abc शेयर की कीमत ₹100 आपने इस शेयर को ₹100 की प्राइस पर खरीद लिया है अब बाजार बंद होने से पहले abc शेयर का जो भी प्राइस हो आपको प्रॉफिट हो या लॉस। बुक करके निकलना ही होगा इसे ही इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं

हम समझते हैं स्विंग ट्रेडिंग को जब शेयर्स को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रखकर सेल कर दिया जाता है तो इससे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं उदाहरण:- के लिए मान लीजिए abc शेयर अभी 100 रुपए पर चल रहा है और शेयर ने आज ही breakout दिया है तो आने वाले 1 से 2 हफ्तों में जो शेयर का मोमेंट होगा उसका फायदा उठा कर पैसा कमाना स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है

अब हम समझते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग को इसमें किसी शेयर को खरीद कर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों या 1 साल के अंदर बेच दिया जाता है इसे पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं इसमें लंबे मूवमेंट का फायदा उठाकर प्रॉफिट कमाया जाता है

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि abc शेयर्स जिसका प्राइस ₹100 और अपने कंपनी के फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस की मदद से यह जान लिया है कि abc शेयर आने वाले 8 से 10 महीनों में 140 से ₹150 तक जा सकता है और शेयर खरीदकर 10 महीने बाद बेच देते हैं इसे ही पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं मोमेंटम ट्रेडिंग को जब किसी शेयर में ब्रेक आउट होता है तो उस ब्रेकआउट पर ट्रेडिंग करने को मोमेंटम ट्रेडिंग कहते हैं ब्रेकआउट कई प्रकार के होते हैं

ट्रेडिंग के टाइप

अल्गो ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग प्रकार है जिससे शेयर बाजार मे ट्रेडिंग की जाती है। हलाकि साधारण ट्रेडिंग के मुकाबले इस ट्रेडिंग प्रकार मे काफी अंतर है अल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये की जाती है की बाजार के हालत के अनुसार खदु निर्णय लेता है और ट्रेडिंग करता है। अल्गो ट्रेडिंग मे कंप्यूटर प्रोग्राम को जरुरी मार्किट डाटा अपलोड किया जाता है और उसके बाद उस डाटा के आधार पर कंप्यूटर प्रोग्राम ट्रेडिंग के लिए शेयर चुनता है और बेचने की सलाह भी देता है। इस तरह के ट्रेडिंग मे लोस्स होने की सम्भवना काफी कम हो जाती है हलाकि भारत मे यह विकल्प इतना ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। सिर्फ बड़े पैमाने पर ट्रेड करने वाले निवेशक ट्रेडर ही इस तरह के तकनीक का इस्तेमाल करते है।

Trading क्या है Trading कितने प्रकार कि होती है?

Trading क्या है? यह प्रश्न ज्यादातर स्टॉक मार्केट में नए लोगों को परेशान करता है। आज कई small retailers स्टॉक मार्केट में है जो trading और investment में अंतर नहीं समझ पाते है। अगर आपको भी ट्रेडिंग शब्द का मतलब नहीं पता है। तो आज कि लेख में हम आपको trading meaning in hindi के बारे में बारीकी से समझाएंगे। इसलिए आज का पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इस अंत तक पढ़े। तो फिर आइए जानते हैं।

Trading क्या है?

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Trading को आसान शब्दों में व्याख्या करें तो हिंदी में इसे " व्यापार " कहा जाता है। यानी कि किसी वस्तु या सेवा का आदान प्रदान करके मुनाफा कमाना।

Stock Market Trading भी इसी तरह होता है। जैसे कि हम किसी वस्तु को खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं। बिल्कुल वैसे ही स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर कि खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाया जाता है। ट्रेडिंग कि समय अवधि 1 साल की होती है। मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना है। अगर एक साल के बाद शेयर को बेचते हैं तो यह निवेश कहलाता है। यह एक तरह का ऑनलाइन पर आधारित बिजनेस होता है।

उदाहरण के तौर पर अगर हम share market में शेयर खरीद रहे हैं तो हमारे जैसे कोई अन्य व्यक्ति होगा जो उन शेयर को बेच रहा होगा। चलिए इसे अब अपने डेली लाइफ से जोड़ते हैं। मान लीजिए आपने होलसेल स्टोर से कोई सामान ₹50 खरीदा और उसे बाद में ₹60 लगा कर कस्टमर्स को बेच दिया। अगर यह आप रोजाना करते हैं तो इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।

बिल्कुल ऐसे ही शेयर बाजार में भी होता है। आप शेयर को खरीदते हैं और 1 साल के अंदर खरीदे हुए शेयर को प्राइस बढ़ने के बाद बेच देते है। तो यह Stock Market Trading कहलाता है।

Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें यह कोई नहीं जानता कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या मूवमेंट आयेगा। अगर शेयर से जुड़ी न्यूज़ अच्छी आती है तो शेयर के भाव में तेजी दिखाई देगी। वहीं इसका उल्टा करे तो शेयर से जुड़ी न्यूज़ खराब आती है तो शेयर के भाव में मंदी देखने को मिल सकती है।

Stock Market Trading कितने प्रकार के होते हैं?

  1. Scalping Trading
  2. Intraday Trading
  3. Swing Trading
  4. Positional Trading

Scalping Trading क्या है?

Scalping Trading वह trade जो कुछ सेकंड या मिनट के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो केवल कुछ सेकंड या मिनट के लिए शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स को scalpers कहा जाता है। बता दू कि scalping trading को सबसे जायदा रिस्की होता है।

Intraday Trading क्या है?

Intraday Trading वह trade जो 1 दिन के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो Market (9:15 am) के खुलने के बाद शेयर खरीद लेते हैं। और मार्केट बंद(3:30 pm) होने से पहले शेयर को बेच देते है। ऐसे ट्रेडर्स को Intraday ट्रेडर्स कहा जाता है। बता दू कि Intraday ट्रेडिंग scalping trading से थोड़ा कम रिस्की होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पोस्ट को पढ़े।

Swing Trading क्या है?

Swing Trading वह trade जो कुछ दिनों के लिए शेयर को खरीदते और बेचते है। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो एक दो हफ़्ते के लिए शेयर को खरीदने के बाद बेच देते हैं। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट को देखना नहीं पड़ता है। यह उन लोगो ( जॉब, स्टूडेंट्स आदि) के लिए बेहतर होता है जो ट्रेडिंग में अपना पूरा दिन नहीं दे सकते हैं।

Positional Trading क्या है?

Positional Trading वह ट्रेड जो कुछ महीने के लिए होल्ड किए जाएं। यह मार्केट का long term movement को कैप्चर करने के लिए किया जाता है। ताकि एक अच्छा मुनाफा हो सके। शेयर बाजार की रोजाना के up-down से इन पर जायदा असर नहीं होता है। यह बाकी सभी trading से कम रिस्की होता है।

Trading और Investment में क्या अंतर है?

  1. Trading में शेयर को short term के लिए खरीदा जाता है। वहीं Investment में शेयर को लंबे समय के लिए खरीद लिया जाता है।
  2. Trading में टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होना जरूरी होता है। वहीं Investment में fundamental analysis की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।
  3. Trading कि अवधि 1 साल तक की होती है। वहीं निवेश कि अवधि 1 साल से ज्यादा कि होती है।
  4. Trading करने वाले लोगों को traders कहा जाता है। वहीं निवेश (Investment) करने वाले लोगों को निवेशक (Invester) कहां जाता है।
  5. Trading short term मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है वहीं निवेश लंबी अवधि के मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है।

आपने क्या जाना

जैसे कि आपने हमारी आज के लेख में trading kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। आज आपने ट्रेडिंग के साथ साथ ट्रेडिंग के प्रकार और निवेश से ट्रेडिंग किस तरह अलग होता है यह भी जाना है। अगर आपको भी share market में trade करना है तो सबसे पहले इसके बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य ले। नहीं तो आपको अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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