कंपनी हमेशा डिविडेंड अपने फेस वैल्यू पर देती है ना कि करंट वैल्यू पर। यानी जिस वक्त कंपनी ने शेयर मार्केट में शेयर जारी किया था उस वक्त जो शेयर का दाम है उसी पर कंपनी डिविडेंड देती है।

Dividend kya hota hai

Station Guruji

नमस्कार दोस्तों, मैं स्टेशन गुरुजी हूं। स्टॉक मार्केट संबंधी जानकारी की सीरीज में आज मैं आपके साथ शेयर करूंगा डिविडेंड (Dividend) स्टॉक संबंधी बातें। डिविडेंड (Dividend) के बारे में जरूर पढ़ें या सुनें होंगे।

डिविडेंड (Dividend) क्या है? कंपनी डिविडेंड (Dividend) कब देते हैं? डिविडेंड (Dividend) कैसे निकाला जाता है? डिविडेंड (Dividend) से क्या लाभ है? इत्यादि।

डिविडेंड (Dividend) क्या होता है?

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डिविडेंड (Dividend) का हिंदी अर्थ लाभांश होता है। यानी लाभ का अंश या लाभ में हिस्सा। डिविडेंड (Dividend) किसी कंपनी के द्वारा शेयर होल्डर को दिया जाने वाला कंपनी के शुद्ध लाभ का एक हिस्सा है।

कंपनी द्वारा सभी टैक्स एवं खर्चा घटाने के बाद बचा हुआ नेट प्रॉफिट कंपनी के शेयर होल्डर के बीच उसके द्वारा लिए गए शेयर की मात्रा के अनुसार बराबर बराबर कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है बांटा जाता है।

डिविडेंड (Dividend) का कैलकुलेशन किस प्रकार किया जाता है

आप कई बार पढ़ते होंगे कि उस कंपनी में 5000% डिविडेंड देने की घोषणा की है। या 10000% डिविडेंड देने की घोषणा की है। आपके मन में यह जरूर लालच आता होगा कि हम भी यदि इस कंपनी का शेयर खरीद लिए होते तो 1 साल में 10000% डिविडेंड (Dividend) मिल जाता।

कितना अच्छा होता है 10000% का लाभ। लेकिन वास्तव में यह परसेंट कुछ अलग तरह से निकाला जाता है। आइए जानते हैं कंपनी डिविडेंड (Dividend) का कैलकुलेशन किस प्रकार करते हैं।

किसी भी शेयर का वैल्यू तो प्रकार से निकाला जाता है। एक फेस वैल्यू और दूसरा मार्केट वैल्यू। जिस वक्त कंपनी द्वारा शेयर जारी किया जाता है उस वक्त उसका जो मूल्य है वह फेस वैल्यू कहलाता है।

अभी वर्तमान में शेयर का जो मूल्य है वह उसका मार्केट वैल्यू कहलाता है। जैसे मान लिया कि आज से 20 साल पहले रिलायंस कंपनी जब शेयर मार्केट में अपना शेयर जारी किया था तो उसका वैल्यू ₹10 था। यह उसका फेस वैल्यू है।

डिविडेंड (Dividend) कितने प्रकार के होते हैं?

डिविडेंड (Dividend) प्रायः दो प्रकार के होते हैं। अंतरिम डिविडेंड और फाइनल डिविडेंड।

अंतरिम डिविडेंड उस डिविडेंड को कहते हैं जो कंपनी द्वारा तिमाही नतीजे के अनुसार दिए जाते हैं। यानी प्रत्येक तीन माह बाद जो कंपनी डिविडेंड देती हैं वह अंतरिम डिविडेंड कहलाता हैं।

फाइनल डिविडेंड वह डिविडेंड है जो कंपनी के वार्षिक रिजल्ट के बाद जारी किया जाता है। कुछ कंपनियां ऐसे भी हैं जो मंथली डिविडेंड भी दे रहे हैं।

ये 5 कंपनियां बांटेंगी मुनाफा, इसी सप्ताह हो रही हैं Ex-Dividend, चेक करें रिकॉर्ड डेट

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निवेशकों के लिए यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। कई कंपनियों इस सप्ताह शेयर मार्केट में एक्स-डिविडेंड हो रही हैं। बता दें, आज यानी दिवाली के दिन शेयर मार्केट शाम 6:15 से एक घंटे के लिए खुला रहेगा। इस दौरान निवेशक शेयरों को खरीद और बेच पाएंगे। आइए डीटेल्स में जानते हैं डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स के विषय में -

1- Cyient के निवेशकों को कितना मिलेगा डिविडेंड

कंपनी के बोर्ड ऑफ डॉरेक्टर्स ने 27 अक्टूबर 2022 की तारीख को डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट तय किया है। यानी कंपनी शेयर मार्केट में मंगलवार को एक्स-डिविडेंड के रूप में ट्रेड करेगी। बता दें, योग्य निवेशकों को कंपनी की तरफ से 10 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड दिया जाएगा। इस डिविडेंड का भुगतान कंपनी 9 नवबंर 2022 तक करेगी।

Sasken Technologies : इस आईटी कंपनी ने 12 रुपये के डिविडेंड का किया ऐलान, सितंबर तिमाही में 136% बढ़ा प्रॉफिट

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Sasken Technologies Shares : स्मालकैप आईटी कंपनी सस्केन टेक्नोलॉजिस लि. ने अपने शेयरहोल्डर्स के लिए प्रति शेयर 12 रुपये के अंतरिम डिविडेंड (interim dividend) का ऐलान किया है। कंपनी ने इसके लिए रिकॉर्ड डेट भी तय कर दी है। शुक्रवार, 21 अक्टूबर को बीएसई पर इंट्राडे में कंपनी के शेयर 2 फीसदी मजबूत होकर 796 रुपये के स्तर पर पहुंच गए। हालांकि, सेशन के अंत में 0.49 फीसदी मजबूत होकर 785.20 रुपये के स्तर पर बंद हुए।

इस साल यानी वर्ष 2022 में अभी तक शेयर लगभग 42 फीसदी टूट चुका है। शेयर ने 21 अक्टूबर, 2021 को 1,525 रुपये का 52 हफ्ते का हाई छूआ था और 12 मई, 2022 को 52 हफ्ते का लो छूआ था।

Dividend के प्रकार

मुख्यत: डिविडेंड तीन प्रकार का होता है।

Cash Dividend ( कैश डिविडेंड )

कैश डिविडेंड शेयरधारकों को चेक के रूप में दिया जाता है। इस तरह के आय पे शेयरहोल्डर्स को अपने आय यानी की डिविडेंड पे टैक्स देना पड़ता है।

उदाहरण – यदि किसी आदमी के पास कंपनी के 500 शेयर्स है और उनका कैश डिविडेंड का प्राइस ₹5 है तो उसे डिविडेंड के रूप में ₹2500 मिलेंगे।

Stock Dividend ( स्टॉक डिविडेंड )

स्टॉक डिविडेंड में कंपनी शेयरहोल्डर को लाभ देने के बदले स्टॉक देती है , मतलब कि इसमें आपको कैश नही बल्कि उस लाभ के बदले और शेयर्स मिलेंगे। उदाहरण – 1000 शेयर रखने वाले को पांच प्रतिशत का डिविडेंड लाभ होने पर कंपनी उसे पांच अतिरिक्त शेयर देगी।

Property Dividend ( प्रॉपर्टी डिविडेंड )

कंपनी प्रॉपर्टी डिविडेंड में कैश या स्टॉक के बदले कुछ एसेस्ट प्रोडक्ट्स देती है।

Dividend कैसे काम करता है

आपको मैं एक बात बता दूं सारी कंपनिया डिविडेंड नही देती है , डिविडेंड देना कंपनी के ऊपर निर्भर करता है। एक ऐसी कंपनी जो बहुत सालों से डिविडेंड देती आ रही है वो कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है डिविडेंड देना बंद कर सकती है , और ऐसी कंपनी जिसने आजतक डिविडेंड नहीं दिया वो भी Dividend दे सकती है।

Note – Dividend देना या ना देना कंपनी कंपनी पे निर्भर करता है।

डिविडेंड के अन्य प्रकार

डिविडेंड के मुख्य तीन प्रकार होते है स्पेशल डिविडेंड, अंतरिम डिविडेंड और फाइनल डिविडेंड।

स्पेशल डिविडेंड

इसमें सबसे पहले डिविडेंड अनाउंसमेंट डेट होता है इस दिन डिविडेंड देने की घोषणा होती है। फिर इसी के साथ और दो डेट जो की रिकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट होती है। रिकॉर्ड डेट वो दिन होती है जिसदिन कंपनी देखती है कि किस किस इन्वेस्टर्स के डीमैट अकाउंट में शेयर्स है। पेमेंट डेट के दिन कंपनी शेयर्स देती है।

Ex-Dividend date – रिकॉर्ड डेट के एक दो दिन पहले एक्स डिविडेंड डेट होता है , डिविडेंड का लाभ उठाने के लिए इस डेट से पहले आपको शेयर्स खरीदना होगा।

अंतरिम डिविडेंड

अगर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स फाइनेंशियल ईयर के बुक्स ऑफ अकाउंट्स क्लोज़ होने से पहले डिविडेंड देने की घोषणा करें तो उसे अंतरिम डिविडेंड कहते है। ये शेयर्सहोल्डर की सहमति से वापस भी लिया जा सकता है।

महत्वपूर्ण डिविडेंड डेट

DateImportance
Announcement dateइस दिन कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स डिविडेंड देने की घोषणा करते है।
Ex-Dividend dateइस डेट से पहले आपको शेयर्स खरीदने होंगे।
Record dateइस डेट को कंपनी देखती है की कौन कौन से इन्वेस्टर्स है जिनके डीमैट अकाउंट में शेयर्स है।
payment dateजिस दिन आपको डिविडेंड मिलता है।
BaseinterestDividend
Meaningउधार के पैसों पे इंटरेस्ट लगाया जाता है ये बैंक या कोई इंसान भी ले सकता है।अगर कंपनी को प्रोफिट होता है तो उसे शेयर्सहोल्डर में बांटती है उसे डिविडेंड कहते हैं।
क्या है ?उधार कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है के पैसों पे चार्ज।प्रोफिट का छोटा सा हिस्सा।
अनिवार्यहांनहीं
रेटफिक्स प्रिफरेंस शेयर में फिक्स लेकिन इक्विटी शेयर में कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है फिक्स नहीं हैं।
किसको मिलेगाकर्ज़ लेने वाला , डिबेंचर्स होल्डर्सशेयर्सहोल्डर

NHPC समेत देश की बड़ी सरकारी कंपनियों ने सरकार को इस साल क्यों दिए 8572 करोड़ रुपये, हर साल ऐसा क्यों करती है कंपनियां

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डीआईपीएएम (DIPAM-Department of Investment and Public Asset Management) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने सोशल मीडिया के जरिए कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है बताया कि इरकॉन और एनएचपीसी समेत चार सीपीएसई ने सरकार को डिविडेंड के तौर पर 533 करोड़ रुपये दिए हैं. वहीं, इस साल अभी तक सरकारी कंपनियों ने अप्रैल से अक्टूबर तक 8,572 करोड़ रुपये डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए है. इसके अलावा, सरकार ने सरकारी कंपनियों में छोटी हिस्सेदारी बेचकर 9,110 करोड़ रुपये जुटाए हैं.

सरकारी कंपनियां क्यों देती है हर साल करोड़ों रुपये

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंपनियां अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे का हिस्सा देती हैं. मुनाफे का यह हिस्सा वे शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में देती हैं. सरकारी कंपनियों में सरकार की बड़ी हिस्सेदारी होती है. इसीलिए उन्हें ये डिविडेंड करोड़ों रुपये में मिलता है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार डिविडेंड के जरिए आमदनी के लक्ष्य को तय करती है. इसकी जानकारी हर साल बजट में दी जाती है. इसीलिए सरकारी कंपनियां अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा सरकार के साथ शेयर करती है. वित्त वर्ष 2021 में नॉन-फाइनेंशियल पीएसयू के डिविडेंड का बजट लगभग 65,747 करोड़ रुपए था.अगर डिविडेंड में बढ़ोतरी होती है, तो सरकार के नॉन-टैक्स से आने वाले रेवेन्यू में इजाफा होगा.

क्या डिविडेंड के लिए सरकार ने नियम बनाए है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनसे पहले के वित्त मंत्रियों ने नॉन-फाइनेंशियल सरकारी कंपनियों को सलाह देने की नीति को बनाई है.

अगर कंपनी विस्तार की योजना की जरूरतों के लिए अपने कैश रिजर्व का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें इसे डिविडेंड या शेयर बायबैक के माध्यम से केंद्र सरकार को दे देना होगा.

विनिवेश विभाग दीपम के गाइडलाइन के मुताबिक, प्रत्येक केंद्र सरकार के नियंत्रण वाली सरकारी कंपनियों को सालाना कम से कम अपने मुनाफे का 30 फीसदी हिस्सा या नेटवर्थ का 5 फीसदी या जो भी सबसे ज्यादा हो उसका भुगतान करना आवश्यक है.

इससे आम लोगों को क्या फायदा होता है?

कंपनी का कुल मुनाफ़े में निवेशकों को दिया गया हिस्सा डिविडेंड कहलाता है. डिविडेंड प्रति शेयर कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है के हिसाब से दिया जाता है. यानी जिस निवेशक के पास जितने अधिक शेयर होंगे उसकी डिविडेंड रकम उतनी ही अधिक होगी. लगातार बेहतर डिविडेंड का रिकॉर्ड रखने वाली कंपनी में निवेश सुरक्षित माना जाता है.

डिविडेंड यील्ड से शेयर में सुरक्षित रिटर्न का अंदाज़ा मिलता है. यानी डिविडेंड यील्ड जितनी ज़्यादा होगी, निवेश उतना ही सुरक्षित होगा. डिविडेंड यील्ड= प्रति शेयर डिविडेंड X100/ शेयर भाव. 4% से ज़्यादा डिविडेंड यील्ड वाली कंपनियां ही डिविडेंड के आधार पर बेहतर होता है.

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