केरल में 2500 एकड़ से अधिक में फैला भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला, कन्नूर से करीब 35 किलोमीटर उत्तर और भारत उपमहाद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट के मैंगलोर के 135 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

ट्रेडिंग - जानें, समझें और निवेश करें

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इस प्रशिक्षण के दौरान आपके पास एक सारांश प्रश्नोत्तरी होगी, यह आपको अपनी प्रगति में खुद को स्वस्थ करने की अनुमति देगा। यदि आप इस क्विज़ को पास नहीं करते हैं, तो मैं आपको सलाह देता हूं कि आप फिर से प्रशिक्षण देखें।

इस प्रशिक्षण में उपयोग किया जाने वाला ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ई-टोरो है, क्योंकि इसे एक्सेस करना बहुत आसान है और बहुत सहज है। मैंने इस पर कारोबार करना शुरू किया और निराश नहीं हुआ। आप अन्य प्लेटफार्मों पर भी जा सकते हैं। वर्तमान में, मैं एडमिरल मार्केट्स MT4 का उपयोग करता हूं, यह एक अच्छा मंच है, लेकिन हालांकि इसे सीखना अधिक कठिन है। आप पर निर्भर करता है…

भारतीय नौसेना के स्टेल्थ फ्रीगेट तारागिरि का शुभारंभ

एमडीएल द्वारा निर्मित पी17ए के पांचवें स्टेल्थ फ्रीगेट को आज श्रीमती चारू सिंह, अध्यक्ष एनडब्लूडब्लूए (पश्चिमी क्षेत्र) ने लॉन्च किया। उन्होंने इसका नामकरण ‘तारागिरी’ किया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना एडमिरल मार्केट्स सारांश में 11 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, जिसका अनुपालन करते हुये, यह कार्यक्रम तकीनीकी लॉन्च तक सीमित रखा गया। चूंकि फ्रीगेट को लॉन्च करने के लिये ज्वार-भाटे की स्थिति अनुकूल होती है, इसलिये कार्यक्रम में बदलाव की संभावना नहीं थी। पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफीसर कमांडिंग-इन-चीफ वायस एडमिरल अजेन्द्र बहादुर सिंह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। लॉन्च समारोह में युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक वायस एडमिरल किरण देशमुख तथा भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (डब्लूडीबी) और एमडीएल की टीमों ने अतीत में भी कई सफल लॉन्चिंग की हैं। इस तरह उन्होंने अपनी विशेषज्ञता को धार दी है और इस बार फिर पूरी शान के साथ पॉनटून की सहायता से फ्रीगेट को लॉन्च किया है। लॉन्च के बाद ‘तारागिरी’ एमडीएल में अपने दो साथी जहाजों के साथ शामिल हो जायेगा। इसके बाद उसे साजो-सामान से लैस करके भारतीय नौसेना को सौंप दिया जायेगा।

सात पी17ए फ्रिगेट एमडीएल और जीआरएसई में निर्माण के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। स्टेल्थ फ्रीगेट जैसे अग्रिम मोर्चे के जटिल पोतों के स्वदेशी निर्माण ने देश को पोत निर्माण के क्षेत्र एडमिरल मार्केट्स सारांश में ऊंचा दर्जा दिला दिया है। इसके जरिये आर्थिक विकास, भारतीय शिपयार्डों में रोजगार सृजन हो रहा है तथा उप-ठेकेदारों और सहायक उद्योगों को लगातार काम मिल रहा है। इसके अलावा परियोजना 17ए के 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी फर्मों को दिये गये हैं, जिनमें सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम शामिल हैं। इस तरह देश की ‘आत्म निर्भर भारत’ की परिकल्पना को बल मिल रहा है।

इस अवसर पर वायस एडमिरल अजेन्द्र बहादुर सिंह, एफओसी-इन-सी, पश्चिमी नौसेना कमान ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो और अन्य नौसेना दलों के प्रयासों की सराहना की कि इन सभी ने युद्धपोत निर्माण में देश की आत्मनिर्भरता की भावना को बल दिया है। उन्होंने कहा कि ‘तारागिरि’ जब नीले समंदर में उतरेगा, तो उससे निश्चित ही भारतीय नौसेना की शक्ति बढ़ेगी।

भारतीय नौसेना के स्टेल्थ फ्रीगेट तारागिरि का शुभारंभ

एमडीएल द्वारा निर्मित पी17ए के पांचवें स्टेल्थ फ्रीगेट को आज श्रीमती चारू सिंह, अध्यक्ष एनडब्लूडब्लूए (पश्चिमी क्षेत्र) ने लॉन्च किया। उन्होंने इसका नामकरण ‘तारागिरी’ किया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में 11 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, जिसका अनुपालन करते हुये, यह कार्यक्रम तकीनीकी लॉन्च तक सीमित रखा गया। चूंकि फ्रीगेट को लॉन्च करने के लिये ज्वार-भाटे की स्थिति अनुकूल होती है, इसलिये कार्यक्रम में बदलाव की संभावना नहीं थी। पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफीसर कमांडिंग-इन-चीफ वायस एडमिरल अजेन्द्र बहादुर सिंह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। लॉन्च समारोह में युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक वायस एडमिरल किरण देशमुख तथा भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (डब्लूडीबी) और एमडीएल की टीमों ने अतीत में भी कई सफल लॉन्चिंग की हैं। इस तरह उन्होंने अपनी विशेषज्ञता को धार दी है और इस बार फिर पूरी शान के साथ पॉनटून की सहायता से फ्रीगेट को लॉन्च किया है। लॉन्च के बाद ‘तारागिरी’ एमडीएल में अपने दो साथी जहाजों के साथ शामिल हो जायेगा। इसके बाद उसे साजो-सामान से लैस करके भारतीय नौसेना को सौंप दिया जायेगा।

सात पी17ए फ्रिगेट एमडीएल और जीआरएसई में निर्माण के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। स्टेल्थ फ्रीगेट जैसे अग्रिम मोर्चे के जटिल पोतों के स्वदेशी निर्माण ने देश को पोत निर्माण के क्षेत्र में ऊंचा दर्जा दिला दिया है। इसके जरिये आर्थिक विकास, भारतीय शिपयार्डों में रोजगार सृजन हो रहा है तथा उप-ठेकेदारों और सहायक उद्योगों को लगातार काम मिल रहा है। इसके अलावा परियोजना 17ए के 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी फर्मों को दिये गये हैं, जिनमें सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम शामिल हैं। इस तरह देश की ‘आत्म निर्भर भारत’ की परिकल्पना को बल मिल रहा है।

इस अवसर पर वायस एडमिरल अजेन्द्र बहादुर सिंह, एफओसी-इन-सी, पश्चिमी नौसेना कमान ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो और अन्य नौसेना दलों के प्रयासों की सराहना की कि इन सभी ने युद्धपोत निर्माण में देश की आत्मनिर्भरता की भावना को बल दिया है। उन्होंने कहा कि ‘तारागिरि’ जब नीले समंदर में उतरेगा, तो उससे निश्चित ही भारतीय नौसेना की शक्ति बढ़ेगी।

एडमिरल मार्केट्स सारांश

देश के बंटवारे के समय लगभग 1/3 नेवी के साथ कराची और चट्टगांव जैसे पोर्ट भी देश के हाथ से निकल गया था |

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना और इस दिन भारतीय नौसेना ने अपने नाम के सामने से रॉयल नाम को त्याग दिया। उस समय भारतीय नौसेना में 32 नौ परिवहन पोत और लगभग 11,000 अधिकारी और नौसैनिक थे।

भारतीय नौसेना के पहले कमांडर-इन-चीफ़, रियल एडमिरल आई.टी.एस. हॉल थे।

पहले भारतीय नौसेनाध्यक्ष (सी.एन.एस.) वाइस एडमिरल रामदास कटारी थे, जिन्होंने 22 अप्रैल 1958 को कार्यभार संभाला।

1960 के दशक की शुरुआत में ये महसूस किया गया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से बाहर निकलने वाले कैडेट बढ़ती हुई भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगे और इसी वजह से कोचीन में एक अकादमी स्थापित करने का फैसला किया गया।

तदनुसार जनवरी, 1969 में कोचीन में एक नौसेना अकादमी की शुरुआत की गयी जिसे अंततः 1986 में आईएनएस मांडोवी (गोवा) में स्थानांतरित कर दिया गया।

भारतीय नौसेना प्राद्वीपीय भारत के 7517 किलोमीटर लंबे समुद्रतट की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है।

कोस्ट गार्ड व MARCOS:

एक स्वतंत्र पैरा मिलिट्री यानि अर्द्ध सैनिक सेवा, भारतीय तटरक्षक (इंडियन कोस्ट गार्ड) भारतीय नौसेना भारत के समुद्रवर्ती और अन्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान उपलब्ध कराती है।

मॅरीन कमांडो फ़ोर्स (MCF) जिसका पुराना नाम द इंडियन मॅरीन स्पेशल फ़ोर्स (IMSF) था, जो भारतीय नौसेना का अपेक्षाकृत नया विभाग है और इसी योजना के अंतर्गत MARCOS का अस्तित्व भी आया जो मॅरीन कमांडो फ़ोर्स की बेहतरीन एडमिरल मार्केट्स सारांश ट्रूप्स में हैं|

संसार के बेहतरीन नेवी कमांडो में एक MARCOS

भारतीय नौसेना का स्वरुप व ढांचा:

नौसेनाध्यक्ष यानि एडमिरल को उप-नौसेनाध्यक्ष (वाईस एडमिरल या रियर एडमिरल) के दर्ज़े के पाँच मुख्य स्टाफ़ अधिकारियों का सहयोग मिलता है।

नौसेना कुल तीन ऑपरेशनल नौसैनिक एडमिरल मार्केट्स सारांश कमान हैं।

  1. पश्चिमी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: मुंबई),
  2. पूर्वी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: विशाखापट्टनम)
  3. दक्षिणी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: कोच्चि)

प्रत्येक कमान का प्रमुख एक फ़्लैग ऑफ़िसर उप-नौसेनाध्यक्ष (वाइस एडमिरल) के पद वाला मुख्य अधिकारी होता है।

भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला (एशिया एडमिरल मार्केट्स सारांश की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी):

केरल में 2500 एकड़ से अधिक में फैला भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला, कन्नूर से करीब 35 किलोमीटर उत्तर और भारत उपमहाद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट के मैंगलोर के 135 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

यहां 161 अफसर, 47 प्रोफेसर/व्याख्याता, 502 नाविक और 557 नागरिक हैं। कर्मचारियों के परिवारों के समेत परिसर की आबादी 4000 से ज्यादा होगी।

कोचीन, लोणावला, तथा जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान हैं।

जहाजी बेड़े की शुरुवात व प्रगति:

भारत सरकार ने नौसेना के विस्तार की तत्काल योजना बनाई और एक वर्ष बीतने के पहले ही ग्रेट ब्रिटेन से 7, 030 टन का क्रूजर “INS दिल्ली” खरीदा।

इसके बाद ध्वंसक ” INS राजपूत”, “INS राणा”, “INS रणजीत”, “INS गोदावरी”, “INS गंगा” और “INS गोमती” खरीदे गए।

इसके बाद आठ हजार टन का क्रूजर खरीदा गया। इसका नामकरण “INS मैसूर” हुआ।

1964 ई. तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक, “INS विक्रांत” (नौसेना का ध्वजपोत), क्रूजर “INS दिल्ली” एवं “INS मैसूर” दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्कवाड्रन थे, जिनमें कुछ अति आधुनिक पनडुब्बीनाशक तथा वायुयाननाशक फ्रिगेट सम्मिलित किए जा चुके थे। “

आज भारत की नेवी ने बहुत प्रगति कर लिया है और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं एडमिरल मार्केट्स सारांश है कि पूरे हिन्द महासागर पर भारतीय नौ सेना का राज है जिसे अब चीन से कड़ी चुनौती मिल रही है ।

भारतीय नौसेना दिवस:

भारतीय नौसेना दिवस प्रत्येक वर्ष 4 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह 1971 की जंग में भारतीय नौसेना की पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में मनाया जाता है।

3 दिसंबर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाक सेना के ख़िलाफ़ जंग की शुरुआत कर चुकी थी। वहीं, ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था।

एडमिरल मार्केट्स सारांश

देश के बंटवारे के समय लगभग 1/3 नेवी के साथ कराची और चट्टगांव जैसे पोर्ट भी देश के हाथ से निकल गया था |

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना और इस दिन भारतीय नौसेना ने अपने नाम के सामने से रॉयल नाम को त्याग दिया। उस समय भारतीय नौसेना एडमिरल मार्केट्स सारांश में 32 नौ परिवहन पोत और लगभग 11,000 अधिकारी और नौसैनिक थे।

भारतीय नौसेना के पहले कमांडर-इन-चीफ़, रियल एडमिरल आई.टी.एस. हॉल थे।

पहले भारतीय नौसेनाध्यक्ष (सी.एन.एस.) वाइस एडमिरल रामदास कटारी थे, जिन्होंने 22 अप्रैल 1958 को कार्यभार संभाला।

1960 के दशक की शुरुआत में ये महसूस किया गया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से बाहर निकलने वाले कैडेट बढ़ती हुई भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगे और इसी वजह से कोचीन में एक अकादमी स्थापित करने एडमिरल मार्केट्स सारांश का फैसला किया गया।

तदनुसार जनवरी, 1969 में कोचीन में एक नौसेना अकादमी की शुरुआत की गयी जिसे अंततः 1986 में आईएनएस मांडोवी (गोवा) में स्थानांतरित कर दिया गया।

भारतीय नौसेना प्राद्वीपीय भारत के 7517 किलोमीटर लंबे समुद्रतट की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है।

कोस्ट गार्ड व MARCOS:

एक स्वतंत्र पैरा मिलिट्री यानि अर्द्ध सैनिक सेवा, भारतीय तटरक्षक (इंडियन कोस्ट गार्ड) भारतीय नौसेना भारत के समुद्रवर्ती और अन्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान उपलब्ध कराती है।

मॅरीन कमांडो फ़ोर्स (MCF) जिसका पुराना नाम द इंडियन मॅरीन स्पेशल फ़ोर्स (IMSF) था, जो भारतीय नौसेना का अपेक्षाकृत नया विभाग है और इसी योजना के अंतर्गत MARCOS का अस्तित्व भी आया जो मॅरीन कमांडो फ़ोर्स की बेहतरीन ट्रूप्स में हैं|

संसार के बेहतरीन नेवी कमांडो में एक MARCOS

भारतीय नौसेना का स्वरुप व ढांचा:

नौसेनाध्यक्ष यानि एडमिरल को उप-नौसेनाध्यक्ष (वाईस एडमिरल या रियर एडमिरल) के दर्ज़े के पाँच मुख्य एडमिरल मार्केट्स सारांश स्टाफ़ अधिकारियों का सहयोग मिलता है।

नौसेना कुल तीन ऑपरेशनल नौसैनिक कमान हैं।

  1. पश्चिमी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: मुंबई),
  2. पूर्वी कमान (एडमिरल मार्केट्स सारांश कार्यकारी मुख्यालय: विशाखापट्टनम)
  3. दक्षिणी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: कोच्चि)

प्रत्येक कमान का प्रमुख एक फ़्लैग ऑफ़िसर उप-नौसेनाध्यक्ष (वाइस एडमिरल) के पद वाला मुख्य अधिकारी होता है।

भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला (एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी):

केरल में 2500 एकड़ से अधिक में फैला भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला, कन्नूर से करीब 35 किलोमीटर उत्तर और भारत उपमहाद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट के मैंगलोर के 135 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

यहां 161 अफसर, 47 प्रोफेसर/व्याख्याता, 502 नाविक और 557 नागरिक हैं। कर्मचारियों के परिवारों के समेत परिसर की आबादी 4000 से ज्यादा होगी।

कोचीन, लोणावला, तथा जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान हैं।

जहाजी बेड़े की शुरुवात व प्रगति:

भारत सरकार ने नौसेना के विस्तार की तत्काल योजना बनाई और एक वर्ष बीतने के पहले ही ग्रेट ब्रिटेन से 7, 030 टन का क्रूजर “INS दिल्ली” खरीदा।

इसके बाद ध्वंसक ” INS राजपूत”, “INS राणा”, “INS रणजीत”, “INS गोदावरी”, “INS गंगा” और “INS गोमती” खरीदे गए।

इसके बाद आठ हजार टन का क्रूजर खरीदा गया। इसका नामकरण “INS मैसूर” हुआ।

1964 ई. तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक, “INS विक्रांत” (नौसेना का ध्वजपोत), क्रूजर “INS दिल्ली” एवं “INS मैसूर” दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्कवाड्रन थे, जिनमें कुछ अति आधुनिक पनडुब्बीनाशक तथा वायुयाननाशक फ्रिगेट सम्मिलित किए जा चुके थे। “

आज भारत की नेवी ने बहुत प्रगति कर लिया है और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि पूरे हिन्द महासागर पर भारतीय नौ सेना का राज है जिसे अब चीन से कड़ी चुनौती मिल रही है ।

भारतीय नौसेना दिवस:

भारतीय नौसेना दिवस प्रत्येक वर्ष 4 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह 1971 की जंग में भारतीय नौसेना की पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में मनाया जाता है।

3 दिसंबर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाक सेना के ख़िलाफ़ जंग की शुरुआत कर चुकी थी। वहीं, ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था।

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