आखिर क्यों गिर रहा है रुपया, इस साल अब तक 9.6% गिरने के बाद और कितना रुलायेगा रुपया
पिछले साल 21 अक्टूबर से अब तक 100 अरब डॉलर से ज्यादा हमारा फॉरेन रिजर्व खर्च हो चुका है और 650 अरब डॉलर से ज्यादा का रिजर्व घटकर अब सिर्फ 550 अरब डॉलर बचा है
डॉलर इंडेक्स 6 करेंसी को ट्रैक करता है और ये 114 पर पहुंच गया है जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड स्तर है। डॉलर इंडेक्स 20 सालों की ऊंचाई पर पहुंच गया है
बाजार के फोकस में आज रुपया भी रहा जिसमें गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। रुपया आज फिर करीब 65 पैसे टूटा और साढ़े 81 के स्तर तक पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया एक डॉलर की कीमत 81 रुपए 58 पैसे तक पहुंची। जबकि डॉलर इंडेक्स में रिकॉर्ड उछाल का असर देखने को मिला। पिछले 3 दिनों में रुपया 1.70/ डॉलर लुढ़क गया। वहीं इस साल अब तक रुपया 9.6% तक गिर गया है।
आखिर क्यों गिर रहा है रुपया
क्यों गिर रहा है रुपया इसका कारण बताते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के नीरज वाजपेयी ने कहा कि रुपया गिरने का सबसे बड़ा कारण ये है कि दुनिया भर के देशों में ब्याज दरें बढ़ी हैं। वहीं अमेरिका में भी ब्याज दरें बढ़ी है और फेडरल रिजर्व का कहना है कि आगे भी ब्याज दरें बढ़ती रहेंगी। अब वहां पर 5 से 5.5 प्रतिशत तक की रेंज दी जा रही हैं। इसकी वजह से करेंसी लगातार दबाव में आ रही हैं। दुनिया भर की करेंसी के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है।
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डॉलर इंडेक्स जो 6 करेंसी को ट्रैक करता है वह 114 पर पहुंच गया है। ये अपने आप में एक रिकॉर्ड स्तर है। डॉलर इंडेक्स 20 सालों की ऊंचाई पर पहुंच गया है। इसकी वजह से रुपये और दूसरी एशियन करेंसी में जबर्दस्त प्रेसर देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ डॉलर मजबूत होने से FPIs की तरफ से, तेल कंपनियों और इंपोर्टर्स की तरफ से डॉलर की भारी मांग देखने को मिलती है। इससे डॉलर की कीमत रुपये की तुलना में ऊपर जाती है।
नीरज ने आगे कहा कि एक और कारण ये है कि डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी मानी जाती है। इसे सबसे सेफ हैवेन माना जाता है। निवेश के लिए डॉलर सबसे सुरक्षित करेंसी भी मानी जाती है। इसलिए ज्यादा पैसा अमेरिका की तरफ जाता हुआ दिखाई दे रहा है। डॉलर इंडिया से निकल रहा है जिससे रुपया कमजोर हो रहा है।
नीरज वाजपेयी ने फॉरेन रिजर्व के आंकड़े बताते हुए कहा कि 21 अक्टूबर 2021 से अब तक 100 अरब डॉलर से ज्यादा हमारा फॉरेन रिजर्व खर्च हो चुका है। जो रिजर्व हमारे पास 650 अरब डॉलर से ज्यादा था वह अब सिर्फ 550 अरब डॉलर बचा है। इसकी बहुत ज्यादा गुंजाइश भी नहीं है कि आरबीआई हस्तक्षेप करके करेंसी को संभालेगा। इसलिए इंपोर्ट करने वाली कंपनियों पर रुपये की कमजोरी की बड़ी मार पड़ रही है।
डॉलर के मुकाबले एक महीने की ऊंचाई पर पहुंचा रुपया, जानिए क्यों आई मजबूती
पिछले महीने ही डॉलर के मुकाबले रुपया 80.06 के अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंचा था. पिछले कुछ समय से रुपये में मजबूती का रुख है
डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती का डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? रुख देखने को मिल रहा है. मंगलवार के शुरुआती कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले एक महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. रुपया फिलहाल मजबूती के साथ 79 के स्तर से नीचे कारोबार कर रहा है. बदलती आर्थिक स्थितियों और शेयर बाजार के मजबूत प्रदर्शन की वजह से एक बार फिर विदेशी निवेश का रुख भारत की ओर हुआ है, जिससे रुपये को मजबूती मिली है. वहीं डॉलर में आई कमजोरी से भी रुपये को फायदा मिला है.
कहां पहुंचा रुपया
डॉलर के मुकाबले रुपया का पिछला बंद स्तर 79.03 था. आज रुपया इस स्तर के मुकाबले मजबूती के साथ 78.95 के स्तर पर खुला दोपहर के कारोबार तक रुपया 78.49 के स्तर तक मजबूत हुआ. दोपहर 12 बजे के करीब रुपया मजबूती के साथ 78.6 के करीब कारोबार कर रहा था. पिछले महीने ही डॉलर के मुकाबले रुपया 80.06 के अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंचा था. हालांकि जुलाई के अंत से रुपये में मजबूती का रुख देखने को मिल रहा है. दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों को भरोसा बढ़ रहा है. वहीं शेयर बाजार में भी पिछले कुछ समय से मजबूती देखने को मिल रही है और विदेशी निवेशकों की खरीदारी बढ़ रही है. कैपिटल का फ्लो एक बार फिर घरेलू मार्केट की तरफ होने से रुपये को सहारा मिला है. अपने निचले स्तरों पर इस साल अबतक डॉलर के मुकाबले रुपया 7 प्रतिशत से ज्यादा टूटा था. हालांकि अब नुकसान घटकर 6 प्रतिशत से नीचे आ गया है.
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रुपये में मजबूती का क्या होगा फायदा
भारत जैसे आयात पर निर्भर देशों के लिए घरेलू करंसी का मजबूत होना फायदे का सौदा होता है क्योंकि इससे उन पर आयात बिल का बोझ नहीं बढ़ता. इसके साथ ही रुपये में मजबूती से रिजर्व बैंक पर भी दबाव खत्म हो जाता है और घरेलू करंसी को बचाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती. वहीं रुपये में मजबूती से महंगाई का असर कुछ कम हो जाता है क्योंकि डॉलर में हुई खरीद का असर कुछ कम होता है. हालांकि इससे निर्यातकों को कुछ नुकसान होता है क्योंकि अगर रुपया मजबूत होता रहे तो उनके मार्जिन घट जाते हैं. हालांकि भारत जैसे देश जो बड़ी मात्रा में कच्चा तेल, खाद्य तेल, सोना, कच्चे माल आदि का आयात करते रहते उनके लिए घरेलू करंसी स्थिर रहना बेहद जरूरी है.
'रुपया डॉलर'
Dollar vs Rupee Rate Today: पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (Dollar vs Rupee) 27 पैसे टूटकर 82.76 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट के बीच रुपया बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे की गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया.
Dollar vs Rupee Rate Today: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.60 के स्तर पर लगभग सपाट रुख के साथ खुला और कारोबार के अंत में यह 15 पैसे की तेजी के साथ 82.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
Dollar vs Rupee Rate Today: दुनिया की छह करेंसी की तुलना में अमेरिकी करेंसी की कमजोरी या मजबूती की स्थिती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.16 फीसदी गिरकर 104.96 पर आ गया है.
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान आज विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. आज निर्मला सीतारमण ने खासतौर पर रुपये और डॉलर के बदलते समीकरण पर सदन को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में भारत की अर्थव्यवस्था ICU मे थी, Fragile Five में थी. आज COVID-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Economy) है.
Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी फंडों की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
घरेलू शेयर बाजारों में तेजी और अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी की वजह से रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे बढ़कर 82.19 के स्तर पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की लगातार निकासी से रुपया प्रभावित हुआ, और उसकी बढ़त सीमित हुई.
Dollar vs Rupee Rate Today: पिछले कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (Dollar vs Rupee) 52 पैसे के नुकसान के साथ 81.85 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
Rupee vs Dollar: ऐतिहासिक स्तर पर फिसला रुपया, क्यों आ रही है गिरावट और क्या होगा इसका असर?
Rupee vs Dollar: मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया ऑल टाइम लो पर खुला। इसका आम आदमी पर काफी असर पड़ेगा क्योंकि रुपये की गिरावट का सीधा नाता महंगाई से है।
- भारतीय रुपये के कमजोर होने से महंगाई बढ़ सकती है।
- डॉलर की मजबूती से आयात महंगा हो जाएगा।
- इस साल की शुरुआत से ही रुपया डगमगा रहा है।
नई दिल्ली। आज भारतीय रुपया पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (Rupee vs Dollar) 80 से भी नीचे गिर गया। शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 7 पैसे की गिरावट के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर 80.05 पर आ गया। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पिछले आठ सालों में 16.08 रुपये यानी 25.39 फीसदी फिसल चुकी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में विनिमय दर 63.33 रुपये प्रति डॉलर थी।
मजबूत हो रहा है डॉलर
इस साल की शुरुआत से रुपया अब तक 7.6 फीसदी गिर चुका है। भारतीय रुपये के नुकसान का मतलब अमेरिकी मुद्रा के लिए लाभ है। इस साल की शुरुआत से डॉलर में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में की गई वृद्धि से भी रुपये में कमजोरी का सिलसिला नहीं रुका है क्योंकि देश के जून व्यापार घाटे के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद चालू खाता घाटा बढ़ रहा था।
क्यों कमजोर हो रहा है रुपया?
दरअसल रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) की वजह से भू-राजनीतिक संकट और अनिश्चितताओं ने ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं के संकट को और बढ़ा दिया। यह अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि वे अभी महामारी के कारण हुई मंदी से उबर रही थीं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा, उच्च वैश्विक कच्चे तेल की कीमत (Crude oil Price) और बढ़ती मुद्रास्फीति (Inflation) ने भी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की परेशानियां बढ़ा दी है।
रुपये की कमजोरी का एक अन्य प्रमुख कारण विदेशी पोर्टफोलियो कैपिटल का आउटफ्लो है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2022-23 में अब तक भारतीय इक्विटी बाजारों से लगभग 14 अगब डॉलर की निकासी की है।
वैश्विक कारणों से गिर रहा है रुपया: वित्त मंत्री
सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में कहा था कि रूस-यूक्रेन संकट, कच्चे तेल के बढ़ते दाम और वैश्विक वित्तीय स्थितियों के सख्त होने की वजह से डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग अरबों डॉलर निकाल लिए हैं, जिससे मुद्रा पर असर पड़ा है। हालांकि ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की तुलना में ज्यादा गिरी हैं। ऐसे में इस साल इन मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया मजबूत हुआ है।
गिरावट का असर कैसे होगा?
रुपये में गिरावट का सबसे प्रमुख असर आयातकों पर होगा, जिन्हें अब इम्पोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। रुपये की कमजोरी से आयात महंगा हो जाएगा। भारत कच्चा तेल, कोयला, प्लास्टिक सामग्री, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वनस्पति तेल, फर्टिलाइजर, मशीनरी, सोना, कीमती और अर्ध-कीमती स्टोन, आदि आयात करता है। हालांकि रुपये के मूल्य में गिरावट से निर्यात सस्ता होगा।
इसके अलावा, विदेश में पढ़ाई करने का लक्ष्य बना रहे छात्रों पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि अब फीस में वृद्धि देखने को मिलेगी। रेमिटेंस (वह पैसा जो विदेश में रहने वाले लोग अपने परिवार को भारत में भेजते हैं) की बात करें, तो अब इसकी लागत ज्यादा होगी क्योंकि वे रुपये के संदर्भ में ज्यादा पैसे भेजेंगे।
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Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया गिरने से आपकी जेब पर क्या होता है असर? फायदे का सौदा या फिर नुकसान
नई दिल्ली, डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? एजेंसी। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में पिछले कई महीने से उतार-चढ़ाव जारी है। इस कारण रुपया, डॉलर के मुकाबले 80 के आस-पास आ गया है। इससे पता चलता है कि रुपया, डॉलर के मुकबले काफी कमजोर स्तर पर है।
सवाल है कि आखिरकार रुपये में यह कमजोरी होती क्यों है और इसका महत्व क्या है? आखिर डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने या कमजोर पड़ने आम आदमी पर क्या असर पड़ता है। आइए जानते हैं.
क्यों आती है रुपये में कमजोरी
रुपये में कमजोरी कई वजह से होती है। इसका सबसे आम कारण है डॉलर की डिमांड बढ़ जाना। अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली किसी भी उथल-पुथल से निवेशक घबराकर डॉलर खरीदने लगते हैं। ऐसे में डॉलर की मांग बढ़ जाती है और बाकी मुद्राओं में गिरावट शुरू हो जाती है। रुपया भी ऐसी ही प्रवृत्तियों का शिकार हो रहा है। कभी-कभी घरेलू परिस्थितियां भी ऐसी बन जाती हैं कि रुपया गिरने डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? लगता है। शेयर बाजार की उथल-पुथल का भी रुपये की कीमत पर असर होता है।
अब समझने की कोशिश करते हैं कि रुपये की कमजोरी से आम आदमी पर क्या असर होता है.
ईंधन की कीमत में बढ़ोतरी
रुपये की कीमत गिरने का सबसे बड़ा प्रभाव पेट्रोल-डीजल की कीमत पर पड़ता है, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से अधिक कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। ऐसे में डॉलर की कीमत बढ़ने से भारत का कच्चा तेल अपने आप महंगा हो जाएगा और सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि करनी पड़ सकती है।
ईंधन की कीमत बढ़ने से देश में सामानों की ढुलाई की लागत में बढ़ोतरी हो जाती है। इससे सीधे तौर पर चीजों की कीमत में इजाफा होता है और आम आदमी की जेब पर प्रभाव पड़ता है।
महंगा आयात
रुपये के कमजोर होने के कारण विदेशों से होने वाले आयात जैसे कच्चे तेल और अन्य जरूरी उत्पादों की कीमत में वृद्धि हो जाती है, जिस कारण कंपनियों को मजबूरी में कीमत में बढ़ोतरी करनी पड़ती है। इस वजह से उपभोक्ता को भी पहले के मुकाबले अधिक दाम चुकाने पड़ते हैं।
ब्याज दरों में इजाफा
जब भी रुपये की कीमत में गिरावट होती है तो महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। ऐसे में आरबीआई को महंगाई डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? को काबू करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा करना पड़ता है, जैसा कि हमने पिछले दिनों देखा था। आरबीआई ने पिछले चार महीनों में महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में 1.4 फीसदी का इजाफा किया है। इसके कारण लोन लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई में इजाफा हो गया है और उन्हें अधिक रकम का भुगतान करना पड़ा रहा है।
विदेशों में पढ़ाई
रुपये की कीमत घटने से विदेशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए पढ़ाई महंगी हो जाती है। इससे छात्रों को पहले के मुकाबले अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं।
विदेश यात्रा
विदेश यात्रा करने या विदेश घूमने का सपना देखने वाले लोगों के लिए रुपये की कीमत में गिरावट आना बड़ा झटका है। इससे विदेशों के टूर पैकेज, रहना- खाना और घूमना सभी महंगा हो जाता है।
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