खाता tangible तथा intangible किसी भी चीजों से संबंधित हो सकता है जैसे की – ज़मीन, बिल्डिंग्स, फर्नीचर, etc. किसी खाते के बाएं हाथ को डेबिट (‘डॉ’) पक्ष कहा जाता है, जबकि दाएं हाथ को क्रेडिट (‘क्र’) पक्ष कहा जाता है।

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मूल्यह्रास का उद्देश्य किसी परिसंपत्ति के लिए व्यय की पहचान को उस परिसंपत्ति द्वारा उत्पन्न राजस्व से मिलाना है। इसे मिलान सिद्धांत कहा जाता है, जहां राजस्व और व्यय दोनों एक ही रिपोर्टिंग अवधि में आय विवरण में दिखाई देते हैं, जिससे यह पता चलता है कि किसी कंपनी ने किसी रिपोर्टिंग अवधि में कितना अच्छा प्रदर्शन किया है।

इस मिलान अवधारणा के साथ समस्या यह है कि राजस्व की पीढ़ी और एक विशिष्ट संपत्ति के बीच केवल एक कमजोर संबंध है। बाधा विश्लेषण के सिद्धांतों के तहत, किसी कंपनी की सभी संपत्तियों को एक लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य एकल प्रणाली के रूप में माना जाना चाहिए जो लाभ उत्पन्न करती है; इस प्रकार, एक विशिष्ट अचल संपत्ति को विशिष्ट राजस्व से जोड़ने का कोई तरीका नहीं है।

इस लिंकेज समस्या को हल करने के लिए, हम प्रत्येक परिसंपत्ति के उपयोगी जीवन पर मूल्यह्रास की एक स्थिर दर मानते हैं, ताकि हम समय के साथ राजस्व और व्यय की मान्यता के बीच एक संबंध का अनुमान लगा सकें। जब कोई कंपनी त्वरित मूल्यह्रास का उपयोग करती है, तो यह अनुमान हमारी विश्वसनीयता को और भी अधिक खतरे में डालता है, क्योंकि इसका उपयोग करने का मुख्य कारण करों के भुगतान को स्थगित करना है (और राजस्व और व्यय का बेहतर मिलान नहीं करना)। साथ ही, मिलान सिद्धांत उन मामलों में काम नहीं करता है जहां मूल्यह्रास व्यय को मान्यता दी जाती है लेकिन बिक्री नहीं होती है, जैसा कि मौसमी बिक्री स्थितियों में होता है।

लेखांकन क्या है ?

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।

किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।

सरल शब्दों में लेखांकन का आशय वित्तीय लेन देनों को क्रमबद्व रूप में लेखाबद्व करने, उनका वर्गीकरण करने, सारांश तैयार करने एवं उनको इस प्रकार प्रस्तुत करने से है, जिससे उनका विश्लेषण व निर्वचन हो सके। लेखांकन में सारांश का अर्थ तलपट बनाने से है और विश्लेषण व निर्वचन का आधार अन्तिम खाते होते है, जिनके अन्र्तगत व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता तथा चिटटा/स्थिति विवरण या तुलन पत्र तैयार किये जाते है।

उदाहरण

किसी व्यवसाय में बहुत बार वस्तु खरीदा जाता है, बहुत बार विक्री होता है । खर्च भी होता रहता है आमदनी भी होता रहता है, कुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने वही में घटित घटनाओं को लिखता रहता है । यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है ।

लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में निम्नलिखित तीन को शामिल किया जाता है :

लेन-देन को पहली बार वही में लिखे जाने के क्रिया को अभिलेखन कहा जाता है । अभिलेखन को रोजनामचा कहते हैं अर्थात Journal भी काहा जाता है ।

अभिलेखित मदों को अलग-अलग भागो में विभाजित कर लिखे जाने के क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है । वर्गीकरण को खाता (Ledger) भी कहते हैं ।

लेखांकन क्या है- Accounting In Hindi

एक बिज़नेस तभी सक्सेस हो सकता है जब वह बिज़नेस जगत के सभी नियमो के अनुसार कार्य करे । इसके लिए बिज़नेस मैन को चाइये की लेखांकन के एक -एक कड़ी को जाने । आज के इस पोस्ट में आप जानेगे की लेखांकन क्या है , इसकी अवधारणा , चरण , विशेषता तथा उदेश्य

लेखांकन दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘ लेख ‘ और ‘ अंकन ‘। जहां लेख का अर्थ “ लिखने ” से हैं और अंकन का अर्थ “ अंक ” से लगाया जाता है। इस प्रकार से व्यवसाय में जितने भी लेन-देन होते हैं उनको एक बही(Book) के रूप में लिखना ही “लेखांकन” (Accounting) कहलाता है। लेखांकन व्यवसाय की भाषा है। लेखांकन को लेखाकर्म के नाम से भी जाना जाता है ।

लेखांकन की अवधारणा

लेखांकन वह शास्त्र है जिसका संबंध मुख्य रूप से वित्तिय स्वभाव वाले लेन-देनों तथा घटनाओं के अभिलेखन, वर्गीकरण व विश्लेषण करने से हैं । व्यवसाय हो या फिर कोई कार्य जहां भी मुद्रा से संबंधित लेन-देन किए जाते हैं तो वहां लेखांकन की आवश्यकता पड़ती है । बिना एकाउंटिंग के व्यवसाय का कार्य अधूरा माना जाता है। आज लेखांकन का प्रयोग सभी प्रकार के व्यवसाय में किया जा रहा है- जैसे व्यापारिक संस्थाएं, गैर- व्यापारिक संस्थाएं,कंपनी तथा साझेदारी व्यापार आदि।

एकाउंटिंग एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी ‘ लेखांकन’ होता है । लेखांकन लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य को व्यवसाय की भाषा कहा गया है। बहुत से लोग लेखांकन का अर्थ क्या होता है यह नहीं जानते हैं ।यहाँ बहुत से लोग कहने का अर्थ व्यापारी से हैं जो व्यापारिक लेखांकन को नहीं जानता, नहीं समझता तो उसको इस बात की कभी जानकारी ही नहीं लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य होगा कि बिजनेस में कितना लाभ हुआ या हानि तथा अब उसकी व्यापार की आर्थिक स्थिति कैसी हैं ।

लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में शामिल होने वाले चरण

लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में निम्नलिखित चरणों को शामिल किया गया है-

  1. अभिलेखन (Recording) : व्यवसाय में जो भी लेन-देन होते हैं उनको पहली बार जिस बही में लिखा जाता है उसे ‘अभिलेखन’ कहते हैं । यह लिखने की क्रिया ही रोजनामचा है जिसे अंग्रेजी में Journal कहा जाता है।
  2. वर्गीकरण (Classification) : रोजनामचा में लिखे सभी लेनदेन को अलग-अलग भागों में विभाजित करके लिखना है ‘वर्गीकरण’ कहलाता लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य है, क्योंकि व्यवसाय में एक ही तरह के लेन-देन नहीं होते हैं। जैसे – नगद, उधार, नगद वापसी, उधार वापसी,माल का क्रय , विक्रय, विक्रय वापसी आदि।
  3. संक्षेपण(Summarising) : वर्गीकृत लेनदेन को एक ही स्थान पर लिखा जाना है ‘संक्षेपण’ है इसे तलपट(Trail Balance) के नाम से भी जाना जाता है। जो कि जांच करने का कार्य करता है।

लेखांकन की विशेषताएं क्या है?

  1. लेखांकन की विशेषताएं व्यावसायिक लेन-देन की पहचान करना और इसे नियमित तथा सुव्यवस्थित ढंग से लेखा पुस्तकों में लिखना है ।
  2. लेखा बहियों में केवल उन्हीं लेन- देन का लेखा किया जाता है जिसे मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है ।
  3. ऐसी घटनाओं तथा लेनदेन जिन्हें मुद्रा में व्यक्त नहीं किया जा सकता हो, लेखा नहीं किया जाता है ।
    लेखांकन की विशेषताएं वित्तीय व्यवहारों एवं घटनाओं को इस प्रकार से प्रस्तुत करना है जिससे कि लेन-देन का विश्लेषण तथा व्याख्या आसानी से हो सके
  4. लेखांकन व्यवसायिक लेन-देन की एक कला है ।
  5. लेखांकन के अंतर्गत लेन-देन का संक्षेपण किया जाता है। लेखांकन की विशेषताएं सभी पक्षकारों को उनके द्वारा वांछित सूचनाएं प्रदान करता है ।

लेखांकन के उद्देश्य प्रत्येक व्यवसाय के लिए आवश्यक है। लेखांकन के उद्देश्य निम्नलिखित है। जो कि नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –

लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य

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लेन देने का अभिलेखन-1

प्रत्येक लेन-देन का विश्लेषण क .

प्रत्येक लेन-देन का विश्लेषण कर यह दिखाइए कि हर स्थिति में परिसंपत्तियाँ, देयताएँ व पूँजी पर क्या प्रभाव पड़ा? तथा लेखांकन समीकरण A = L+C संतुलित ही रहा।
(1) 8,00,000 रु. की पूँजी व 50,000 रु. के माल के स्टॉक से व्यवसाय प्रारंभ किया।
(2) 15,000 रु. का अग्रिम भुगतान कर 3,00,000 रु. मूल्य के प्लांट का क्रय किया जिसकी शेष राशि का भुगतान बाद में होगा।
(3) बैंक खाते में 6,00,000 रु. जमा करवाया।
(4) ऑफिस के लिए 1,00,000 रु. मूल्य का फर्नीचर खरीदा व चेक से भुगतान किया।
(5) 80.000 रु. मूल्य का नकद माल व 35,000 रु. का उधार माल खरीदा।
(6) 45.000 रु. मूल्य का माल 60,000 रु. नकद पर बेचा।
(7) 80,000 रु. मूल्य की वस्तुओं का 1,25,000 रु. में उधार विक्रय किया।
(8) वस्तुओं/माल के पूर्तिकारों को भुगतान के लिए 35,000 रु. मूल्य के चेक जारी किए।
(9) ग्राहक से 75,000 रु. का चेक प्राप्त किया।
(10) व्यक्तिगत प्रयोग के लिए 25,000 रु. की राशि आहरित की।

भुगतान बैंकों के लेन-देन में हुई बढ़ोतरी: आईसीआरए

Opportunity India Desk

भुगतान बैंक से होने वाले लेन-देन की मात्रा में सुधार देखा गया, जिसकी वजह से उनकी परिचालन क्षमता बेहतर हुई है। इससे वित्त वर्ष 2022 में उद्योगों में भी लाभ देखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इनके मुनाफे में और ज्यादा बढ़ोतरी होगी।

भारत में भुगतान बैंक देश में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में सहायता कर रहे हैं, लेनदेन संबंधी विश्लेषण के उद्देश्य जिस उद्देश्य के लिए उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा लाइसेंस प्रदान किया गया था। बता दें कि वित्तीय समावेशन समाज के पिछड़े एवं कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है, जो उनके वहन करने योग्य मूल्य पर मिल सके।

वित्तीय समावेशन हमारे देश में काम के तरीके में साल-दर-साल सुधार कर रहा है। आरबीआई के वित्तीय समावेशन सूचकांक को गौर से देखें तो हमें मालूम होगा कि मार्च 2021 में यह 53.9 था, जो मार्च 2022 में बढ़कर 56.4 हो गया। आईसीआरए के विश्लेषण के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र में औसत मासिक लेनदेन वित्त वर्ष 2023 में 310 ट्रिलियन रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2022 में 273 ट्रिलियन रुपये था और वित्त वर्ष 2019 में 266 ट्रिलियन रुपये था।

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